मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रोहतक पहुंचकर स्वर्गीय परमेश्वरी देवी को अर्पित की श्रद्धांजलि
रायपुर 25 जून 2025/ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज हरियाणा के रोहतक पहुंचे, जहाँ उन्होंने हरियाणा सरकार के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के निवास सिंधु भवन पहुंचकर शोक संवेदनाएँ व्यक्त कीं।
मुख्यमंत्री साय ने कैप्टन अभिमन्यु की पूज्य माताजी श्रीमती परमेश्वरी देवी जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उन्होंने शोकाकुल परिजनों से भेंट कर उन्हें सांत्वना दी तथा ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
परमेश्वरी देवी हरियाणा के रोहतक ज़िले के खांडा खेड़ी गांव की मूल निवासी थीं। उनका जीवन सादगी, सेवा और भारतीय पारंपरिक मूल्यों का प्रतीक था। वे एक दृढ़ चरित्र वाली धार्मिक महिला थीं, जिन्होंने न केवल अपने परिवार को सँभाला, बल्कि उन्हें ऐसे संस्कार दिए जो आज भी समाज में प्रेरणा का स्रोत हैं।
उनका विवाह चौधरी मित्रसेन आर्य से हुआ था, जो स्वयं आर्य समाज से जुड़े एक विचारशील समाजसेवी और सफल व्यवसायी थे। परमेश्वरी देवी और चौधरी मित्रसेन आर्य की नौ संतानें हैं, जिनमें सबसे प्रमुख नाम कैप्टन अभिमन्यु का है। कैप्टन अभिमन्यु न केवल भारतीय सेना में अधिकारी रहे, बल्कि बाद में भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता और हरियाणा सरकार में वित्त मंत्री के रूप में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
परमेश्वरी देवी ने अपने बच्चों को राष्ट्रभक्ति, ईमानदारी और अनुशासन की शिक्षा दी। वे आर्य समाज की धार्मिक शिक्षाओं में आस्था रखती थीं और जीवन भर पूजा-पाठ, यज्ञ और सेवा कार्यों में सक्रिय रहीं। उनका जीवन सार्वजनिक प्रचार से दूर था, लेकिन उनके विचारों और मार्गदर्शन ने उनके परिवार को नीति और नैतिकता के मार्ग पर अग्रसर किया।
मई 2025 में दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उनका देहावसान हुआ। वे लगभग 89 वर्ष की थीं। उनके पार्थिव शरीर को वैदिक रीति से उनके पैतृक गाँव खांडा खेड़ी में अंतिम संस्कार हेतु ले जाया गया, जहाँ हजारों की संख्या में लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुँचे। योगगुरु बाबा रामदेव और दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा जैसे अनेक प्रमुख जनों ने उनकी दिवंगत आत्मा को नमन किया।
परमेश्वरी देवी का जीवन भारतीय स्त्रीत्व, मातृत्व और सामाजिक समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उनका सादा जीवन, ऊँचे विचार और संस्कार आज भी उनके परिवारजनों के कर्म और व्यवहार में जीवंत हैं। वे उन असंख्य माताओं में एक थीं, जिनका त्याग और प्रेरणा गहराई से आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करता है।