छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में युक्तियुक्तकरण की पहल
रायपुर, 21 मई 2025। छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा को अधिक प्रभावशाली और संतुलित बनाने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शुरू की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जरूरतमंद क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक उपलब्ध हों और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, उपयुक्त शैक्षणिक वातावरण तथा आवश्यक सुविधाएं मिल सकें।
क्या है युक्तियुक्तकरण?
युक्तियुक्तकरण का आशय है – स्कूलों और शिक्षकों की पुनर्संरचना इस तरह से करना कि सभी विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित हो और कोई भी स्कूल शिक्षकविहीन न रहे।
राज्य की वर्तमान स्थिति
छत्तीसगढ़ में कुल 30,700 प्राथमिक शालाएं और 13,149 पूर्व माध्यमिक शालाएं संचालित हो रही हैं।
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प्राथमिक स्कूलों में औसतन 21.84 छात्र प्रति शिक्षक और पूर्व माध्यमिक स्कूलों में 26.2 छात्र प्रति शिक्षक हैं, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर स्थिति है।
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इसके बावजूद, 212 प्राथमिक स्कूल पूरी तरह शिक्षकविहीन हैं, जबकि 6,872 प्राथमिक स्कूलों में केवल एक शिक्षक कार्यरत है।
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पूर्व माध्यमिक स्तर पर 48 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं, और 255 स्कूलों में एक ही शिक्षक हैं।
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चिंताजनक बात यह है कि 362 स्कूल ऐसे भी हैं जहां शिक्षक तो हैं, लेकिन एक भी छात्र नहीं है।
शहरी क्षेत्रों में विषमता
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527 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 10 या उससे कम है।
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1,106 स्कूलों में यह अनुपात 11 से 20, और
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837 स्कूलों में 21 से 30 के बीच है।
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जबकि 245 स्कूलों में यह अनुपात 40 या उससे अधिक है, यानी वहां छात्रों की तुलना में शिक्षकों की संख्या बहुत कम है।
युक्तियुक्तकरण के संभावित लाभ
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जिन स्कूलों में छात्र कम लेकिन शिक्षक अधिक हैं, वहां से शिक्षकों को उन स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा जहां शिक्षक नहीं हैं।
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इससे शिक्षकविहीन और एकल-शिक्षक वाले स्कूलों की समस्या दूर होगी।
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संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और संचालन लागत में कमी आएगी।
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यदि एक ही परिसर में प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी तक की कक्षाएं संचालित होती हैं, तो छात्रों को बार-बार प्रवेश (admission) की प्रक्रिया से गुजरना नहीं पड़ेगा, जिससे शिक्षा में निरंतरता बनी रहेगी।
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इससे ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी और बेहतर सुविधाएं (बिल्डिंग, लाइब्रेरी, लैब आदि) एक ही स्थान पर उपलब्ध कराना आसान होगा।
शिक्षा विभाग की स्पष्टता
शिक्षा विभाग ने कुछ शैक्षिक संगठनों द्वारा युक्तियुक्तकरण को लेकर उठाए गए संदेहों को भ्रामक बताया है। विभाग का स्पष्ट कहना है कि इसका उद्देश्य किसी भी स्कूल को बंद करना नहीं, बल्कि उसे सुदृढ़ और प्रभावी बनाना है। यह निर्णय पूरी तरह से बच्चों के हित और शिक्षकों की उपयुक्त तैनाती को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।