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ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टेलीफ़ोनिक बातचीत

नई दिल्ली 8 अगस्त, 2025/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने गुरुवार को एक टेलीफोनिक बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के संकल्प को दोहराया। इस संवाद में पीएम मोदी ने हाल ही में संपन्न अपनी ब्राजील यात्रा को “यादगार और सार्थक” बताते हुए इसे दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव करार दिया।

भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, ऊर्जा, रक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 20 अरब डॉलर से अधिक करने का लक्ष्य तय किया, नवीकरणीय ऊर्जा और तकनीकी नवाचार में संयुक्त प्रयास की योजना बनाई, रक्षा प्रौद्योगिकी और अभ्यास में साझेदारी पर जोर दिया तथा खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सहयोग बढ़ाने का इरादा जताया।

हालांकि, बातचीत के दौरान एक मुद्दा ऐसा भी रहा जिसने दोनों देशों की सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं में अंतर स्पष्ट कर दिया—अमेरिका द्वारा भारत और ब्राजील पर लगाए गए 50% टैरिफ। राष्ट्रपति लूला ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट और रॉयटर्स को दिए बयान में इस टैरिफ को “एकतरफा” और “अस्वीकार्य” करार दिया। उन्होंने इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा संप्रभु देशों पर नियम थोपने का प्रयास बताया और स्पष्ट किया कि ब्राजील इस मामले में सीधे ट्रंप से बातचीत नहीं करेगा, बल्कि विश्व व्यापार संगठन जैसे बहुपक्षीय मंचों के जरिये अपने हितों की रक्षा करेगा।

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लूला ने इस टैरिफ को बहुपक्षवाद को कमजोर करने की कोशिश बताया और ब्रिक्स देशों से एकजुट होकर जवाब देने का आह्वान किया। उन्होंने संकेत दिया कि इस विषय पर वह पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित अन्य ब्रिक्स नेताओं से चर्चा करेंगे। हाल ही में ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की सफलता का उल्लेख करते हुए लूला ने भारत की आगामी ब्रिक्स अध्यक्षता में सहयोग का आश्वासन भी दिया।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह टैरिफ 28 अगस्त, 2025 से प्रभावी होगा और इसमें 25% “पारस्परिक” दर के साथ 25% दंडात्मक शुल्क शामिल है, जो भारत के रूस से तेल आयात के कारण लगाया गया है। लूला का मानना है कि यह निर्णय दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करेगा और इसी कारण वैश्विक दक्षिण देशों के बीच सहयोग को और मजबूती देना अब समय की मांग है।