रायपुर सेंट्रल जेल से कैदी फरार, जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
रायपुर, 22 अगस्त — रायपुर सेंट्रल जेल से एक कैदी के फरार होने की घटना ने जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। फरार कैदी की पहचान चंद्रवीर सिंह के रूप में हुई है, जिसे NDPS एक्ट के तहत वर्ष 2021 से सजा काट रहा था।
जेल अधिकारियों के अनुसार, गुरुवार दोपहर करीब 2 से 2:30 बजे के बीच पांच कैदियों को जेल परिसर में निर्माणाधीन महिला बैरक के पास वेल्डिंग कार्य के लिए ले जाया गया था। इसी दौरान चंद्रवीर सिंह ने निगरानी में चूक का फायदा उठाकर जेल से भागने में सफलता पा ली।
उल्लेखनीय है कि चंद्रवीर को जुलाई 2024 में विशेष NDPS न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा द्वारा 15 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी, साथ ही 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। जुर्माना न भरने की स्थिति में 6 साल अतिरिक्त सजा का प्रावधान किया गया था।
इस घटना ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना इसलिए भी संवेदनशील मानी जा रही है क्योंकि रायपुर सेंट्रल जेल में कुख्यात नक्सलियों और लॉरेंस बिश्नोई गैंग के सदस्य भी बंद हैं। साथ ही, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल भी इसी जेल में निरुद्ध हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जेल की अधिकतम क्षमता 1,586 कैदियों की है, जबकि वर्तमान में यहां 3,000 से अधिक बंदी रखे गए हैं। इनमें से लगभग 85% विचाराधीन कैदी हैं। यह भी सामने आया है कि सिर्फ रायपुर ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की 33 जेलों में 14,883 की क्षमता के मुकाबले 20,000 से ज्यादा कैदी बंद हैं, जिससे जेल प्रशासन के लिए सुरक्षा बनाए रखना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है।
रायपुर सेंट्रल जेल में करीब 40% कैदी हत्या, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर मामलों में आरोपी हैं। जेल प्रशासन कैदियों को उनके व्यवहार और क्षमताओं के आधार पर विभिन्न कार्यों में नियुक्त करता है। इनमें खाना बनाना, बागवानी, साबुन और मोमबत्ती बनाना, मूर्ति निर्माण, मुर्गी पालन, प्लंबिंग और इलेक्ट्रिकल फिटिंग जैसे कार्य शामिल हैं। कुछ कार्य जेल परिसर के भीतर होते हैं, जबकि कुछ सीमित क्षेत्र में बाहर भी कराए जाते हैं।
फरार कैदी की तलाश में पुलिस ने कई टीमों को तैनात कर दिया है और आसपास के जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। इस घटना ने एक बार फिर जेल सुधार और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की आवश्यकता को रेखांकित किया है।