आतंकी घटनाओं पर विवादित पुस्तकें और बयान: पाकिस्तान को बचाने का अभियान
प्रयागराज के मदरसे में फिर एक पुस्तक मिली है जिसमें भारत की कुछ बड़ी आतंकवादी घटनाओं के लिये पाकिस्तान को क्लीनचिट देकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को कट्टर आतंकवादी संगठन बताकर आरोपी बताया गया है। आर एस एस को आतंकवादी बताने वाली यह पुस्तक पहली नहीं है। इससे पहले भी पुस्तकें आ चुकीं हैं और कुछ नेताओं के बयान भी।
उत्तरप्रदेश पुलिस ने एक सूचना के आधार पर 28 अगस्त को प्रयागराज के जामिया मदरसे पर छापा मारा था। इस मदरसे में नकली नोट छापे जा रहे थे। पुलिस ने मदरसे के एक कमरे से लैपटॉप, स्कैनर, प्रिंटर, अर्ध निर्मित नोट और नकली नोट छापने की अन्य सामग्री जब्त की थी।
पुलिस ने मौलवी मोहम्मद तफ्सीरुल, उसके सहयोगी अब्दुल जाहिर, अफजल और शाहिद को बंदी बनाया था। पुलिस के अनुसार ये लोग 45 हजार के नकली नोटों को 15 हजार असली रुपये लेकर बाजार में बेचा करते थे। अफजल और शाहिद प्रयागराज जनपद के एवं मोहम्मद जाहिर और मौलाना तफ़्सीरुल उड़ीसा के रहने वाले हैं। पुलिस ने वहाँ एक लाख तीस हजार रुपये के नकली नोट भी जब्त किये।
लेकिन मामला यहीं समाप्त नहीं हुआ। इनसे पूछताछ के बाद पुलिस अगले दिन फिर मदरसा पहुँची। इस बार आपत्तिजनक सामग्री मिली। यह सामग्री भारत में कट्टरपंथ फैलाने वाली थीं। इनमें एक पुस्तक ऐसी भी मिली जिसमें भारत में घटी कुछ बड़ी आतंकी घटनाओं के लिये पाकिस्तान को क्लीनचिट दी गई और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आतंकवादी संगठन बताकर इनका जिम्मेदार बताया गया।
इसमें कुछ बड़ी घटनाएँ भी हैं जो न केवल पाकिस्तान प्रायोजित थी बल्कि कसाब जैसे पाकिस्तानी नागरिक पकड़े भी गये थे। इस पुस्तक में ऐसी घटनाओं के लिये भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दोषी बताया गया है। पुस्तक में मुम्बई हमला, मालेगांव ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस में बिस्फोट जैसी बड़ी आतंकवादी घटनाओं सहित तेरह बड़ी आतंकी घटनाओं का उल्लेख है और इन सभी में पाकिस्तान को क्लीन चिट दी गई और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आरोप मढ़े गये हैं।
पुस्तक पर लेखक के रूप में महाराष्ट्र के सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी एस एम मुशरिक का नाम अंकित है। पुस्तक अंग्रेजी में है और उसका उर्दू सहित कई अन्य भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है। पुस्तक की भाषा और प्रस्तुतिकरण कुछ ऐसा है जिससे पाठक के मन में पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति उपजे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि एक कट्टर आतंकवादी संगठन की बने।
लेखक एस.एम. मुशरिफ की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को देश का नंबर 1 आतंकी संगठन बताने वाली यह पहली पुस्तक नहीं है। उन्होंने ऐसी और भी पुस्तकें लिखीं हैं। उनकी एक पुस्तक ‘हू किल्ड करकरे’ है। जिसमें दावा किया गया है कि हेमंत करकरे की हत्या आतंकवादियों ने नहीं की अपितु करकरे की हत्या में खुफिया ब्यूरो (आईबी) का हाथ है। इस पुस्तक का मराठी और बंगला में भी अनुवाद हुआ है। मुशरिक ने केवल पुस्तक में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आतंकवादी संगठन नहीं लिखा अपितु इन पुस्तकों के लोकार्पण समारोहों में भी अपनी बात दोहराई।
पहले भी पुस्तकें आईं और लेखक ने अदालत में माफी माँगी
भारत में घटने वाली आतंकवादी घटनाओं केलिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दोषी बताने और पाकिस्तान को क्लीनचिट देने वाली यह पहली पुस्तक नहीं है। इससे पहले भी पुस्तकें आईं हैं और कुछ नेताओं ने उसके समर्थन में वक्तव्य भी दियेनेताओं के बयान भी आये। ऐसी एक पुस्तक उर्दू पत्रकार अजीज बर्नी की भी आ चुकी है। यह पुस्तक अजीज बर्नी के कुछ लेखों का संकलन था।
अजीज बर्नी दिल्ली के एक उर्दू समाचार पत्र के संपादक रहे हैं। उन्होंने अपने समाचार पत्र में एक लेख माला चलाई थी। जिसमें गोधरा कांड, मालेबार ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस विस्फोट, मुम्बई हमले सहित आदि कुछ बड़ी आतंकवादी घटनाओं के लिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ही आरोपी बताया था। यह पुस्तक उनके इन्हीं आलेखों का संग्रह था।
इस पुस्तक नाम “26/11 आरएसएस का षड़यंत्र” था इस पुस्तक के विमोचन के लिये दिल्ली और मुम्बई दो स्थानों पर समारोह हुये थे। इसमें काँग्रेस नेता श्री दिग्विजय सिंह सहित कुछ अन्य राजनेता भी उपस्थित थे। अजीज बर्नी और उनकी पुस्तक के विरुद्ध मुंबई के एक सामाजिक कार्यकर्ता श्री विनय जोशी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ झूठी साजिश फैलाने के आरोप में खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
याचिका कर्ता ने अजीज बर्नी पर आरोप लगाया था, कि उन्हें इस तथ्य की जानकारी थी कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई की सड़कों पर हुए आतंकी हमलों में पाकिस्तान और उसके जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादियों का हाथ था, फिर भी झूठ फैलाया गया। अपने लेखन पर अजीज बर्नी ने अदालत में माफी भी माँग ली थी। हालाँकि अजीज बर्नी की मॉफी से विनय जोशी संतुष्ट नहीं थे लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी।
पुस्तक को जितना भ्रम फैलाना था उतना फैला चुकी थी। मुम्बई का यह 26/11 काँड वर्ष 2008 में हुआ था। जिस पर अपने आलेखों के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जिम्मेदार बताने वाले उर्दू पत्रकार श्री अजीज बर्नी को तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने वर्ष 2007 में उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिये सम्मानित किया था और वर्ष 2009 में श्री अजीज बर्नी ने प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह के साथ फ्रांस और मिस्र की विदेश यात्रा भी की थी।
कुचक्र को प्रोत्साहन या संरक्षण ?
आतंकवादी घटनाओं के प्रति पाकिस्तान की ओर से ध्यान हटाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर करने का अभियान केवल एस एम मुशर्रिक और अजीज बर्नी का लेखन तक सीमित नहीं है। भारत में अनेक प्रशासनिक कुचक्र भी रचे गये और कुछ चर्चित व्यक्तियों के वक्तव्यों ने भी समर्थन दिया।
प्रयागराज मदरसे की घटना के बाद उत्तर प्रदेश के एक राजनेता और धर्मगुरु तौकीर रजा का ब्यान आया जिसमें उन्होंने कहा कि- “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक आतंकवादी संगठन है और इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए”। अजीज बर्नी की पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में श्री दिग्विजय सिंह ने कहा था कि महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे ने मुंबई में 26/11 हमले से दो घंटे पहले उन्हें फोन करके कहा था कि 2008 के मालेगांव विस्फोट में एटीएस जांच का विरोध करने वालों की लगातार धमकियों मिल रही हैं।
तत्कालीन गृहमंत्री और काँग्रेस नेता श्री चिदम्बरम ने 25 अगस्त 2010 को डीजीपी और आईजी के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा था “हाल में ‘भगवा आतंकवाद’ सामने आया है। जो अतीत में कई बम विस्फोटों में पाया गया है..। जिस समय तत्कालीन गृह मंत्री का यह ब्यान आया था, यह वही समय पर जब आतंकवाद के आरोप में फंसाये गये असीमानंद जी और साध्वी प्रज्ञा भारती” सहित अन्य निर्दोष पुलिस प्रताड़नाओं से तड़प रहे थे तो दूसरी ओर मुख्य आरोपियों को बच निकलने का मार्ग मिल रहा था।
इन घटनाओं में 2006 में मालेगांव विस्फोट, समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट, हैदराबाद में मक्का मस्जिद विस्फोट और 2007 में अजमेर शरीफ दरगाह बम विस्फोट जैसी दिल दहला देने वाली घटनाएँ हैं। थे। 20 जनवरी 2013 को जयपुर काँग्रेस सम्मेलन में काँग्रेस नेता सुशील कुमार शिन्दे ने भाजपा और आरएसएस पर ‘‘भगवा आतंकवाद फैलाने’’ के लिए ‘‘आतंकी प्रशिक्षण’’ शिविर चलाने का आरोप लगाया।
उन्होंने यह भी कहा था कि- ‘‘जांच के दौरान रिपोर्ट आयी है कि भाजपा और आरएसएस आतंकवाद फैलाने के लिए आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाते हैं..समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद में बम लगाए गए थे और मालेगांव में भी एक विस्फोट किया गया था।” हालांकि एक माह बाद श्री शिन्दे ने अपने वक्तव्य पर खेद भी व्यक्त कर दिया था ।
कुछ राजनेताओं के वक्तव्य और इन दोनों पुस्तकों के लेखकों के चेहरों से एक सीधा सीधा त्रिकोण उभरता है । इसमें एस एम मुशरिफ जैसे अधिकारी हैं, अजीज बर्नी जैसे पत्रकार हैं और तौकीर रजा जैसे धर्म गुरू हैं जो चिदंबरम, सुशील कुमार शिन्दे एवं दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं की राजनैतिक शैली से उड़ान भरते हैं और पूरे देश का दिल दहला देने वाली आतंकवादी घटनाओं की ओर से पाकिस्तान को क्लीन चिट देकर राष्ट्र और साँस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिये समर्पित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को फँसाने का कुचक्र करते हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।
इस तरह की प्रवृत्तियों को रोका जाना आवश्यक है