लोक की प्रमुख देवियाँ सतबहिनियाँ
छत्तीसगढ़ के जसगीतों एवं माता सेवा गीतों में सतबहिनिया का जिक्र अवश्य आता है। ये जसगीत या माता सेवा गीत नवरात्रि के पर्व में माता सेवा के रुप में गाये जाते हैं। सतबहिनिया के नाम से पूजित सात प्रमुख देवियाँ होती हैं, जिन्हें अंचल में आस्था और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। गावों में सतबहिनिया का स्थान भी होता है। यह देवियाँ जातीय एवं जनजातीय समाज में समान रुप से पूजित हैं। इन्हें सात बहनें या “सात देवी” के रूप में पूजा जाता है, जो मुख्य रूप से ग्रामीण और जनजातीय समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।
सतबहिनिया के नाम से पूजित माता चंडी, माता काली, माता दुर्गा, माता अन्नपूर्णा, माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, माता भवानी हैं, जिनकी पूजा एवं आराधना सकल समाज करता है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों और गांवों में इन देवियों की पूजा होती है। खासकर बस्तर, सरगुजा, बिलासपुर, रायगढ़, जशपुर, रायपुर और दुर्ग जैसे जिलों में इनकी विशेष मान्यता है। इनकी पूजा में गाँवों में सामूहिक अनुष्ठानिक रुप में होती है और इन्हें संकटों से मुक्ति और कल्याण की प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
छत्तीसगढ़ में “सातबहिनियाँ” या “सात बहनें” के रूप में पूजित देवियों की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता अत्यधिक है। ये सात देवियाँ ग्रामीण और आदिवासी समाज की गहरी धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई हैं, और इनकी पूजा विशेषकर सुरक्षा, समृद्धि, और आपदाओं से मुक्ति के लिए की जाती है। ये देवियाँ लोक आस्थाओं और मान्यताओं से जुड़ी हुई हैं, और इनका संबंध शक्ति, रक्षा और कल्याण से होता है। इनकी पूजा के पीछे छत्तीसगढ़ के लोक विश्वासों और परंपराओं का गहरा असर है।
वे सात देवियाँ जिन्हे सतबहिनियाँ के रूप में पूजा जाता है, इन देवियों को ग्रामीण अंचल में अन्य स्थानीय नामों से भी जाना जाता है:
माता चंडी – माता चंडी को शक्ति और विनाश की देवी के रूप में जाना जाता है। ये बुराई का नाश करने और भक्तों की रक्षा करने वाली देवी मानी जाती हैं।
माता काली – माता काली को समय और मृत्यु की देवी माना जाता है। ये विनाशक रूप में होती हैं, जो भक्तों के शत्रुओं और नकारात्मकता को खत्म करती हैं।
माता दुर्गा – माता दुर्गा का रूप सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है। वे शेर पर सवार होती हैं और महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजित होती हैं। नवरात्रि के दौरान उनकी पूजा का विशेष महत्त्व है।
माता अन्नपूर्णा- माता अन्नपूर्णा को अन्न की देवी के रूप में जाना जाता है। वे समृद्धि और खाद्यान्न की पूर्ति का प्रतीक मानी जाती हैं।
माता लक्ष्मी – माता लक्ष्मी समृद्धि, धन, और वैभव की देवी हैं। उनकी पूजा से सुख-समृद्धि और संपन्नता की प्राप्ति होती है।
माता सरस्वती – माता सरस्वती विद्या, संगीत, और कला की देवी हैं। उन्हें बुद्धि, ज्ञान, और शिक्षा का प्रतीक माना जाता है।
माता भवानी – माता भवानी शक्ति और साहस की देवी के रूप में जानी जाती हैं। वे युद्ध और विजय की देवी हैं, और उनकी पूजा संकटों से बचने के लिए की जाती है।
पूजा का स्वरूप और महत्त्व
सातबहिनियों की पूजा का स्वरूप सामान्यतः सामूहिक और परंपरागत होता है। गाँवों में विशेष रूप से महिलाएँ इनकी पूजा में भाग लेती हैं और लोकगीतों और नृत्यों के साथ इन्हें प्रसन्न करती हैं। नवरात्रि, चैत्र नवरात्र और अन्य लोक पर्वों में इन देवियों की पूजा का विशेष महत्त्व होता है। लोग इनके आगे मन्नत माँगते हैं और संकटों से मुक्ति की कामना करते हैं। इनकी पूजा में निम्नलिखित विशेषताएँ प्रमुख रूप से देखी जाती हैं:
सामूहिक पूजा: ग्राम और कस्बों में लोग सामूहिक रूप से इन देवियों की पूजा करते हैं। इसमें गाँव की महिलाएँ प्रमुख भूमिका निभाती हैं और पारंपरिक गीत गाकर देवियों को प्रसन्न करती हैं।
प्राकृतिक पूजा स्थल: अक्सर ये पूजा किसी पेड़ के नीचे, नदी के किनारे, या गाँव के बाहर बने हुए छोटे मंदिरों में की जाती है। इन पूजा स्थलों को अत्यधिक पवित्र माना जाता है।
नवरात्रि का विशेष महत्त्व: छत्तीसगढ़ में नवरात्रि के दौरान सातबहिनियों की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है। इस दौरान पूरे नौ दिन तक गाँवों में भव्य धार्मिक अनुष्ठान और मेले आयोजित होते हैं।
सातबहिनियों की लोककथाएँ और आस्थाएँ
छत्तीसगढ़ में सातबहिनियों से जुड़ी कई लोककथाएँ और आस्थाएँ प्रचलित हैं। यह कहा जाता है कि सातों बहनें विभिन्न शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो संकटों से मुक्ति दिलाती हैं। लोककथाओं में इनके चमत्कारिक कार्यों और देवताओं की सहायता करने की कहानियाँ सुनाई जाती हैं। ग्रामीण समाज में यह मान्यता है कि ये देवियाँ गाँव और परिवार की रक्षा करती हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन की समस्याओं का समाधान होता है।
छत्तीसगढ़ में सातबहिनियाँ देवी पूजा ग्रामीण और जनजातीय समाज के धार्मिक जीवन का अहम हिस्सा है। इनकी पूजा लोक संस्कृति और परंपराओं में गहरे रूप से रची-बसी है। चाहे वह प्राकृतिक पूजा स्थल हो या प्रमुख मंदिर, सातबहिनियों की पूजा में श्रद्धालु पूरी आस्था और समर्पण के साथ भाग लेते हैं।