प्रतिमा शरण : घुमक्कड़ी प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव कराती हैं.
1. प्रतिमा जी आपका जन्म कहाँ हुआ और पढ़ाई लिखाई के साथ बचपन कैसा बीता?@ मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में हुआ । मेरे पिताजी मेरठ में दूरसंचार विभाग में कार्यरत थे। कुछ समय बाद पिताजी का तबादला उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के किनारे बसे खूबसूरत शहर श्रीनगर में हो गया ।श्रीनगर में ही मेरी प्रारंभिक शिक्षा हुई ।वही रोज मां के साथ पूजा करने कमलेश्वर मंदिर जाती थी और अलकनंदा के किनारे खेलती थी। वहां बिताए उन बहुमूल्य सालों की याद अभी तक मेरे हृदय में बसी हुई हैं।
कुछ सालों बाद पिताजी ने अपना तबादला हमारे पैतृक गांव से मात्र 30 किलोमीटर दूर एक छोटे से कस्बे (वर्तमान में जिला) शामली में करवा लिया उनको यह शहर कम भीड़ भाड़ और कम शोरगुल होने के साथ-साथ गांव के नजदीक होने के कारण बहुत अच्छा लगा और उन्होंने यही बसने की ठान ली। मेरी एमएससी (रसायन विज्ञान) तक की शिक्षा यहीं इसी शहर में हुई। इसके बाद मैंने नोएडा व गाजियाबाद से बी. एड. व एम. एड. किया तत्पश्चात UGC नेट की परीक्षा उत्तीर्ण की।
2. वर्तमान में आप क्या करते हैं और आपके परिवार में कौन-कौन हैं?@ वर्तमान में मैं अपने गृह जनपद में एक सरकारी अध्यापिका के पद पर कार्यरत हूं । मेरे परिवार में मेरे पापा जो वरिष्ठ दूरसंचार अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हैं। अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति वाली मेरी मां ,मेरा भाई जो एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है ।मेरी दो बहने कॉलेज में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत है और एक बहन अभी पढ़ाई कर रही है।
3.घुमने की रुचि कहां से जागृत हुई ।
@ वैसे तो विज्ञान मेरा विषय है पर इतिहास और भूगोल शुरू से ही मेरे प्रिय विषय रहे हैं। इन विषय के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक बिंदु को मैं बहुत रुचि से पढ़ती थी धीरे धीरे देश विदेश की भिन्न-भिन्न जगहों व उनमें रहने वाले लोगों के रहन-सहन संस्कृति सभ्यता विश्व की धरोहर नदियों पहाड़ समुद्र इत्यादि के बारे मे पढकर उनको स्वयं देखने की जिज्ञासा मन में बढ़नी लगी साथ ही टेलीविजन पर यात्रा संबंधित सभी कार्यक्रम को मैं बहुत रुचि से देखती थी इसके अलावा मैगजीन अखबार इंटरनेट आदि से जानकारी एकत्रित करती थी इस प्रकार घूमने की रूचि धीरे-धीरे एक जुनून में बदल गई.
4. आप किस तरह की घुमक्कड़ी पसंद करती हैं ट्रैकिंग एवं रोमांचक खेल भी क्या सम्मिलित है?
@ मैं सुरक्षित घुमक्कड़ी करने में विश्वास करती हूं। मुझे अधिक भीड़ भाड़ वाली जगह को छोड़कर हर तरह की घुमक्कड़ी करना पसंद है। मुझे शांत प्राकृतिक स्थल अत्यधिक प्रिय है। घंटों समुद्र के किनारे लहरों, सूर्योदय और सूर्यास्त देखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। धार्मिक स्थलों पर अजीब सा सुकून मिलता है इसके अलावा मुझे अलग-अलग जगहों की संस्कृति वहाँ के लोगों के रहन-सहन आकर्षित करते हैं। मुझे अकेले को घुमक्कड़ी करना भी बहुत अच्छा लगता है, परंतु परिवार व मित्रों के साथ यदि कोई कार्यक्रम बने तो भी मैं मौका नहीं छोड़ती हूँ। मैंने अभी तक बहुत कम ट्रैक किए है पर भविष्य में उत्तराखंड में फूलों की घाटी जाने की बहुत अभिलाषा है, देखे कब पूरी होती है।
5. उस यात्रा के बारे में बताएं जहां आप पहली बार घूमने गए और क्या अनुभव रहे।
@ गंगा मां से मुझे बहुत प्यार है। सालों पहले एक दिन सोच लिया कि गंगोत्री जाना है इसके लिए गंगोत्री जाने की सारी जानकारी एकत्रित करके अपनी कॉलेज की एक सहेली को साथ चलने के लिए मनाया था। मां पापा सुनकर बहुत गुस्सा हो गए थे। बहुत मनाने पर मुश्किल से जाने की अनुमति दी। हरिद्वार से बहुत ही खूबसूरत रास्ते से होते हुए हम उत्तरकाशी रुक गए। वहां भागीरथी नदी मे स्नान और आरती के विचार से सुबह सुबह घाट पर पहुंच गए और नीचे सीढ़ियों पर बैठ गए, तभी वहां मंदिर के पुजारी आए और बहुत आराम से बोले “बिटिया यहां मत बैठो।” कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि कल यहां एक लड़की और उसकी मां बैठी थी अचानक नदी में तेज बहाव आया और दोनों पानी में बह गईं और नीचे चंबा में मिली। यह सुनकर मैं और मेरी सहेली एक दूसरे की ओर देखने लगी और झट से वहां से उठ गए। इस घटना से हम सतर्क हो गए कि नई जगह जाकर वहां के स्थानीय लोगों से वहां के बारे में थोड़ी जानकारी ले लेनी चाहिए जिससे हम जोखिम से बच सकते हैं। इसके बाद हम अगले दिन गंगोत्री पहुंचे वहां जाकर ऊंची ऊंची बर्फ की चोटिया, मैं गंगा मां का विशाल रूप देखकर मन आश्चर्य से भर गया। प्रकृति के इस विशाल रुप के सामने मैं नतमस्तक हो गई। वास्तव में वह यात्रा मेरे जीवन की अविस्मरणीय यात्रा है जिसने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया और यही यात्रा मेरे आने वाली यात्राओं का आधार भी बनी।
6.आपकी घुमक्कड़ी करने में आपके परिवार की क्या भूमिका है
@ मैं उस जगह से आती हूं जहां घुमक्कड़ी को विशेष महत्व नहीं दिया जाता और लड़कियों को अकेले यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाती है ऐसे में मैं बहुत ही सौभाग्यशाली हूं कि मेरे माता पिता हमेशा से ही मेरे विचारों और इच्छाओं को समझते है यात्रा के दौरान पूरा परिवार मुझसे संपर्क में रहता है और सहयोग करता है यह सच है कि परिवार के सहयोग के बिना कुछ भी कर पाना असंभव है।
7. क्या आप मानती हैं कि घुमक्कड़ी जीवन के लिए आवश्यक है?
@ घुमक्कड़ी हमें प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव व आत्म साक्षात्कार कराती है और विषम परिस्थितियों का सामना करना सिखाती है घुमक्कड़ी करने के लिए जिज्ञासु होना अति आवश्यक है साथ ही यह किसी भी व्यक्ति का वह विशेष गुण है जो स्वत उत्पन्न होता है जो एक दूसरे का किसी को देखने या कहने से नहीं आता घुमक्कड़ी हमारा सोचने का दायरा बढ़ाती है हमें जाति, धर्म ,भाषा, ऊंच -नीच आदि से ऊपर उठाती है। घुमक्कड़ व्यक्ति के लिए यह पूरी पृथ्वी घर है घुमक्कड़ी निश्चित रुप से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है।
8. भारत के अन्य स्थानों के साथ आपने युरोप के देशों की यात्रा भी की है, आपके अनुभव कैसे रहे?
@ मेरा बचपन से यूरोप घूमने का सपना था जो प्रभु की कृपा और माता पिता के आशीर्वाद से हाल ही में पूरा हुआ ।अपनी इस यात्रा के दौरान मैंने लंदन शहर के साथ फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, इटली और दुनिया के सबसे छोटे देश वेटिकन सिटी की यात्रा की। दुनिया के चर्चित शहर लंदन में कदम रखते ही मानो नई दुनिया से सामना हुआ जो एकदम अलग थी इतना खूबसूरत शहर जिसकी कल्पना भी नहीं की थी. पेरिस जो दुनिया का सबसे खूबसूरत शहर जिसकी खूबसूरती शब्दों में बयां नहीं हो सकती. शहर के बीचों बीच आसमान को छूता विशाल एफिल टावर और वहां से पेरिस शहर की खूबसूरती देखते ही बनती थी.
नीदरलैंड की राजधानी और साइकिल का शहर ऐम्स्टर्डैम अपनी खूबसूरती की कहानी बयान कर रहा था। वही यूरोप का ट्यूलिप गार्डन और उस ट्यूलिप गार्डन दूर-दूर तक दिखते बेशुमार खूबसूरत फूल जैसे दिल से स्वागत कर रहे थे. वहां बिताया एक दिन जीवन का अविस्मरणीय दिन बन गया.
बेल्जियम और जर्मनी को भी अपने आप में एकदम अनूठा पाया। इसके अलावा सुंदर चित्र की भांति दिखने वाला स्विट्ज़रलैंड भुलाए नहीं भूलता। ऑस्ट्रिया में भी प्रकृति का बेशुमार खजाना देखने को मिला वास्तव में ऑस्ट्रिया स्विट्जरलैंड से खूबसूरती में कहीं भी कम नहीं है. इटली के ऐतिहासिक शहर रोम और फ्लोरेंस अपने बीते समय की अलग ही कहानी कह रहे थे. पानी में बसा दुनिया का एक और शहर वेनिस खूबसूरत होने के साथ-साथ आश्चर्यजनक भी था.
यूरोप में लोग बेहद मिलनसार मृदुभाषी और अपनी भाषा का सम्मान करते हुए मिले इसके अलावा मैं खाने की बात करूं तो मैं विशुद्ध शाकाहारी हूं तो मुझे अनुरूप भोजन मिला यूरोप के प्रत्येक शहर में बहुत संख्या में भारतीय रेस्टोरेंट है जहां हम अपनी पसंद के शाकाहारी भोजन का आनंद ले सकते हैं
इस यात्रा का अनुभव बेहद रोमांचकारी रहा जितना मैंने यूरोप के बारे में सुना और पढ़ा था उससे कई गुना अधिक खूबसूरत पाया मुझे अभी तक भी यकीन नहीं होता कि मेरा यूरोप देखने का सपना पूरा हो गया।
9. भारत मैं आप ने कहां-कहां यात्राएं की है और कौन कौन सी जगह आपको अधिक पसंद है?
@ मैं भारत के चार कोनों में यात्राएं कर चुकी हूं। भारत के चार धाम बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी ,द्वारिका पुरी और रामेश्वरम के अलावा लगभग 17 प्रदेशों में घूम चुकी हूं जिनमें बंगाल का सुंदरबन ,मदुरई का मीनाक्षी मंदिर, पुरी का सूर्योदय, चांदीपुर का आश्चर्यजनक बीच, कन्याकुमारी का तट, दमन और दीव, चित्तौड़गढ़ और काशी के घाट मेरे दिल के बेहद करीब है।
10. नए घुमक्कड़ों को क्या संदेश देना चाहती है?
@ नए घुमक्कड़ों को यही संदेश है कि घुमक्कड़ी करते समय सुरक्षा को कभी अनदेखा ना करें। हमेशा सतर्क रहें । जहां भी जाए वहां के नियमों संस्कृति और भाषा का सम्मान करें यह दुनिया बहुत खूबसूरत है इसे अपनी नजर से देखे।
यह मेरे लिये नया नाम है,
संसार में लाखों घुमक्कड़ है एक से बढ़कर एक, आवश्यक नहीं है कि आदमी सब को जान पाए।
Bahut bahut dhnywad apka lalit ji☺
संदीप , प्रतिमा का नाम हमारे ग्रुप में नया नही है ।तुमने ध्यान नही दिया होगा।
धन्यवाद ललित सर जी एक नए व्यक्तित्व से परिचय करवाने के लिए. प्रतिमा जी कुछ तो आपके बारे में पता था और आज बहुत कुछ जानने का मिला
Dhnywad sinha ji☺
प्रतिमा जी, अभी तक आपकी घुमक्कड़ी से वाकिफ तो थे, लेकिन आज आपका जीवन परिचय और विचारों को जानकर अच्छा लगा । ईश्वर आपकी घुमक्कड़ी बनाये रखे । ललित जी का विशेष आभार
Mukesh ji apka bahut bahut dhaywad☺
धन्यवाद ललित भाई। आपने एक विदुशी से मिलवाया जो न सिर्फ पढ़ाई-लिखाई में अव्वल रही हैं बल्कि घुम्मकडी के क्षेत्र में भी विशेष रूचि रखतीं हैं
Sanjay ji apka bahut bahut dhnywad☺
प्रतिमा जी आपके बारे में इतना ही पता था की आप एक अध्यापिका होने के साथ एक अच्छी घुमक्कड भी है, लेकिन आज आपके बारे में व आपके विचारों को जानकर बहुत अच्छा लगा।
Dhnywad Sachin ji☺
Great ghumakkad pritima sharan ji pranam. I wish u all the luck for your coming journey may be world tour.
Thank you so much manoj ji☺
प्रतिमाजी बहुत अच्छा लगा आपके बारे में जानकारी लेकर। ललितजी हर बार की तरह यह इंटरव्यू भी शानदार है।
Thank u rachna ji☺
प्रतिमा जी, आपके बारे कुछ तो पहले से पता था .काफी कुछ आज पता चल गया . जानकार ख़ुशी हुई की आपके पिता जी भी हमारे दूरसंचार विभाग से सेवानिवृत हैं .ईश्वर आपको मनचाही जगहों पर घुमने का अवसर प्रदान करता रहे .
ललित जी का विशेष आभार .
Bahut bahut dhnywad naresh ji☺
बहुत बढ़िया प्रतिमा मैडम आपसे मिल के अच्छा लगा. ख़ुशी होती है आप जैसे घुमक्कड़ों के बीच में अपने को पाकर….
Bahut bahut dhnywad sanjay ji ☺
ख्वाबों को हकीकत बनते देखना और उसे महसूस करना हमेशा रोमांच प्रदान करता है !! शुभकामनाएं प्रतिमा जी को और आभार आपका शर्मा जी एक इंटरनेशनल घुमक्कड़ से बेहतरीन परिचय कराने के लिए
Thank you so much yogi ji☺
बहुत खूब प्रतिमा जी । हम नये gummakad सच में सुरक्षा का ख्याल नही रख पाते,पहाड़ और झरनों पर जाकर सुध बुध खो देते है,जो कई बार जनलेवा साबित होता है।
Thank u manoj Ji ☺
प्रतिमा जी …आपके बारे में जानकर अच्छा लगा… ऐसी कई बाते सामने आई जो हम नहीं जानते थे….
ललित जी को धन्यवाद
Thank you ritesh ji☺
Deeply motivated from uh di☺☺
Ohh my sweet bro? thank u
आज पहली बार तुम्हारे जीवन की झलकी पढ़ने को मिली । धन्य है तुम्हारे माँ-बाप जो आज के परिवेश में बेटी पर विश्वास कर विदेश भी घूमने भेज दिया ,।तुम्हारा सपना साकार हुआ इसकी मुझे बहुत खुशी है। जीवन के हर झेत्र में तुमको सफलता मीले। ईश्वर तुम्हारी हर मनोकामना पूरी करे।
ललित सर को एक बार फिर से बधाई ।जिनके सफल प्रयासों से प्रतिमा के जीवन के रंग पढ़ने का मौका मिला।
Thank u bua ji itne sunder shbdon k liye???
Great and brave Pratima. How can I explain no words ?
Thank u sanjeev ☺☺
आगामी यात्राओं के लिए शुभकामनाऐं।चलो उत्तराखंड
Dhnywad anil ji
It is Really…..Inspirational thing For us di…..you are the symbol of the alll girls who want to fulfill their dreamz but cant achieve only because of some narrow minded things in life, with this journey you prove that ……. If you hava a big dreamz then it doesnt matter , from where you belongs , dreamz nd zeal should be high…& you took a opportunity nd dare it with Some challenges……I really proud of u di….not only because of this trip….you prove that if you take challanges as an opportunity that you can live freely …As you live you life di….
Thank u so much my lovely sis ..love u
proud of you di…keep travelling.bring so many gifts for me as always..love u
Thank u my cute sis..love you?
Nice read pratima ji,best wishes for upcoming trips..bemisaal.
Thank u so much sanjay sir?
प्रतिमा जी,
यूं तो आपसे बहुत लंबी लम्बी वार्ता हुई हैं स्मार्ट फोन के माध्यम से, फिर भी आपका, आपके परिवार और आपकी घुमक्कड़ी का और बेहतर परिचय आज इस साक्षात्कार के माध्यम से मिला जिसके लिये आप और ललित जी, दोनों ही साधुवाद के पात्र हैं।