पीएम मोदी की डिग्री पर आरटीआई मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक डिग्री से जुड़ी जानकारी के खुलासे के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) से जवाब मांगा है। अदालत ने यह निर्देश उन अपीलों पर दिया है, जो अगस्त में आए एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दायर की गई थीं। उस आदेश में 2016 के केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के निर्देश को रद्द कर दिया गया था, जिसमें डीयू को मोदी की डिग्री संबंधी जानकारी साझा करने के लिए कहा गया था।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने, जो दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए, नोटिस जारी करने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि वह स्वयं इस मामले में उपस्थित हैं और मुख्य अपील पर बहस करने में कोई आपत्ति नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय को तीन सप्ताह का समय दिया है ताकि वह अपील दाखिल करने में हुई देरी को माफ करने की याचिका पर अपना जवाब दाखिल कर सके।
मामले की जड़ 2017 में दायर उस याचिका से जुड़ी है जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय ने सीआईसी के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें 1978 में बीए प्रोग्राम उत्तीर्ण छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति मांगी गई थी — वही वर्ष जब प्रधानमंत्री मोदी ने डीयू से स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी।
25 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सीआईसी के आदेश को रद्द करते हुए कहा था कि छात्र और विश्वविद्यालय के बीच “विशेष विश्वास और गोपनीयता का संबंध” होता है। अदालत ने माना कि किसी व्यक्ति की शैक्षणिक जानकारी, जैसे डिग्री या अंकों का विवरण, आरटीआई अधिनियम के तहत “व्यक्तिगत सूचना” की श्रेणी में आता है और बिना किसी सार्वजनिक हित के उसका खुलासा निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
इस आदेश के खिलाफ चार अपीलें दाखिल की गई हैं — दो अधिवक्ता मोहम्मद इरशाद द्वारा, एक आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और एक आरटीआई कार्यकर्ता नीरज कुमार द्वारा। अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी 2026 को तय की है।
गौरतलब है कि 2023 में गुजरात हाईकोर्ट ने भी प्रधानमंत्री मोदी की एमए डिग्री से जुड़ी जानकारी को लेकर सीआईसी के आदेश को रद्द कर दिया था। उस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस आदेश की समीक्षा की मांग की थी, जो बाद में खारिज कर दी गई। केजरीवाल की अपील फिलहाल लंबित है और उस पर सुनवाई 19 जनवरी 2026 को होनी तय है।

