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ऑपरेशन सिंदूर की गूंज: पाक प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भारतीय मिसाइल हमलों की पुष्टि की

भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की गई सैन्य कार्रवाई को लेकर अब तक सार्वजनिक रूप से इनकार करता आया पाकिस्तान आखिरकार सच्चाई स्वीकारने को मजबूर हो गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारतीय बैलिस्टिक मिसाइलों ने पाकिस्तान की नूर खान एयरबेस सहित कई सामरिक ठिकानों को निशाना बनाया था।

पाकिस्तान स्मारक पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए शरीफ़ ने बताया कि उन्हें 10 मई की तड़के पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने एक सुरक्षित लाइन पर फोन कर इस हमले की जानकारी दी। “करीब 2:30 बजे रात को जनरल आसिम मुनीर ने मुझे फोन कर बताया कि भारत की बैलिस्टिक मिसाइलों ने नूर खान एयरबेस और अन्य स्थानों को निशाना बनाया है,” शरीफ़ ने कहा। उनका यह बयान जियो न्यूज ने प्रकाशित किया।

भारत की जवाबी कार्रवाई थी ‘ऑपरेशन सिंदूर’

भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत की थी। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 27 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। जवाबी हमले में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी अड्डों और उनके बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया।

भारतीय कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज़बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के 100 से अधिक आतंकवादियों के मारे जाने की सूचना है।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और भारत का दोबारा प्रहार

भारतीय हमलों के बाद पाकिस्तान ने भी सीमा पार से गोलेबारी और ड्रोन हमलों के ज़रिए प्रतिक्रिया दी। इसके जवाब में भारत ने और भी आक्रामक रुख अपनाया और पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर स्थित संचार तंत्र और वायु रक्षा प्रणाली को निशाना बनाकर उन्हें निष्क्रिय कर दिया।

नई राह या मजबूरी?

शरीफ़ द्वारा भारतीय हमलों की सार्वजनिक स्वीकारोक्ति पाकिस्तान की नीति में एक बड़ा मोड़ मानी जा रही है। अब तक पाकिस्तान सरकार ने हमेशा ऐसे हमलों से इनकार किया था या उन्हें “प्रचार” बताया था। लेकिन अब प्रधानमंत्री स्तर पर यह स्वीकारोक्ति बताती है कि ऑपरेशन सिंदूर कितना व्यापक और असरदार था।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बयान से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कूटनीतिक स्थिति और मजबूत हो सकती है, जबकि पाकिस्तान को आंतरिक और वैश्विक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।