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भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान, विदेशी ऋण और घटते भंडार ने बढ़ाई चिंता

पाकिस्तान इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। भले ही हाल ही में एक फर्जी सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मदद मांगे जाने की बात को पाकिस्तान सरकार ने खारिज कर दिया हो, लेकिन देश की मौजूदा वित्तीय स्थिति कई चिंताजनक पहलुओं को उजागर कर रही है।

पाकिस्तान के आर्थिक मामलों मंत्रालय के नाम से एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर हाल ही में एक पोस्ट किया गया था, जिसमें आर्थिक नुकसान और स्टॉक मार्केट में गिरावट का हवाला देते हुए अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं से मदद की अपील की गई थी। सरकार ने इस पोस्ट को “नकली” और “हैकिंग का नतीजा” बताते हुए खारिज कर दिया है। हालांकि, जमीनी सच्चाई यह है कि पाकिस्तान को भारी विदेशी कर्ज, घटते भंडार और बढ़ती ब्याज दरों का सामना करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियाँ – एक व्यापक नज़र:

  1. विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट: पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक के अनुसार, मार्च 2025 के पहले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 150 मिलियन डॉलर से अधिक की गिरावट दर्ज की गई।

  2. ब्याज भुगतान का बढ़ता बोझ: देश की सार्वजनिक आय का लगभग दो-तिहाई हिस्सा अब केवल ऋण पर ब्याज चुकाने में खर्च हो रहा है, जिससे बाकी क्षेत्रों के लिए संसाधन सीमित हो गए हैं।

  3. राजनीतिक अस्थिरता से आर्थिक झटका: 2022 में हुए राजनीतिक उथल-पुथल ने महीनों तक आर्थिक व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे आवश्यक वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थ, पेट्रोल और गैस की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया।

  4. राष्ट्रीय कर्ज में विस्फोटक वृद्धि: पिछले 25 वर्षों में पाकिस्तान ने हर पांच साल में लगभग दोगुना राष्ट्रीय कर्ज लिया है। 1999 में जहां कर्ज 11 अरब डॉलर के आसपास था, वहीं 2022 तक यह 220 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

  5. वर्तमान कर्ज और भुगतान संकट: दिसंबर 2024 तक पाकिस्तान का बाहरी कर्ज बढ़कर 131.1 अरब डॉलर हो चुका है। आने वाले चार वर्षों में देश को लगभग 100 अरब डॉलर का ऋण चुकाना है।

  6. IMF की शर्तों के तहत ऋण: सितंबर 2024 में IMF ने पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर का ऋण पैकेज मंजूर किया, जिसे 37 किश्तों में जारी किया जाना है।

  7. विदेशी मुद्रा भंडार की तुलना: पाकिस्तान के पास इस समय केवल 15 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जबकि पड़ोसी भारत के पास 688 अरब डॉलर की मजबूत स्थिति है।

  8. उधारी की लागत में भारी वृद्धि: हाल ही में पहलगाम हमले के बाद, पाकिस्तान और अमेरिका के ऋण पर ब्याज दरों के बीच का अंतर 200 बेसिस प्वाइंट बढ़कर 850 तक पहुंच गया, जिससे पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से कर्ज लेना और अधिक महंगा हो गया है।

  9. अमेरिकी सहायता में कटौती: अमेरिका ने ट्रंप प्रशासन के शुरुआती फैसले के तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता बंद कर दी थी, जिससे पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा, खासकर जब वह पहले से ही आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा था।

इन तमाम आर्थिक दबावों के बीच पाकिस्तान को जल्दबाजी में लिए गए फैसलों से बचते हुए ठोस रणनीति के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है, ताकि देश को दिवालिया होने से रोका जा सके और आम जनता को राहत मिल सके।