तीन महीने में राष्ट्रीय राजमार्गों से हटें सभी अतिक्रमण : सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश
नई दिल्ली, 23 मई 2025: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह राष्ट्रीय राजमार्गों से सभी अतिक्रमणों को तीन महीने के भीतर हटाए और इसकी अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करे। यह आदेश सार्वजनिक सुरक्षा और राजमार्गों की अखंडता बनाए रखने के लिए दिया गया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि चाहे वह मस्जिद हो, दरगाह हो या मंदिर हो, सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण करने वाली किसी भी धार्मिक संरचना को हटाया जाना चाहिए। यह आदेश राष्ट्रीय राजमार्ग (भूमि और यातायात) अधिनियम, 2002 और राजमार्ग प्रशासन नियम, 2004 (2019 में संशोधित) के तहत दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक लंबे समय से चल रहे मुद्दे पर आया है, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गों और रेलवे ट्रैक पर अवैध अतिक्रमणों को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी। 2024 में, कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि सड़कों, पानी के शरीरों या रेलवे ट्रैक पर अतिक्रमण करने वाली किसी भी धार्मिक संरचना को हटाया जाना चाहिए। 1 अक्टूबर 2024 को, कोर्ट ने कहा था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, और सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी धार्मिक संरचना, चाहे वह मंदिर हो या मस्जिद, बाधा नहीं बन सकती।
22 मई 2025 को, जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने एक जनहित याचिका (ज्ञान प्रकाश बनाम भारत सरकार और अन्य) पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और राजमार्ग प्रशासन को कई निर्देश जारी किए। यह याचिका राष्ट्रीय राजमार्गों पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ दायर की गई थी, जिन्हें यात्री सुरक्षा और सड़क ढांचे के लिए खतरा बताया गया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह तीन महीने में सभी अतिक्रमण हटाए और अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करे। इसके लिए विशेष निगरानी टीमें गठित करने, “राजमार्गयात्रा” ऐप को प्रचारित करने, और CCTV कैमरे लगाने जैसे कदमों का निर्देश दिया गया है।
कोर्ट ने 2017 में भारतीय राजमार्गों पर हुई 53,181 मौतों का हवाला देते हुए कहा कि अतिक्रमण यातायात और सुरक्षा के लिए खतरा हैं। “रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया – 2017” रिपोर्ट के अनुसार, ये मौतें राजमार्गों पर सुरक्षा की कमी को दर्शाती हैं। कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमण हटाना न केवल यातायात को सुचारू करेगा, बल्कि दुर्घटनाओं को कम करने में भी मदद करेगा।
अमीकस क्यूरी स्वाति घिलड़ियाल की सिफारिशों पर ध्यान देते हुए, कोर्ट ने निरीक्षण टीमों के गठन, राज्य पुलिस के साथ मिलकर नियमित गश्त, और “राजमार्गयात्रा” ऐप में सुधार जैसे उपायों का निर्देश दिया। इस ऐप के माध्यम से लोग geo-tagged शिकायतें दर्ज कर सकते हैं, और टोल व फूड प्लाजा पर इसकी जानकारी प्रदर्शित की जाएगी। कोर्ट ने संयुक्त सचिव, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, को शिकायतों का विवरण रखने और पुन: अतिक्रमण रोकने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करने का भी निर्देश दिया।
इस मामले में अगली सुनवाई 15 सितंबर 2025 को होगी, जहां अनुपालन रिपोर्ट और लागू किए गए उपायों की समीक्षा की जाएगी। यह आदेश संवेदनशील हो सकता है, क्योंकि धार्मिक संरचनाओं को हटाने से सामाजिक और धार्मिक भावनाएं प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून और सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि हैं। यह आदेश राष्ट्रीय राजमार्गों और रेलवे ट्रैक को अतिक्रमण मुक्त करने की दिशा में एक ठोस कदम है, और इसके कार्यान्वयन में स्थानीय समुदायों के साथ संवाद और संवेदनशीलता की आवश्यकता होगी।