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नेपाल में राजनीतिक भूचाल : राष्ट्रपति के निजी निवास पर कब्जे तक पहुँचा “जेन-जी प्रोटेस्ट”

नेपाल लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता और नेताओं की ऐश्वर्यपूर्ण जीवनशैली ने जनता, विशेषकर युवाओं में असंतोष की गहरी लहर पैदा की। 4 सितंबर 2025 को सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगाने का कदम इस असंतोष का तात्कालिक कारण बना। सरकार ने इसे फेक आईडी और साइबर अपराध रोकने का तर्क दिया, लेकिन युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला माना। कुछ इसी तरह आन्दोंलन, अफ़गानिस्तान, श्री लंका, बंगलादेश हुआ, अब नेपाल इसकी चपेट में दिखाई दे रहा है।

आंदोलन का उदय : “जेन-जी प्रोटेस्ट”

8 सितंबर को काठमांडू के मैतिघर मंडला से युवाओं का शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू हुआ। लेकिन कुछ ही घंटों में यह उग्र रूप ले बैठा। संसद परिसर में घुसपैठ, पुलिस बैरिकेड्स का टूटना और हिंसक झड़पें तेज़ी से बढ़ीं। पुलिस ने आंसू गैस, रबर बुलेट और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया, जबकि प्रदर्शनकारियों ने पेड़ों की डालियों और बोतलों से जवाब दिया।

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हिंसक टकराव और कर्फ्यू का विस्तार

स्थिति बिगड़ते ही बनेश्वर से लेकर शीतल निवास (राष्ट्रपति भवन), प्रधानमंत्री निवास, उपराष्ट्रपति निवास और सिंहदरबार तक कर्फ्यू लगा दिया गया। 19 से अधिक मौतें और सैकड़ों घायल होने की पुष्टि हुई। कई वाहनों और एंबुलेंस को आग के हवाले किया गया। संसद भवन में आग लगाने की कोशिश हुई।

राष्ट्रपति निवास तक प्रदर्शनकारियों की पहुँच

सबसे गंभीर मोड़ तब आया जब प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल के निजी निवास की ओर बढ़े और कुछ समय के लिए वहां कब्जा जमाने की खबरें आईं। हालांकि सेना ने स्थिति को नियंत्रित किया और कब्जे की पुष्टि आधिकारिक स्तर पर नहीं हुई, लेकिन इसने नेपाल की राजनीतिक स्थिरता को हिला दिया। शीतल निवास और निजी निवास दोनों पर कड़ी सैन्य सुरक्षा तैनात करनी पड़ी।

सरकार की प्रतिक्रिया

9 सितंबर को बढ़ते दबाव के बीच सरकार ने सोशल मीडिया बैन हटा लिया। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने आपात बैठक कर “निहित स्वार्थ समूहों” को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन विपक्ष ने उनके इस्तीफे की मांग की। गृह मंत्री रमेश लेखक के निवास पर तोड़फोड़ और प्रधानमंत्री निवास पर गोलीबारी की घटनाओं ने संकट और गहरा कर दिया।

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अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और मानवाधिकार चिंताएं

संयुक्त राष्ट्र और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पुलिस फायरिंग में हुई मौतों की स्वतंत्र जांच की मांग की है। नेपाल की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना शुरू हो गया है। युवाओं का यह आंदोलन श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों की घटनाओं से प्रेरित माना जा रहा है।

“जेन-जी प्रोटेस्ट” केवल एक आंदोलन नहीं, बल्कि नेपाल की युवा शक्ति का ऐतिहासिक उदय माना जा रहा है। राष्ट्रपति के निजी निवास तक प्रदर्शनकारियों की पहुँच इस बात का प्रतीक है कि जनता का गुस्सा सत्ता के उच्चतम स्तर तक चुनौती बन चुका है। आने वाले दिनों में यदि भ्रष्टाचार और असमानता पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह आंदोलन और भी बड़े राजनीतिक परिवर्तन की ओर ले जा सकता है।