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सचिन जांगड़ा : बाइकर जो रखता है हौसला एवरेस्ट सा।

घुमक्कड़ जंक्शन पर आज आपकी मुलाकात करवाते हैं बाइक के दीवाने बाइकर सनौली जिला पानीपत हरियाणा निवासी सचिन जांगड़ा से। सचिन जांगड़ा में बाइक को लेकर इतनी दीवानगी है कि यह बाइक से एवरेस्ट भी फ़तह करने का हौसला रखता है। गजब का जुनूनी बाइकर है। इसने बाइक से लाख किमी से अधिक की यात्राएँ कर ली, जो यात्राएँ लोग 500 एवं 350 CC की रायल इन्फ़ील्ड से करते हैं वह यात्राएँ सचिन 100 CC की बाइक से करते हैं। दूर्गम स्थानों पर बाइक से सोलो यात्राएँ करने के लिए हौसला चाहिए। यह हौसला इस बंदे के पास है, मुझे आशा है कि अगर उचित मार्गदर्शन एवं संसाधन मिल जाए तो भविष्य में यह कोई न कोई कीर्तिमान जरुर स्थापित करेगा। आईए सचिन से चर्चा करते हैं घुमक्कड़ी की……

1 – आप अपनी शिक्षा दीक्षा, अपने बचपन का शहर एवं बचपन के जीवन के विषय में पाठकों को बताएं कि वह समय कैसा था?
@ मेरी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा मेरे गाँव सनोली से ही शुरु हुई थी। यहां दसवीं कक्षा उतीर्ण करने के पश्चात आगे की पढ़ाई के लिये पानीपत (जिला) शहर (गाव से 15km दूर)जाना हुआ और फिर यही सिलसिला आगे बढ़ते हुए दिल्ली (मुखर्जी नगर)तक पहुँच गया।। अपने गाँव से पानीपत स्कूल जाने के लिये खचाखच भरी हुई बस में लटक के जाने में बड़ा रोमांच आता था।।
उसके बाद दिल्ली आने के बाद सिविल सर्विसेज एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी। 4 साल तक पढ़ाई के दौरान दो बार सिविल एग्जाम देकर सफलता हासिल नही हुई। परन्तु इसी समय राज्य सिविल एग्जाम देते देते घुमक्कड़ी चालू हो गई। जब भी कोई राज्य सिविल एग्जाम आता तुरन्त उसका फॉर्म भर के एग्जाम सेंटर दूरस्थ सी जगह लेकर उस सफर का मज़ा लिया जाता था। मेरे मित्र कहते थे कि ये पागल हो गया है, जब सेंटर दिल्ली है तो ये हज़ारों किलोमीटर दूर क्यों डालता है। उनको क्या पता घुमक्कड़ी के बीज पड़ चुके थे याने के शुरुवात हो चुकी थी। इन चार सालों ने मेरा दुनिया देखने का नज़रिया ही बदल दिया था। जो चीज़ कभी किताबो में पढ़ता था या किसी से सुनता था,अब वो में खुद देख रहा था या यूं कहें कि घुमक्कड़ी के अंकुर मेरे इसी समयकाल में निकले।

2 – वर्तमान में आप क्या करते हैं एवं परिवार में कौन-कौन हैं?
@वर्तमान में मेरा अपना खुद का सरसों तेल,ओर मिनी राइस प्लान्ट के साथ साथ लकडी का भी काम है। मेरे परिवार में माता-पिता, पत्नी, मेरे से छोटा एक भाई हैं और मैं दो पुत्र ओर एक पुत्री का पिता के रूप में कर्तव्य निर्वहन कर रहा हूँ।

3 – घूमने की रुचि आपके भीतर कहाँ से जागृत हुई?
@जब मैं क्लास में होता तो खासकर के भूगोल वाली में तो बड़े ध्यान से टीचर को सुनता और खूब नक्शे पढ़ता था। एक समय था जब में संसार का नक्शा बिना देखे बना देता था। मेरे मन के अंदर की जिज्ञासा, जानने की भावना ने ही मुझे घुमक्कड बना दिया। जब भी मैं कोई फिल्म देखता हूँ तो उसमें कोई अच्छी लोकेशन आती है जो मुझे मन को भा जाए तो मैं उसे तुरंत नोट कर लेता था और फ़िर मैने काफी राज्य घूम लिए।
काफी जगह को देख लिया है। दैनिक जागरण में महीने के अंत मे एक कि यात्रा का पेज आता था। जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार रहता था और जब भी उस में जो यात्रा लिखी रहती थी तो मैं उस पेज को खूब पढ़ता था और वहां पर जाने की सोचता था बस। इसी दौरान कुछ दोस्त बनते चले गए जिन्हें मेरे बारे में पता चला। मैं अब उनके साथ यात्रा करता हूँ। उनके साथ चला गया, वे धार्मिक तरीके के लोग थे, परंतु मुझे यात्रा करने से मतलब था चाहे वो धार्मिक हो, साहित्यक हो या और। इसी से मुझे फायदा हुआ मैं भारत के 12 ज्योतिर्लिंग और भारत के चार धाम पूरा कर चुका हूँ सन 2017 तक। इस प्रकार मेरी घूमने की रुचि दिनों दिन और बढ़ती चली गई जो अब भी अनवरत जारी है।

4 – किस तरह की घुमक्कड़ी आप पसंद करते हैं, ट्रेकिंग एवं रोमांचक खेलों भी क्या सम्मिलित हैं, कठिनाइयाँ भी बताएँ ?
@मुझे अब सभी तरह की घुमक्कड़ी पसंद है । परंतु शुरूआत में मैं बहुत ही लिमिटेड घुमक्कड़ी किया करता था और बाइक से घूमना मुझे शुरु से ही बेहद पसंद रहा है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के काफी जगह को बाइक से घूम चुका हूँ। उत्तराखंड के चारों धाम बाइक से पूरे कर चुका हूं।। हजारों किलोमीटर की यात्रा मैं बाइक से अनवरत कर सकता हूँ। बिना रूके बिना थके कहीं भी बाइक से जा सकता हूं।
आज मैं घूमने के मामले में बाइक को भी तवज़्ज़ो देता हूँ। ट्रैकिंग भी मेरे लिस्ट में अब आ गई है, शुरुआत में में ट्रेकिंग से बहुत डरता था, पर अब मैंने ट्रैकिंग कर-कर के इस चीज की हवा को निकाल दिया है। घूमने के मामले में मुझे ट्रैकिंग में कुछ कठिनाइयां आती है परंतु अब वह आसानी से पार कर लेता हूँ। अनुभव बढ़ रहा है बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है।

5. उस यात्रा के बारे में बताएं जहाँ आप पहली बार घूमने गए और क्या अनुभव रहा?@मैं सन 2013 में सर्वप्रथम 3 रात 3 दिन की लंबी रेल यात्रा से रामेश्वरम गया था। मेरी जिंदगी की सबसे लंबी रेल यात्रा थी उस समय की। वहां जाने के बाद धनुषकोडी बीच पर जब मैंने समुंदर को देखा था, अथाह जलराशि को देखकर मैं पागल हो गया था और समुंदर के अंदर बिना चप्पल जूते उतारे बहता चला गया। कुछ समय के लिए मैं अपने होश खो बैठा था इतनी जलराशि, इतना बड़ा समुंदर चारों तरफ पानी ही पानी देखकर मैं सुध-बुध खो गया
अपने उत्तर भारत से एकदम अलग रामेश्वरम दक्षिण भारत, जहां पर खानपान लोगों का रहन-सहन, उनका साहित्य, संस्कृति सब कुछ अलग था। वह देखकर मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। अब तक जो जिन चीज को किताबों में पढ़ता आ रहा था कि भारत विभिन्नताओं का देश है उसको मैने अपनी आंखों से साक्षात देखा है।

6 – घुमक्कड़ी के दौरान आप परिवार एवं अपने शौक के बीच किस तरह सामंजस्य बिठाते हैं?@अधिकांश मेरी घुमक्कड़ी अकेले या दोस्तों के साथ ही होती है। परिवार वालों के साथ में कम ही घुमक्कड़ी कर पाता हूँ क्योंकि उनके लिए घुमक्कड़ी में हर समय सभी तरह की सुख सुविधाओं का ख्याल रखना पड़ता है। उनके लिए मैं अलग से ट्रिप बनाता हूँ क्योंकि मेरी घुमक्कड़ी ज्यादातर बाइक पर होती है और ऐसे में परिवार वालों को घुमक्कड़ी करवाना मुश्किल हो जाता है। उनको मैं साल में एक दो या तीन ट्रिप कार से करवा देता हूँ जिससे उनके और मेरे बीच में सामंजस्य बैठा रहता है।

7– आपकी अन्य रुचियों के विषय में बताइए?@गाने सुनना, फिल्म देखना, यू ट्यूब पे घुमक्कड़ के चैनल को देखना, और खाने-पीने का बेहद शौकीन इंसान हूँ। इसी के साथ साथ कभी कभी थोड़ा बहुत रसोई में हाथ आजमा लेता हूँ। नई नई चीजों को एक्सप्लोर करना, साथ में बाइक चलाना और कभी-कभी बाइक पर हाथ आजमाना, बाइक रिपेयरिंग खुद करना। बाइक की कार्यप्रणाली को समझना, खाली समय में उसको जांच करना यह सब मेरी अन्य शौकों में शामिल है।

8-– घुमक्कड़ी (देशाटन, तीर्थाटन, पर्यटन) को जीवन के लिए आवश्यक क्यों माना जाता है?

@यदि हम घुमक्कड़ी नहीं करेंगे तो हम देश दुनिया से अलग थलग पड़े रहेंगे। हमें कभी भी नहीं पता चलेगा की हमारा भारत देश विविधताओं से भरा हुआ है। यदि इसको महसूस करना है, अपनी आँखों से देखना है तो घुमक्कड़ी करनी ही पड़ेगी। यदि एक ही समय में बर्फ को और उसी समय में 40 डिग्री का तापमान और उसी समय तपती रेत के अंतर को समझना है तो हमें भारत की घुमक्कड़ी करनी बेहद जरूरी है।

9-आपकी सबसे रोमांचक यात्रा कौन सी थी, अभी तक कहाँ कहाँ की यात्राएँ की और उन यात्राओं से क्या सीखने मिला?

@मेरी सबसे रोमांचक यात्रा केदारनाथ की थी क्योंकि मैंने अब तक 11 ज्योतिर्लिंग की यात्रा कर चुका था और मेरा अभी केदारनाथ बचता था । यह मेरे लिए बहुत रोमांचक यात्रा साबित हुई। मैं इस यात्रा में पूरा पैदल गया, जिससे मुझे हमेशा से डर लगता रहता था। परंतु मैंने यह यात्रा बहुत ही बढ़िया तरीके से कर ली यह मेरे लिए बहुत ही रोमांचकारी सिद्ध हुई।
अब तक 12 ज्योतिर्लिंग के साथ साथ 4 धाम भारत के और 4 धाम उत्तराखण्ड के, 8 बार वैष्णो देवी, जम्मू एंड कश्मीर के (बारामुला) से लेकर कन्याकुमारी (लास्ट छोर स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल कन्याकुमारी)तक। पूरी से द्वारका तक घूम चुका हूँ। भारत के तीनों तरफ का समुन्दर निहारा चूका हूँ और लगभग भारत के 25 राज्य, केंद्रशासित प्रदेशो में अब तक घूम चुका हूँ।
लगभग मैने लाख किमी की यात्रा अपनी हीरो होन्डा 100 CC बाईक से कर ली है। पहाड़ों में लोग जहाँ इन्फ़िल्ड जैसे 350 CC एवं 500 CC की गाड़ी लेकर जाते हैं वहाँ मैने अपनी 100 CC बाईक से घुमक्कड़ी कर ली है। मेरी कुछ बाईक यात्राएँ इस प्रकार हैं –
पानीपत से से हरिद्वार होते हुए केदारनाथ, त्रियुगीनारायण मंदिर 900 किमी, पानी से हरिद्वार, देहरादूर होते हुए लाखामंडल, पुरौला, चौपाल, शिमला, दिल्ली 1100 किमी, पानीपत से कालका, कंडाघाट, चायल, कुफ़री, चकराता, यमुनागर, पानीपत 1200 किमी, पानीपत से जलोड़ी जोत व्ह्यया शिमला 1100 किमी, पानीपत से मंडी रिवाल्सर झील, पराशर झील, मनाली से पानीपत 1500 किमी, पानीपत से नीलकंठ 500 किमी, पानीपत से बदरीनाथ 1000 किमी, पानीपत से नागटिब्बा 800 किमी, पानीपत से शिमला 600 किमी, पानीपत से गंगोत्री 1100 किमी, पानीपत से रेणुका झील 600 किमी, पानीपत से देवरिया ताल, बनियाकुंड, कार्तिक स्वामी, 1100 किमी, पानीपत से कसौली 700 किमी, पानीपत से डांडा नागराज, देवगढ़, पौड़ी, लैंसडौन 1300 किमी, पानीपत से ताड़केश्वर महादेव लैंसडौन 1200 किमी, पानीपत से द्वारीखाल, बरसुड़ी 800 किमी, पानीपत से चंडीगढ़, पंचकुला, मोरनी हिल, टिक्कर ताल 900 किमी, पानीपत से मथुरा वृंदावन, गोवर्धन, 800 किमी, पानीपत से पुष्कर, जयपुर, अजमेर, दौसा भानगढ़ 1500 किमी। अभी तो इतनी ही याद थी, इसके अलावा मैने अन्य बाईक यात्राएं भी की हैं और आगे भी जारी रहेंगी।

10-घुमक्कड़ों के लिए आपका क्या संदेश हैं?

@मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नही। यदि देश दुनिया को जानना है, विभिन्नताओ को देखना है, एक ही समय में अलग अलग मौसम, वातावरण को महसूस करना है तो निकल पड़ो फककड़ो की तरह घुमक्कड़ी करने।

19 thoughts on “सचिन जांगड़ा : बाइकर जो रखता है हौसला एवरेस्ट सा।

  • October 9, 2017 at 00:30
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    सचिन भाई की हिम्मत है कि वह 100cc मोटरसाइकिल से पहाड़ों में घूमते हैं.. मैं सचिन भाई से व्यक्तिगत रूप से दो बार मिल चुका हूं बहुत ही अच्छे इंसान हैं.. और जैसा ऊपर साक्षात्कार में लिखा है.. वे इसके बारे में मुझे पहले ही बता चुके हैं.. सचिन भाई के साथ मेरी भी घूमने की मेरी भी दिली इच्छा है..

  • October 9, 2017 at 07:28
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    सचिन भाई के हौसले को दाद देनी पड़ेगी।
    bike पर हवा ,पानी ,गर्मी ,ठंड से बचाव का कोई जुगाड़ न होते हुए भी
    यात्रायें करते हैं ।

    बहुत बहुत बधाई ।
    हमारे 9 ज्योतिर्लिंग हुए हैं
    तीन धाम भी ।

    बदरीनाथ
    केदार नाथ
    भीमा शंकर
    घ्रिश्णेश्वर
    बचे हैं ।

  • October 9, 2017 at 07:35
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    बाइक चलाने के लिए जिगरा चाहिए। बहुत कम लोगों में यह देखने को मिलेगा।
    हंगा तो जांगडा भाई में है ही।

  • October 9, 2017 at 07:35
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    ओ बेट्टे ! आज तो बहू अर बालका की बताए दी तन्नै । जांगड़ा की बराबर में मैं तो किसे नै मानता नहीं ।

  • October 9, 2017 at 08:18
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    बहुत बढ़िया भाई । वैसे तो कुछ भी ऐसा नहीं है जो मुझे नया पता चला हो पर वो सब इस तरह इतने बड़े प्लेटफॉर्म पर देखकर सचमुच अच्छा लगा “दिल से”.

  • October 9, 2017 at 09:21
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    वाह मेरे शेर…?
    ऐसे ही बढ़ते चलो जांगड़ा….कोई मन्ज़िल दूर ना है तुमसे और तुम्हारी बाइक से..मेरी शुभकामनाएं ??

  • October 9, 2017 at 09:43
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    आज एक नए रहस्य पर्दा उठ गया । आगामी घुमक्कड़ी के लिए शुभकामनाएं

  • October 9, 2017 at 09:58
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    शानदार साक्षात्कार सचिन भाई, आपके बारे में वैसे तो पहले से भी काफ़ी कुछ पता था लेकिन साक्षात्कार से आपके बारे में काफ़ी कुछ नया जानने को मिला ! अपनी घुमककड़ी यूँ ही जारी रखिए !

  • October 9, 2017 at 10:16
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    सचिन जी के बारे में जानके बहोत हर्ष महसूस हो रहा है, मैं सचिन जी से कभी मिला तो नही हूँ लेकिन हां एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से उनको और अन्य सभी घुमक्कड़ मित्रों को पढ़ता रहता हूँ।। बाइक से इतनी साहसिक यात्रा करना हर एक के बस की बात नही है आपकी ललक और घुमक्कड़ी की पराकाष्ठा को सलाम।। आप नित नए कीर्तिमान बनाते रहें, शुभकामनाओं सहित।।

  • October 9, 2017 at 10:40
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    वाह सचिन भाई,आपकी बाइक का जुनून तो हम देख ही चुके है।(बल्कि अनुभव भी कर चुके है) अब आपकी घुमक्कड़ी से भी वाकिफ हो गए। बधाई हो आपको ,और आप जैसे घुमक्कड़ो से परिचय करवाने के लिए ललितजी का आभार।

  • October 9, 2017 at 11:16
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    क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर और घुमक्कड़ी में सचिन जांगड़ा दोनों का कोई मुकाबला नहीं, बहुत सहयोगी प्रवर्ति है सचिन भाई की….. एक बार बाइक पर यात्रा कर चुका हूं सचिन भाई के साथ छोटी सी…….आप अनवरत घुमक्कड़ी के नए आयाम बनाते रहे यही दुआ है रब से

  • October 9, 2017 at 14:35
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    बहुत खूब सचिन जी आपको इतनी ऊंचाई तक पहुंचा देख अति प्रसंता हुई। बस खेद इस बात का है कि आपके इर्द गिर्द हमेशा रहते हुए मझे कभी आपके साथ घूमने का मौका नहीं मिला। तम्मना है आपके साथ घूमने की। कभी कहीं घुम्मकड़ी का प्रोग्राम बने तो जरूर इस बंदे को याद कीजिएगा।

  • October 9, 2017 at 14:45
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    बहुत बढ़िया सचिन भाई , बधाई हो आपको।
    ललितजी का आभार।

  • October 9, 2017 at 15:51
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    सचिन भाई के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला, बढ़िया साक्षात्कार ।

    धन्यवाद ललित जी

  • October 10, 2017 at 02:33
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    Badhiya hai sachin jangda ji ne Ab trekking ko bhi list mei shamil kar liya jaanta to aapko pahle se hi thaa
    Par eis post ke madhyam se

    Achha lagaa aapko Aur adhik jaankar

  • October 10, 2017 at 09:07
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    शानदार! जबरजस्त!! जिंदाबाद!!!
    सचिन पर यही नारा फिट बैठता है। शानदार इसलिए कि सचिन की पर्सनेलिटी शानदार है। जबरजस्त ,इसलिए कि मोटर साईकिल से सफर करना और धांसू बाईक चलाना सचिन की खूबी है ।और जिंदाबाद इसलिए कि इसका सफर ऐसे ही नदी नालों ,पहाड़ो, रेगिस्थानो में बढ़ता रहे । ☺

  • October 10, 2017 at 15:09
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    जांगडा भाई आज के इस इंटरव्यू से आपके जीवन के बारे कुछ नया पता चला। आप एक अच्छे घुमक्कड़ होने के साथ एक बेहतरीन इंसान भी है। मैं वह खुशनसीब इंसान हूं जिसने आप के साथ यात्रा की हुई है। बस यही आशा है की आप घुमक्कडी को नया आयाम देते रहे।

  • October 23, 2017 at 15:09
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    सचिन भाई सुपर स्टार है… इनके जज्बे को सलाम.. 100cc की बाइक पर ऐसी दुर्गम यात्रा करने का साहस हर एक नही कर पाता.. मेरी भी भाई के साथ घूमने की इच्छा है,परन्तु बैक पेन के कारण बाइक पर इतनी सुदूर यात्रा करना असम्भव ही रहेगा..!

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