जानिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विवेकानंद शिला स्मारक की डायरी में क्या लिखा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 30 मई को विवेकानंद शिला स्मारक के ध्यान मंडप में प्रारंभ की गई 45 घंटे की ध्यान साधना पूर्ण हुई। प्रधामंत्री ने भगवा वस्त्र पहनकर विवेकानंद जी के प्रतिमा को मार्ल्यापण किया। धानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विवेकानंद रॉक मेमोरियल में सूर्योदय के समय ‘सूर्य अर्घ्य’ देने के बाद शनिवार को तीसरे और अंतिम दिन अपनी ध्यान साधना शुरू की थी। पीएम ने एक लोटे से समुद्र में सूर्य को जल अर्पित किया और माला जपी। विवेकानन्द शिला स्मारक में ध्यान के पश्चात प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्मारक की डायरी में अपने विचार लिखे।
भारत के अंतिम छोर कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद शिला स्मारक में आकर मैं एक अलौकिक और अद्भुत उर्जा का अनुभव कर रहा हूँ।
इसी शिला पर मां पार्वती और स्वामी विवेकानंद जी ने तपस्या की थी। आगे चलकर इस शिला स्मारक के रूप में एकनाथ रानडे जी ने स्वामी विवेकानंद जी के विचारों को जीवंत कर दिया ।
आध्यात्मिक नवजागरण के प्रणेता विवेकानंद जी मेरे आदर्श, मेरी ऊर्जा और मेरी साधना के स्त्रोत रहे हैं। वर्ष पूर्व पूरे देश का भ्रमण करने के बाद जब स्वामी विवेकानंद जी ने इस स्थान पर आकर तप किया था, तो यहीं पर उन्हें भारत के पुनरुत्वान की एक नई दिशा प्राप्त हुई थी। यह मेरा सौभाग्य है कि आज इतने वर्षों के बाद जब स्वामी जी के मूल्यों और आदर्शों पर चलते हुए उनके सपनों का भारत आकार ले रहा है। तो मुझे भी इस पवित्र स्थान पर साधना का अवसर मिला है।
इस शिला स्मारक में मेरी यह साधना मेरे जीवन के अविस्मरणीय क्षणों में से एक है। माँ भारती के चरणों में बैठकर आज में एक बार फिर से यह संकल्प दोहराता हूं कि मेरे जीवन का पल-पल और शरीर का कण-कण सदैव राष्ट्र की सेवा में समर्पित रहेगा। राष्ट्र की उन्नति और देशवासियों के कल्याण की कामना के साथ माँ भारती को कोटि-कोटि नमन।
नरेन्द्रमोदी
1-6.2024