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नक्सल प्रभावित जिलों में तैनात किए गए 2021 बैच के युवा IPS अधिकारी, फील्ड में लाएँगे नई ऊर्जा

छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सल विरोधी अभियानों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए 2021 बैच के आठ युवा आईपीएस अधिकारियों को तैनात किया है। यह कदम सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रणनीतिक सशक्तिकरण के तौर पर देखा जा रहा है।

इन अधिकारियों को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी – एंटी नक्सल ऑपरेशन्स) के रूप में तैनात किया गया है, जिससे उन्हें फील्ड में प्रत्यक्ष अनुभव मिलेगा और स्थानीय स्तर पर योजना बनाने और क्रियान्वयन में तेजी आएगी।

इस पुनर्नियुक्ति का निर्णय 10 जून को सुकमा जिले में एक आईईडी विस्फोट में एएसपी आकाश राव गिरेपुंजे की शहादत के दो दिन बाद लिया गया, जिससे नक्सल अभियान को नई दिशा देने की आवश्यकता और भी स्पष्ट हुई।

तैनात किए गए अधिकारी:

  • सुकमा: रोहित कुमार शाह

  • दंतेवाड़ा: उदित पुष्कर

  • बीजापुर: रवींद्र मीणा और अमन झा

  • नारायणपुर: अजय कुमार और अक्षय सबद्रा

  • भानुप्रतापपुर (कांकेर): आकाश श्रीश्रिमाल

  • दुर्ग (एसटीएफ): आकाश कुमार शुक्ला

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इन नियुक्तियों को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इससे फील्ड में तात्कालिक निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी और इन अधिकारियों की ऊर्जा व तकनीकी समझ अभियानों में नई धार लाएगी।

बीजापुर के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र यादव ने इस कदम को “समयबद्ध और रणनीतिक” बताया। उन्होंने कहा कि युवा अधिकारी जब नक्सल क्षेत्रों में आते हैं, तो उन्हें खुफिया जानकारी जुटाने से लेकर फील्ड ऑपरेशन्स तक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ दी जाती हैं।

नारायणपुर एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि अब युवा अधिकारी भी चार-पांच दिन लंबी जंगल आधारित अभियानों का हिस्सा बन रहे हैं। “यह लड़ाई केवल हथियारों की नहीं, बल्कि दिल और दिमाग की भी है। और युवा अधिकारी इसमें नई सोच लेकर आ रहे हैं,” उन्होंने कहा।

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने इसे केवल जनशक्ति की वृद्धि नहीं, बल्कि एक मजबूत और संवेदनशील पुलिसिंग व्यवस्था की दिशा में कदम बताया। “ये अधिकारी अनुभवशील नेतृत्व को सहयोग करेंगे और स्थानीय समुदायों के साथ विश्वास कायम करने में मददगार होंगे,” उन्होंने कहा।

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पूर्व विशेष पुलिस महानिदेशक आरके विज ने कहा कि इन तैनातियों से एसपी स्तर पर योजनाएं बनाना और क्रियान्वयन करना अब अधिक प्रभावी होगा। “फील्ड में काम करते समय रियल-टाइम खुफिया जानकारी और निर्णय लेने की जरूरत होती है, और यह बदलाव उसे मजबूती देगा।”

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, अब जवानों तक में तकनीकी और रणनीतिक (Tech and TAC) समझ विकसित हो रही है, जिसमें डेटा विश्लेषण, एन्क्रिप्शन/डीक्रिप्शन, संभावना सिद्धांत और गेम थ्योरी जैसी तकनीकों का उपयोग हो रहा है।

कुल मिलाकर, यह कदम ना केवल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की तैनाती को सशक्त करेगा, बल्कि सरकार की 2026 तक कोर नक्सल ज़ोन को नक्सल मुक्त करने की योजना को भी गति देगा।