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पंडवानी छत्तीसगढ़ की आत्मा, नारी शक्ति और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

रायपुर, 25 अक्टूबर 2025/ पंडवानी एक ऐसी लोककला विधा है, जिसने छत्तीसगढ़ को विश्वपटल पर पहचान दिलाई है। हमारे पंडवानी कलाकारों ने न्यूयॉर्क, पेरिस और लंदन जैसे महानगरों में महाभारत की कथाओं पर आधारित प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है। इस कला ने न केवल छत्तीसगढ़ की परंपरा को जीवित रखा है, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा को वैश्विक मंचों तक पहुँचाया है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस के अवसर पर दुर्ग जिले के ग्राम मेड़ेसरा में आयोजित पंडवानी महासम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।

संस्कृति विभाग, रायपुर के सौजन्य से आयोजित इस कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री अरुण साव, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं अहिवारा विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर, साजा विधायक ईश्वर साहू, राज्य तेलघानी बोर्ड के अध्यक्ष जितेंद्र साहू, पूर्व मंत्री रमशीला साहू, पूर्व विधायक लाभचंद बाफना एवं डॉ. दयाराम साहू, जिला पंचायत दुर्ग की अध्यक्ष सरस्वती बंजारे तथा दुर्ग नगर निगम की महापौर अलका बाघमार उपस्थित थीं।

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मुख्यमंत्री साय ने कहा कि पंडवानी के पुरोधा झाड़ूराम देवांगन और लक्ष्मी बंजारे जैसे कलाकारों ने इस विधा को समृद्ध किया। उन्होंने कहा, “यह छत्तीसगढ़ का सौभाग्य है कि हमारी धरती पर तीजन बाई जैसी विभूति हुईं, जिन्हें पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण तीनों सम्मान प्राप्त हुए हैं। जब वे तंबूरा लेकर आलाप भरती हैं, तो ऐसा लगता है मानो आकाश के देवी-देवता भी उन्हें सुन रहे हों।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि पंडवानी गायन में महिला कलाकारों की भागीदारी और सफलता गर्व का विषय है। उन्होंने कहा, “तीजन बाई और डॉ. उषा बारले जैसी कलाकारों ने सिद्ध किया है कि यह विधा महिलाओं की संवेदनशीलता और सृजनशीलता की प्रतीक है।”

उन्होंने कहा कि पंडवानी हमारी अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर है। इस विधा को सहेजने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का कार्य अत्यंत सराहनीय है। मुख्यमंत्री ने स्मरण कराया कि जैसे बचपन में रामलीला मंडलियों से रामायण की कथाएं सुनीं, वैसे ही पंडवानी ने महाभारत को जन-जन तक पहुँचाया।

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उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार लोककला और संस्कृति को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। कलाकारों की पेंशन राशि में वृद्धि की गई है और अवसरों की संख्या बढ़ाई जा रही है। चित्रोत्पला फिल्म सिटी की स्थापना का निर्णय लेकर सरकार ने छत्तीसगढ़ी सिनेमा को सशक्त बनाने की दिशा में कदम उठाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया था, तब उनके मन में विकास के साथ संस्कृति को सहेजने की भावना थी। उन्होंने बताया कि 1 नवंबर को राज्य की रजत जयंती मनाई जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मिलित होंगे। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे राज्योत्सव में भाग लेकर छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाएं।

मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग की आगामी योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि 5000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जाएगी। साथ ही नागरिक कल्याण महाविद्यालय नंदिनी में स्नातकोत्तर कक्षाएं प्रारंभ करने, अछोटी में बीएड महाविद्यालय खोलने, मेड़ेसरा को आदर्श ग्राम बनाने, समुदायिक भवन हेतु 20 लाख रुपये तथा सभी पंचायतों में सीसी रोड निर्माण की घोषणा की।

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कार्यक्रम के अध्यक्ष उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि छत्तीसगढ़ कला और संस्कृति के लिए देश और दुनिया में विशिष्ट पहचान रखता है। उन्होंने 1 नवंबर को राज्योत्सव में सभी को रायपुर आमंत्रित किया।

कार्यक्रम की संयोजक पद्मश्री डॉ. उषा बारले ने स्वागत उद्बोधन में अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस और पंडवानी महासम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला तथा सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर संभाग आयुक्त एस.एन. राठौर, आईजी आर.जी. गर्ग, कलेक्टर अभिजीत सिंह, एसएसपी विजय अग्रवाल सहित अनेक अधिकारी, पंडवानी कलाकार और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।