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सांस्कृतिक विरासत पर संकट: मयमनसिंह में सत्यजीत रे परिवार के घर को तोड़ा गया

मयमनसिंह, बांग्लादेश में विश्वविख्यात फिल्म निर्माता सत्यजीत रे के पैतृक घर को तोड़ा जा रहा था, घर को तोड़ने के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। घर को तोड़ने की घटना ने भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक तनाव को उजागर किया है। यह घर, जो उनके दादा उपेंद्रकिशोर रे चौधरी ने एक सदी पहले बनवाया था, बंगाल के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है।  इस घटना ने कट्टरपंथियों के नेतृत्व में चल रही बंगलादेश की सरकार की हिन्दू नफ़रत की भावनाएं दिखाई दे रही हैं।  दोनों देशों के बीच बढ़ती दूरी और बांग्लादेश में भारत के प्रति बढ़ती नकारात्मक भावनायें दिखाई दे रही हैं। इस घटना को लेकर भारत में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

सांस्कृतिक महत्व

यह घर केवल एक इमारत नहीं, बल्कि भारत और बांग्लादेश की साझा सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। उपेंद्रकिशोर रे चौधरी एक प्रसिद्ध प्रकाशक, लेखक और चित्रकार थे, जिन्होंने तुन्तुनिर बोई जैसी रचनाएँ दीं। उनके बेटे सुकुमार रे ने आबोल ताबोल जैसे व्यंग्यात्मक काव्य से बंगाली साहित्य को समृद्ध किया, और सत्यजीत रे ने अपनी फिल्मों के माध्यम से बंगाली सिनेमा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। इस घर का संरक्षण दोनों देशों की सांस्कृतिक एकता को बनाए रखने का प्रतीक हो सकता है।

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विध्वंस की योजना और भारत की प्रतिक्रिया

मयमनसिंह के हरीकिशोर रे चौधरी रोड पर स्थित यह एकल मंजिला घर, जो कभी रे परिवार का निवास था, 1989 से 2007 तक मयमनसिंह शिशु अकादमी के रूप में कार्यरत रहा। 2007 के बाद से यह परित्यक्त और जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। बांग्लादेश सरकार ने इस इमारत को तोड़कर नई अर्ध-कंक्रीट संरचना बनाने का फैसला किया था, जिसका कारण इसकी खराब स्थिति और सुरक्षा जोखिमों को बताया गया।

इस योजना की खबर ने भारत में तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न की। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे “बेहद दुखद” बताते हुए दोनों देशों की सरकारों से इस ऐतिहासिक स्थल को संरक्षित करने की अपील की। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी खेद व्यक्त करते हुए इस इमारत को साहित्य संग्रहालय में बदलने के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता की पेशकश की। भारत के इस दबाव के बाद, 16 जुलाई 2025 तक विध्वंस को रोक दिया गया, और अब इस संपत्ति के भविष्य पर चर्चा होने की संभावना है।

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बांग्लादेश में भारत के प्रति नफरत क्यों?

इस घटना ने बांग्लादेश में भारत के प्रति बढ़ती नकारात्मक भावनाओं को भी उजागर किया है। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भारत विरोधी भावनाएँ, जैसे कि सीमा विवादों और व्यापार असंतुलन को लेकर बहस, ने भी इस नकारात्मक धारणा को बढ़ावा दिया है। सत्यजीत रे के घर को तोड़ने की योजना को कुछ भारतीय टिप्पणीकारों, जैसे भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय, ने “बंगाली विरासत पर हमला” करार दिया, जिसने बांग्लादेश में रक्षात्मक प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न कीं। हालांकि, बांग्लादेशी अधिकारियों ने तर्क दिया कि यह निर्णय विशुद्ध रूप से व्यावहारिक था, और इसका कोई सांस्कृतिक या राजनीतिक मकसद नहीं था। फिर भी, इस घटना ने दोनों देशों के बीच संवाद की कमी को उजागर किया है।

भारत की सहायता से इस घर को साहित्य संग्रहालय में बदलने का प्रस्ताव दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा दे सकता है। यह न केवल रे परिवार की विरासत को संरक्षित करेगा, बल्कि भारत और बांग्लादेश के बीच साझा इतिहास को भी मजबूत करेगा। लेकिन इसके लिए दोनों देशों को आपसी विश्वास और संवाद को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि भारत के प्रति नकारात्मक भावनाओं को कम किया जा सके।

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