इस घुमक्कड़ ने स्कूटर से नाप लिए देश विदेश के 45 हजार किमी रास्ते
भारत के युवाओं में घुमक्कड़ी का चलन बढ़ता जा रहा है, जिसमें दोचकिया वाहन द्वारा लोग देश भ्रमण करना पसंद करते हैं। कोई युवा समूहों में यात्रा करना पसंद करते हैं तो कोई एकल घुमक्कड़ी करते हैं। एकल घुमक्कड़ी करना साहसिक कार्य है वह भी खासकर भारत में जहाँ उत्तर दक्षिण में भाषाई समस्या का सामना करना पड़ता हो। भाषाओं के बंधन तोड़ते हुए, राज्यों की सीमाओं को लांघते हुए भ्रमण करना अलग ही रोमांच प्रदान करता है।
ऐसे ही एक सोलो 25 वर्षीय घुमक्कड़ रोनाल्ड शालो ने बजाज स्कूटर से 20 अगस्त 2017 को कोयम्बटूर से अपनी यात्रा प्रारंभ की। भारत के साथ नेपाल भूटान एवं म्यान्मार की सड़कों को नापते हुए इसने लगभग 45 हजार किमी की दूरी तय कर ली। रोनाल्ड शालो ने यह यात्रा मुख्य मार्गों की बजाय ग्रामीण अंचल की सड़कों से करना पसंद की। क्योंकि पहली बात तो ट्रैफ़िक कम रहता है दूसरी बात ग्रामीण जन जीवन को समीप से देखने का मौका मिलता है।
यात्रा प्रांरंभ करने के लिए उसने अपनी नौकरी से पैसे बचाए तथा एयर कंडिशनर, माईक्रोवेब, रेफ़्रिजिरेटर आदि बेचकर 85 हजार रुपए जमा किए। जिससे मार्ग की आवश्यकता के सामान भी खरीदे, स्कूटर को लाल रंग से पेंट किया तथा पहनने सोने के कपड़ों के साथ टेंट एवं खाना बनाने के लिए बर्तन भी अपने साथ रखे और यात्रा प्रारंभ कर दी। कुल मिलाकर स्कूटर को ही अपना घर बना लिया।
रोनाल्डो कहते हैं कि “जब मैने यात्रा प्रारंभ की तो मेरे पास कोई दिशा या योजना नहीं थी, मैं सादगी एवं शांति की खोज में नियमित दिनचर्या से दूर जाना चाहता था तथा खुले दिमाग से इस यात्रा को करना चाहता था एवं उसके एक एक पल को अनुभव करना चाहता था। ग्रामीण इलाकों को समीप देखने के लिए मैने कम ट्रैफ़िक वाले मार्गों को चुना।”
रोनाल्डों को तमिल एवं अंग्रेजी सिर्फ़ दो ही भाषाओं की जानकारी है, परन्तु भाषा उसकी यात्रा में बाधक नहीं बनी। जहाँ कि भाषा उसे नहीं आती वहां सिर्फ़ एक मुस्कान से काम चल गया। सफ़र करते करते नेपाल में उसके पैसे खत्म हो गए तो उसने यात्रा खत्म करने सोची। इसे अपने फ़ेसबुक पर शेयर किया तो मित्रों ने पैसों के अभाव में यात्रा नहीं खत्म करने कहा और सहायता कर दी। जिससे यात्रा चलते रही।
रोनाल्डों अपने स्कूटर पर अन्य सामग्रियों के साथ एक तम्बू रखता है, जहां वह अनुकूल जगह पाता है वहां खाना बनाता है। यदि स्थानीय लोगों द्वारा आमंत्रित किया जाता है, तो वह स्थानीय व्यंजनों को चखने से दूर नहीं रहता है। “कई जगहों पर, स्थानीय लोगों ने मेरा अपने घर में स्वागत किया है। कई मोटरबाइक क्लब थे जिन्होंने मुझे फेसबुक पर अपनी यात्रा पढ़ने के बाद उनके साथ रहने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने मेरी कहानियों को सुना और उनका साझा किया। यह एक समृद्ध सीखने का अनुभव था। ।
कोयंबटूर से वह कर्नाटक, गोवा, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में गया। यह सात पूर्वोत्तर राज्य थे जहां उसने सबसे अधिक समय पांच महीने बिताए। कई जनजातीय परिवारों से मुलाकात की, उनके बच्चों को विज्ञान सिखाया एवं उनसे खेती सीखी। इस तरह अपने-अपने ज्ञान का आदान प्रदान किया।
रोनाल्डो का कहना है कि इस भारत यात्रा ने उसे बहुत बदल दिया। मैं शहरों से दूर जाना चाहता हूँ एवं गावों में एक घर बनाकर बसना चाहता हूँ, जहाँ खेती करके जीवन यापन करने की बहुत इच्छा है। वहाँ बच्चों को भी खेती एवं अन्य कार्य स्वयंसेवक के तौर पर सिखाना चाहता हूँ। रोनाल्डो की यह यात्रा पुद्दूचेरी पहुंची है, हो सकता है कि अब आगे बढ़ गया हो। क्योंकि यायावरी अधिक दिन एक स्थान पर टिकने कहाँ देती है।
साभार The Hindu
स्कूटर पर यात्रा करने के ज़ज़्बे को सलाम । ऐसे ही साहसी लोग यायावरी की मशाल जलती रख्खे हुए है । आशा है दुसरो को भी इसका असर होगा और इनको फॉलो करेंगे ।
वाह रोनाल्डो शालो बहुत खूब ???❤️
मेरा भी कुछ ऐसा ही मन था पर तब ( 1977) की परिस्थिति एकदम अलग थी ओ भी लड़की के लिए ⭐⭐⭐⭐⭐
गजब का जनून..
It’s Amezing and great work with self
Good job..
I my dream I’ll do this type trip..