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IMF की पाकिस्तान को 2.4 अरब डॉलर की मदद पर सख्त शर्तें, भारत के साथ तनाव को बताया खतरा

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को मई 9 को दी गई 2.4 अरब डॉलर की ऋण सहायता के बदले 11 नई सख्त शर्तें रखी हैं। इनमें बजट को संसद से मंजूरी दिलाना, ऊर्जा दरों में संशोधन की अधिसूचना जारी करना और सुशासन पर कार्य योजना प्रकाशित करना जैसी अहम शर्तें शामिल हैं। ये शर्तें सितंबर में होने वाली अगली समीक्षा से पहले पूरी करनी होंगी।

आईएमएफ ने 17 मई को जारी की गई अपनी स्टाफ रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव “एंटरप्राइज रिस्क” को बढ़ा सकते हैं, जो आर्थिक सुधारों और कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही यह भी कहा कि अगर फंड का दुरुपयोग होता है या उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं तो “प्रतिष्ठा को भी नुकसान” हो सकता है।

भारत ने दी थी चेतावनी

यह रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान को दी जाने वाली कोई भी वित्तीय सहायता “आतंकवाद को प्रायोजित करने” के समान है। उन्होंने विशेष रूप से IMF द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद पर पुनर्विचार करने की बात कही थी।

$7 अरब के पैकेज का हिस्सा

पाकिस्तान को यह सहायता IMF के 7 अरब डॉलर के विस्तारित फंड सुविधा (EFF) कार्यक्रम के तहत दी जा रही है, जिसे सितंबर 2024 में मंजूरी दी गई थी। यह कार्यक्रम 37 महीनों तक चलेगा और इसमें कुल छह समीक्षाएं शामिल हैं। मई 9 को IMF बोर्ड ने EFF की पहली समीक्षा को मंजूरी दी, जिससे पाकिस्तान को तत्काल 1 अरब डॉलर की राशि मिल गई। इसके साथ ही 1.4 अरब डॉलर की सहायता रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी (RSF) के तहत भी मंजूर की गई।

नई शर्तें: बजट, ऊर्जा, व्यापार और वित्तीय सुधार

IMF ने जिन 11 नई शर्तों को पेश किया है, वे कई क्षेत्रों को कवर करती हैं:

  • बजट की संसद से मंजूरी: पाकिस्तान को जून 2025 के अंत तक IMF से सहमति प्राप्त बजट संसद में पारित कराना होगा।

  • ऊर्जा दरों का पुनर्निर्धारण: जुलाई 1, 2025 तक बिजली और गैस की दरों में संशोधन की अधिसूचना जारी करनी होगी ताकि लागत वसूली संभव हो।

  • कानूनों में संशोधन: जून 2025 तक डेब्ट सर्विस सरचार्ज की सीमा हटाने के लिए कानून पारित करना होगा।

  • कार आयात पर छूट हटाना: जुलाई 2025 तक पांच साल से कम पुराने प्रयुक्त वाहनों के व्यापार पर लगे प्रतिबंध हटाने के लिए कानून संसद में पेश करना होगा।

  • कैप्टिव पावर लेवी को स्थायी बनाना: मई 2025 तक एक स्थायी कानून लाया जाएगा जिससे निजी जनरेटर से बिजली उपयोग को हतोत्साहित किया जा सके।

दीर्घकालिक योजनाएं भी मांगी

  • टेक्नोलॉजी ज़ोन से सब्सिडी हटाने की योजना: दिसंबर 2025 तक एक रोडमैप तैयार करना होगा जिससे 2035 तक सभी विशेष टेक्नोलॉजी ज़ोन और औद्योगिक पार्कों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि समाप्त की जा सके।

  • वित्तीय क्षेत्र की रणनीति: जून 2026 तक सरकार को 2028 से आगे के लिए वित्तीय क्षेत्र की रूपरेखा तय करने वाली रणनीति प्रकाशित करनी होगी।

भारत ने जताई चिंता

भारत ने IMF बोर्ड की बैठक में मतदान से परहेज करते हुए चिंता जताई थी कि पाकिस्तान IMF की राशि का इस्तेमाल “राज्य प्रायोजित आतंकवाद” के लिए कर सकता है। भारत के विदेश सचिव ने बैठक से पहले कहा था कि फंड को “गहराई से आत्ममंथन” करना चाहिए कि वह किस देश की आर्थिक मदद कर रहा है।

IMF का स्पष्टीकरण

IMF ने अपने बयान में कहा कि EFF के तहत दी जा रही राशि आरक्षित भंडार को बढ़ाने के लिए है और इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाना और विकास को समावेशी बनाना है। साथ ही कहा गया कि IMF की भूमिका को “तटस्थ” बताने के लिए सावधानीपूर्वक संवाद आवश्यक है ताकि फंड के कार्यों को लेकर गलत धारणाएं न बनें।