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समाज के हर वर्ग तक पहुंचेगा संगठन का संदेश : संघ का शताब्दी संकल्प

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने शताब्दी वर्ष को सामाजिक समरसता और संगठन विस्तार का वर्ष बनाने का संकल्प लिया है। इसी कड़ी में प्रदेश भर में संघ की गतिविधियों का दूसरा चरण प्रारंभ हो गया है, जिसके अंतर्गत समाज के विभिन्न वर्गों—ऑटो, ट्रक, टैक्सी चालक, किसान, व्यापारी और वकीलों तक—संघ का संदेश पहुंचाया जाएगा।

संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बताया कि शताब्दी वर्ष केवल उत्सव का नहीं, बल्कि जन-जन तक पहुंचने और समाज को आत्मनिर्भर एवं संगठित बनाने का अवसर है। इस उद्देश्य से छत्तीसगढ़ के लगभग 2000 स्थानों पर नवंबर माह में “पथ संचलन” और “घर-घर संपर्क अभियान” चलाया जाएगा।

हर घर तक पहुंचेगा भारत माता का संदेश

2 से 15 नवंबर तक चलने वाले इस अभियान में स्वयंसेवक गांवों, नगरों और बस्तियों में पहुंचकर प्रत्येक हिंदू परिवार को संघ के कार्यों, शताब्दी यात्रा और संगठन की भूमिका से अवगत कराएंगे। इस दौरान भारत माता की तस्वीर भेंट की जाएगी तथा संघ के साहित्य का वितरण किया जाएगा।
संघ का मानना है कि सामाजिक जागृति और राष्ट्रीय एकता तभी संभव है जब समाज के सभी वर्ग एक धागे में जुड़े रहें।

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युवा, व्यापारी और किसान होंगे अभियान का केंद्रबिंदु

अभियान का अगला चरण युवाओं और श्रमिक वर्ग पर केंद्रित रहेगा। जनवरी 2026 में राज्य के 221 स्थानों पर युवा महोत्सव आयोजित किया जाएगा, जिसमें 152 खंडों और 69 नगरों के युवा भाग लेंगे।
इन आयोजनों में युवाओं की सामाजिक भूमिका, रोजगार, शिक्षा और राष्ट्रनिर्माण में योगदान जैसे विषयों पर संवाद होगा।

इसके बाद मार्च 2026 में “प्रमुख जन गोष्ठियां” होंगी, जिनमें ट्रक-ऑटो चालक, किसान, व्यापारी, वकील और अन्य पेशेवर समूहों को शामिल कर समाज में संगठन की भावना को और सशक्त किया जाएगा।

दिसंबर में होंगे व्यापक हिंदू सम्मेलन

संघ दिसंबर 2025 में प्रदेश भर में हिंदू सम्मेलनों की श्रृंखला आयोजित करेगा।
राज्य के 1601 स्थानों पर होने वाले इन सम्मेलनों में से 666 नगर स्तर पर होंगे, जबकि शेष ग्रामीण अंचलों में। प्रत्येक सम्मेलन में लगभग 8 से 10 गांवों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
इन सम्मेलनों का उद्देश्य समाज के भीतर समरसता, परस्पर सहयोग और सांस्कृतिक एकजुटता को मजबूत बनाना है।

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शाखा विस्तार और साहित्य वितरण से सशक्त होगा अभियान

अभियान के दौरान 15 रुपये मूल्य की पुस्तिकाएं वितरित की जाएंगी, जिनमें संघ के इतिहास, उद्देश्यों और कार्यों का सार होगा। यह साहित्य समाज को संगठन की विचारधारा से जोड़ने का माध्यम बनेगा।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 1855 शाखाएं सक्रिय हैं, और शताब्दी वर्ष तक प्रत्येक प्रखंड और नगर में शाखा स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।

एकता और आत्मगौरव की ओर कदम

संघ के अनुसार यह अभियान केवल संगठन विस्तार नहीं, बल्कि आत्मगौरव, सामाजिक एकता और राष्ट्रप्रेम की भावना को सशक्त करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
शताब्दी वर्ष के अवसर पर संघ यह संदेश दे रहा है कि “हर व्यक्ति, हर वर्ग और हर क्षेत्र राष्ट्रनिर्माण की धारा का अभिन्न हिस्सा है।”