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किसानों के हितों से समझौता नहीं, बड़ी कीमत चुकाने को तैयार: पीएम मोदी का अमेरिका को कड़ा संदेश

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनातनी एक बार फिर गहरा गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि किसानों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा, चाहे इसके लिए देश को बड़ी आर्थिक कीमत ही क्यों न चुकानी पड़े।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कृषि और डेयरी सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। देश के करोड़ों किसान और उनसे जुड़े अन्य वर्ग अपनी मेहनत से देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं। ऐसे में सरकार का यह दायित्व है कि वह उनके हितों की रक्षा करे। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “हमारे किसान हमारी ताकत हैं। उनके हितों की सुरक्षा के लिए हम हर कीमत चुकाने को तैयार हैं।”

अमेरिका को कृषि व डेयरी क्षेत्र में सीधी पहुंच नहीं
सरकारी सूत्रों के अनुसार, अमेरिका लंबे समय से भारत से कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए अपने बाजार को खोलने की मांग कर रहा है। हालांकि, भारत का मानना है कि इससे घरेलू किसानों, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों, को भारी नुकसान होगा। इसी कारण अमेरिका को इन क्षेत्रों में सीधा प्रवेश देने से इंकार कर दिया गया है।

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ट्रंप का बयान—और लगाएंगे प्रतिबंध
वॉशिंगटन में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में यह कदम उठाया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भारत अपनी व्यापार नीतियों में बदलाव नहीं करता तो उस पर और अधिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। ट्रंप ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिकी सरकार जरूरत पड़ने पर भारत के खिलाफ भी उसी तरह की सख्त कार्रवाई करेगी जैसी वह चीन के खिलाफ कर रही है।

चीन का समर्थन, अमेरिका पर आरोप
इस पूरे विवाद के बीच चीन भारत के समर्थन में खड़ा दिखाई दिया है। बीजिंग ने अमेरिका के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का दुरुपयोग कर रहा है। चीन ने कहा कि इस तरह के टैरिफ वैश्विक व्यापार व्यवस्था को कमजोर करते हैं और इससे विकासशील देशों को विशेष रूप से नुकसान होता है।

भारत का रुख अडिग
भारतीय सरकार ने दोहराया है कि देश के कृषि और डेयरी सेक्टर में विदेशी दबाव के आगे झुका नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, यह केवल आर्थिक मसला नहीं, बल्कि किसानों की आजीविका, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा का प्रश्न है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे हर कदम को उठाएगी जो किसानों के दीर्घकालिक हितों को सुनिश्चित करे, भले ही इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कड़ा रुख अपनाना पड़े।

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