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ब्लड मनी या मौत? केरल की नर्स निमिषा प्रिया के लिए समय की दौड़

नई दिल्ली/सना, 9 जुलाई 2025 — केरल के पलक्कड़ जिले की 36 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया यमन में एक स्थानीय नागरिक की हत्या के मामले में 16 जुलाई को फांसी की सजा का सामना कर रही हैं। यह मामला यमन के गृहयुद्ध, कठोर शरिया कानून और भारत की सीमित कूटनीतिक पहुंच के कारण अत्यधिक संवेदनशील और जटिल बन गया है। भारत सरकार, उनका परिवार और भारतीय समुदाय अंतिम समय में उनकी जान बचाने के लिए प्रयासरत हैं।

निमिषा प्रिया का जन्म 1 जनवरी 1989 को पलक्कड़ में हुआ था। 2008 में वे बेहतर रोजगार की तलाश में यमन गईं और एक सरकारी अस्पताल में नर्स के रूप में काम करने लगीं। 2011 में उनकी शादी टोनी थॉमस से हुई, जिनसे उन्हें एक बेटी है। लेकिन 2014 में आर्थिक तंगी के चलते पति और बेटी भारत लौट आए, जबकि निमिषा यमन में ही रहीं। वहीं उन्होंने तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक मेडिकल क्लिनिक खोला, जो उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

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2017 में निमिषा पर यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप लगा। आरोप है कि उन्होंने महदी को नींद की दवा (केटामाइन) दी, जिससे उनकी मौत हो गई। उनका इरादा केवल बेहोश करने का था, ताकि वह पासपोर्ट वापस ले सकें। शव को उनकी सहयोगी हनान के साथ मिलकर ठिकाने लगाने का प्रयास किया गया। जुलाई 2017 में गिरफ्तारी हुई और 2018 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। उनकी अपीलें 2020 और 2023 में खारिज कर दी गईं और दिसंबर 2024 में राष्ट्रपति द्वारा अंतिम मुहर लगी।

यमन में शरिया कानून के अंतर्गत, यदि पीड़ित परिवार “ब्लड मनी” (दिया) स्वीकार कर ले, तो मौत की सजा माफ की जा सकती है। निमिषा के परिवार और समर्थकों ने करीब $40,000 (₹33 लाख) जुटाए हैं, लेकिन बातचीत की प्रक्रिया में देरी के कारण अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है।

सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल और कई एनआरआई समूह लगातार याचिकाएं और धन जुटा रहे हैं। निमिषा की मां प्रेमा कुमारी ने 2024 में यमन जाकर व्यक्तिगत तौर पर माफी मांगने की कोशिश की थी, लेकिन पीड़ित परिवार अब तक माफ करने को तैयार नहीं है।

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भारत सरकार लगातार यमन प्रशासन और संबंधित पक्षों से संपर्क में है। लेकिन सना क्षेत्र हाउथी विद्रोहियों के नियंत्रण में होने के कारण भारत की राजनयिक पहुंच सीमित है। हाउथी नियंत्रण और वहां के न्यायिक ढांचे ने भारत की कोशिशों को जटिल बना दिया है।

निमिषा का परिवार बेहद तनाव में है। उनके पति टोनी थॉमस और 13 वर्षीय बेटी लगातार भावनात्मक संघर्ष झेल रहे हैं। बेटी साप्ताहिक कॉल के जरिए अपनी मां से बात करती है, लेकिन सजा की खबर से टूट चुकी है। निमिषा की मां की कोशिशें अब भी जारी हैं।

इस मामले ने कई नैतिक सवाल भी खड़े किए हैं। क्या निमिषा आत्मरक्षा कर रही थीं? क्या दुर्व्यवहार और शोषण से घबराकर उन्होंने यह कदम उठाया? याचिकाओं में कहा गया है कि तलाल महदी ने निमिषा के पासपोर्ट को जब्त कर रखा था, जबरन शादी का दावा किया, और उन्हें धमकाया भी। लेकिन यमनी अदालत ने इन बातों को खारिज कर दिया।

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अब जबकि 16 जुलाई की तारीख तेजी से नजदीक आ रही है, भारत सरकार और निमिषा का परिवार समय के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। अंतिम विकल्प के रूप में ब्लड मनी की मंजूरी और माफी ही उनका जीवन बचा सकती है।

यह मामला न केवल निमिषा की जिंदगी का सवाल है, बल्कि विदेशों में कार्यरत हजारों भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, मानवाधिकार और कानूनी संरक्षण का भी प्रतीक बन गया है।