अवसर कबहुँ न गँवाईये – मनकही
अवसर कबहुँ न गँवाईये, जो अवसर मिले हाथ।
अवसर से अवसर मिले, करते रहिए काम।।
ईश्वर ने सभी को समान समय और अवसर ही दिए हैं। प्रकृति कभी अन्याय नही करती, सब कुछ सामने ही है परंतु उसे परिश्रम से ही प्राप्त किया जा सकता है। मनुष्य जो भी कार्य करता है उसका परिणाम अवश्य मिलता है। जीवन में अवसर भी सभी को मिलता है, जब किसी लक्ष्य को लेकर कार्य करते हैं तो मार्ग में बाधाओं का आना भी निश्चित है। परंतु इन्ही में अवसर भी छिपा होता है। किस समय, कैसा कार्य किया जाए कि परिणाम अच्छा मिले यह स्वविवेक से निर्णय लेकर ही किया जा सकता है। परंतु सफलता एक ही अवसर से मिलेगी ही यह निश्चित नहीं। हाथ पर हाथ रखने से अवसर कभी नही आता।
सुसंगति और कुसंगति दोनों का अवसर प्राप्ति से घनिष्ठ संबंध है। कुसंगति से लोग बुरे कर्मों की ओर प्रेरित करते है यदि प्राणी विवेकवान होगा तो वह ऐसे मार्ग पर चलने से बचेगा। यदि विवेक शून्य होकर अंधानुकरण करेगा तो उसे पग पग पर बुरे परिणाम मिलेंगे। अवसर तो उसे कुसंगति में भी उतना ही मिला है। जिस क्षण वह स्वयं को बुरे से अच्छे की ओर ले जा सकता था। किंतु कुसंगति कभी सुअवसर को पहचानने ही नहीं देती। इस अवसर को पहचानने के लिए कुसंगत से दूर रहना होगा। जो अत्यंत कठिन कार्य है। धैर्य से आत्मावलोकन कर धीरे धीरे परिस्थितियों को समझना होगा। सर्वप्रथम शान्त चित्त से समय का सदुपयोग करना होगा अभ्यास से धीरे धीरे परिस्थितियां सुधरेंगी इस विश्वास से परिश्रम करना होगा।
सुसंगति से अच्छे कार्य की प्रेरणा मिलेगी जो प्रत्येक क्षण कुछ अच्छा करने का संबल प्रदान करती है। फलस्वरूप आप सफलता की एक एक सीधी चढ़ते चले जाते हैं। परिवार समाज और देश मे प्रतिष्ठित होकर सबके आदर्श भी बनते हैं।अवसर कोई भौतिक वस्तु नहीं जो क्रय की जाए। अवसर हमारे कर्म से निर्धारित होता है। अच्छे कर्म, अच्छी सोच और सज्जनों की संगति उनके विचार उनके संघर्षों से प्रेरणा लेकर परिश्रम करते रहने से अवसर प्राप्त होना निश्चित है।
कब और कैसे? आपके साथ जीवन मे एक ऐसा मोड़ आएगा जब आपका निर्णय आपका परिश्रम ऐसा परिणाम देकर जाएगा जिसकी आपने कल्पना ही नही की थी कि ऐसा भी हो सकता है। आप सोचेंगे कि यदि उस समय मैंने यह कार्य नहीं किया होता तो मुझे सफलता नहीं मिलती और मैं इस स्थान को प्राप्त नहीं कर पाता। परंतु जीवन के प्रत्येक क्षण में शीघ्र निर्णय लेकर उस मार्ग पर चलकर देखने का अवसर नही गंवाना चहिए। वैसे सब कुछ ईश्वर अधीन है, हम चाहते कुछ हैं और होता कुछ है। शायद इसीलिए ऐसी व्यवस्था की है यदि एक मार्ग बंद होता है तो दूसरा खुलता है।अर्थात अवसर की प्राप्ति होती रहती है। यह स्वयं की कार्यकुशलता पर निर्भर है।
अवसर अकेले में नहीं मिलता। इसके लिए विभिन्न प्रकार से ज्ञान प्राप्त करना अतिआवश्यक है। इसके लिए समाज -परिवार -समूह का हिस्सा बनना पड़ता है। लोगों के विचार चर्चा परिचर्चा सभी तरह की बातों को सुनकर सोचने समझने से अवसर का मार्ग दिखता है। भीड़ से हट कर शान्तिपूर्ण मनन चिंतन कर सभी परिस्थितियों को समझने से हम अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रणनीति तैयार कर सकने में सफल होते हैं। अवसर प्राप्त करने का उपाय है किसी उद्देश्य को लेकर कार्य करते रहना। अवसर कब आकर चला जायेगा पता ही नहीं चलेगा।फिर मन पछता कर रह जाएगा। मन पछितैंइहें अवसर बीते ………
अवसर से अवसर मिले, काम करै दिन रैन।
जब अवसर मिल जाइहैं, मनहि मिलिहैं चैन।।
- साहित्यकार एवं व्याख्याता, अम्बिकापुर सरगुजा
बहुत सुंदर आलेख💐💐💐💐