futuredहमारे नायक

भारत में रसायन विज्ञान के जनक : प्रफुल्ल चंद्र राय

आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय का जन्म 2 अगस्त, 1861 को जैसोर जिले के ररौली गांव (वर्तमान में बांगलादेश में) में हुआ था। उन्हें भारत में रसायन विज्ञान के जनक माना जाता है और उन्होंने इस क्षेत्र में अपार योगदान दिया है। रसायन प्रौद्योगिकी में देश के स्वावलंबन के लिए उन्होंने अप्रतिम प्रयास किए। 1885 में एडिनबरा विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी करने के बाद, वे 1887 में “ताम्र और मैग्नीशियम समूह के ‘कॉन्जुगेटेड’ सल्फेटों” पर अपने शोध कार्य के लिए डी.एस.सी. की उपाधि से सम्मानित हुए।

प्रफुल्ल चंद्र राय का उद्देश्य रसायन विज्ञान में अपना शोध कार्य जारी रखना था। 1888 से 1889 तक नौकरी की कमी के बावजूद, उन्होंने रसायन विज्ञान और वनस्पति विज्ञान में अध्ययन किया। उनके काम ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई, और “हिस्ट्री ऑफ हिन्दू केमिस्ट्री” जैसी प्रसिद्ध पुस्तक के माध्यम से प्राचीन भारत के विशाल रसायन ज्ञान को दुनिया के सामने पेश किया।

रसायन विज्ञान में अनुसंधान और खोजें

See also  अभनपुर में 'राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस' पर प्रतिभावान विद्यार्थियों का सम्मान, एबीवीपी की नई कार्यकारिणी घोषित

प्रफुल्ल चंद्र राय ने पारद नाइट्राइट (Mercurous Nitrite) यौगिक की खोज की, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त हुई। उन्होंने लगभग 80 नए यौगिक तैयार किए और कई महत्वपूर्ण समस्याओं का समाधान किया। अमोनियम नाइट्राइट का विशुद्ध रूप में संश्लेषण और विभिन्न तत्वों के नाइट्राइटों के संबंध में महत्वपूर्ण शोध उनके उल्लेखनीय कार्यों में शामिल हैं। उनके अनुसंधान ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई और उन्होंने रसायन के क्षेत्र में 120 शोध-पत्र प्रकाशित किए।

प्रफुल्ल चंद्र राय की सबसे बड़ी उपलब्धि सैकड़ों उत्कृष्ट रसायनविद तैयार करना थी, जिन्होंने अपने अनुसंधानों से ख्याति प्राप्त की। उन्होंने अपने शिष्यों को पुत्रवत् समझा और अपनी आय का अधिकांश भाग दूसरों की सहायता में खर्च किया। सन् 1920 में उन्हें इंडियन सायंस कांग्रेस का सभापति नियुक्त किया गया, और 1924 में उन्होंने इंडियन केमिकल सोसाइटी की स्थापना की।

स्वदेशी उद्योग की नींव

प्रफुल्ल चंद्र राय ने स्वदेशी उद्योगों की नींव रखी। 1892 में उन्होंने अपने घर में एक छोटा-सा कारखाना स्थापित किया, जो बाद में “बंगाल केमिकल्स ऐण्ड फार्मास्यूटिकल वर्क्स” के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उनका उद्देश्य बेरोज़गार युवकों को रोजगार के अवसर प्रदान करना था। उन्होंने गंधक से तेजाब बनाने का कारखाना, कलकत्ता पॉटरी वर्क्स, बंगाल एनामेल वर्क्स, और स्टीम नेविगेशन जैसे कई स्वदेशी उद्योगों की स्थापना की।

See also  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की महिला एवं बाल विकास योजनाओं की उच्चस्तरीय समीक्षा

आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय का समस्त जीवन त्याग, देश और जनसेवा से पूर्ण था। उनकी सादगीपूर्ण जीवनशैली और देशभक्ति उन्हें भारतीय ऋषि परम्परा का प्रतीक बनाती है। 1933 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.एस-सी की मानद उपाधि से विभूषित किया। वे देश-विदेश के अनेक विज्ञान संगठनों के सदस्य रहे और उनका योगदान आज भी भारतीय विज्ञान में स्मरणीय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *