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गिरते भूजल स्तर और सूखते जल स्रोत से ग्रामीण क्षेत्र प्रभावित

अर्जुनी/रवान जिले में स्थापित प्रमुख सीमेंट संयंत्रो के परिधि में बसे गांवों में जल संकट गहराने लगा है। संयंत्र के बड़े-बड़े खदानों में भू जल स्रोत के रिसाव होने के कारण हजारों लीटर पानी का भंडारण संयंत्र के खदानों में हों रहा है। संयंत्र के खदान इतने गहरे हो चुके हैं कि संयंत्र प्रभावित गांवों का भू जल स्त्रोत खदानों में रिस कर भरने लगा हैं । संयंत्र का माइनिंग एरिया ग्राम के नजदीक होने के कारण व खदानों में हो रहे हैवी ब्लास्टिंग के कारण बड़े-बड़े चट्टानों में दरारें आ गई है जिससे गांव का भूजल स्त्रोत इन चट्टानों दरारों से होते हुए खदानों में जा रहा है संयंत्र द्वारा अपने खदानों के काफी बड़े भू भाग में पानी का भंडारण किया जा रहा है। जिसे संयंत्र द्वारा नियम विपरीत अपने संयंत्रो के मशीनों को ठंडा करने व अन्य उपयोग कर रहा है।

रोजाना हजारों लीटर पानी का उपयोग संयंत्र कर रहा है बड़े-बड़े पाइप के माध्यम से पानी संयंत्र में पहुंचाया जा रहा है। जिसके कारण गांव का भू जल स्त्रोत लगातार गिरते जा रहा है संयंत्र प्रभावित गांव के कृषि करने वाले किसानों को पानी की चिंता सताने लगी है। रवि फसल लगाने वाले किसान भी पानी की समस्या के कारण रबी फसल लगाना भी छोड़ रहे हैं। साथ ही रबी फसल उगाने वाले किसानों का फसल बचना भी मुश्किल हो रहा है।संयंत्रो का खदान जिले के दर्जनों गांवों तक पहुंच चुका है। जिससे इसके आसपास रहवासियों को पेयजल व निस्तारि की चिंता सताने लगी है खेतों में लगे ट्यूबवेल में नाम मात्र पानी आ रहा है।

गांव के तालाब,हैंड पंप, बोर सूखने लगे हैं। तालाबों का पानी सूखकर गंदा होने लगा है जिससे स्थानीय लोगों को निस्तारि की समस्या से जूझना पड़ रहा है । पशु, पक्षि जानवरों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। गांव का वाटर लेवल लगातार गिरने के कारण तालाब, पोखर, नल, हैंड पंप, बोर से पानी लेने के लिए ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पशु पक्षियों को पानी के लिए दूर-दूर तक भटकना पड़ रहा है । संयंत्र प्रभावित गांवों के बोर हेन्ड, पंम्प, नलों में पानी की धार कम होने लगा है। प्रभावित गांवों के प्रमुख निस्तारि की तालाबों की स्थिति भी बत से बत्तर होते जा रहा है।

तालाबों में पानी कम होने व ग्रामीणों के तालाबों निस्तारि के कारण पानी मटमैला होते जा रहा है। तालाबों के पानी से गंध आने लगा है। तालाब का पानी दूषित होने के कारण मछलियां मरने लगा है। तालाब में निस्तारी करने वाले लोगों को खूजली, चर्मरोग जैसे बिमारियों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में गर्मी के शुरुआती दिनों में ही जल संकट गहराने लगा है। पानी के लिए ग्रामीणों को काफी मस्कत करना पड़ रहा है। जिले में स्थापित सीमेंट संयंत्र, संयंत्र प्रभावित गांवों के लिए अभिशाप बनते जा रहा है। ग्रामीणों को पानी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। तालाब पोखर में नाममात्र पानी होने के कारण पशुओं को भी पानी के लिए भटकना पड़ रहा है।

जिले में स्थापित प्रमुख सीमेंट संयंत्र अपने फाउंडेशन के माध्यम से प्रभावित गांवों में जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण पर दिवालों में बड़े बड़े वाल पेंटिंग कर डिगें हांकने से बाज नहीं आते है। वहीं जमीनी स्तर में ये सारे डिगें खोखले साबित होते नजर आते हैं। जिले के संयंत्र प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों का अगर सर्वे किया जाए तो संयंत्र से होने वाले समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। परंतु संयंत्र के अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सांठ गांठ कर समस्याओं को दूर करने के बजाय अपने निजी हितों को साधने में लगे रहते हैं। जिसके कारण प्रभावित ग्रामीण अपने आप में ठगा महसूस कर रहे हैं।

जिले के चारों ओर सीमेंट संयंत्र स्थापित होने व सीमेंट संयंत्रो के खदानों में अंधाधुंध खोदाई और विस्तार के कारण जिला मुख्यालय बलौदा बाजार एक बंजर टापू के रूप में तेजी से तब्दील हो रहा है। जिले का वाटर लेवल बहुत नीचे चला गया है जिसके कारण बोर खुदाई के दौरान पानी मिलना भी मुश्किल हो गया है।

बोर खोदाई में पानी लगभग पांच से सात सौ फिट में मुश्किल से मिल पा रहा है। शहरी क्षेत्र में सार्वजनिक वितरण के लिए लगे हुए बोर व ग्रामीण क्षेत्रों के नल जल योजना भी अब जवाब देने लग गये है। जिले के चारों तरफ सीमेंट संयंत्र होने के कारण जिले का तापमान तेजी से बढ़ रहा है जिससे जिले में वाटर लेवल बनाए रखने के लिए सहायक छुईहा जलाशय व कुकुरदी जलाशय भी सुखने लगा है। गर्मी के दिनों में इन दोनों जलाशयों में पानी भरे होने से जिले में वाटर लेवल हमेशा बना रहता था । परंतु अब इन जलाशयों में भी पानी सिमटने लगा है। जिसके दुष्परिणाम स्वरूप जिले का वाटर लेवल तेजी से गिर रहा है।

संयंत्र लगने से पूर्व संयंत्र के अधिकारी प्रभावित गांवों में जोरों शोरों से पर्यावरण संरक्षण व बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे सुविधाओं देने के लिए ढिंढोरा पीटते रहती है परंतु जैसे ही संयंत्र लगकर तैयार होता है वैसे ही प्रभावित ग्रामीणों से किए गए विकास के वादे ठंडा बस्ते में चला जाता है। “इस संबंध में जिला खनिज के.के. बंजारा ने कहा कि यह विभाग हमारे अंतर्गत नहीं आता हमें इसकी जानकारी नहीं है। जिले में स्थापित सीमेंट संयंत्रों का खदान जहां पानी भरा हुआ है।”

-रुपेश वर्मा अर्जुनी

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