मणिपुर में लोकप्रिय सरकार की मांग तेज, 10 एनडीए विधायकों ने राज्यपाल से की मुलाकात
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के बीच एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। एनडीए के 10 विधायकों ने बुधवार को राज्यपाल अजय भल्ला से राजभवन में मुलाकात की और 44 विधायकों का समर्थन मिलने का दावा करते हुए एक नई लोकप्रिय सरकार के गठन की मांग की।
इन विधायकों में भाजपा के युमनम राधेश्याम सिंह, थो. राधेश्याम सिंह, लौरेंबम रमेश्वर मैतेई, थांगजम अरूणकुमार, ख. रघुमणि सिंह, कोंगखम रोबिंद्रो सिंह और पाओनम ब्रोजन सिंह शामिल हैं। इनके साथ एनपीपी से शेख नूरुल हसन और जांघेमलियुंग तथा एक निर्दलीय विधायक सपम निशिकांत भी शामिल थे। इन 10 में से 9 विधायक मैतेई-बहुल घाटी क्षेत्र से हैं, जबकि एक विधायक नागा समुदाय से हैं।
भाजपा विधायक थो. राधेश्याम सिंह ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल को 44 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा और कहा कि अब मणिपुर में लोकतांत्रिक सरकार बहाल करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति शासन एक आपातकालीन व्यवस्था है, इसे अंतिम उपाय के रूप में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यदि लोकप्रिय सरकार विफल होती है, तो दोबारा राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।”
राधेश्याम सिंह ने यह भी बताया कि उन्होंने उन सभी विधायकों का समर्थन जुटाया है जो मणिपुर विधानसभा में हैं, सिवाय 10 कुकी-जो विधायकों और 5 कांग्रेस विधायकों के। वर्तमान में विधानसभा में 60 सीटें हैं, जिनमें से एक सीट खाली है।
इससे पहले 29 अप्रैल को 21 एनडीए विधायकों ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर राज्य में लोकतांत्रिक सरकार के गठन की मांग की थी। उस पत्र में भी यही तर्क दिया गया था कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बावजूद राज्य में शांति और सामान्य स्थिति लौटने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
शेख नूरुल हसन ने भी 44 विधायकों के समर्थन का दावा दोहराते हुए कहा कि जनता की मांग को देखते हुए एक चुनी हुई सरकार का गठन जरूरी है।
हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के करीबी विधायक एल. सुसिंद्रो मैतेई ने इस राजनीतिक पहल की जानकारी होने से इनकार किया। उन्होंने कहा, “मैं इस घटनाक्रम से अनजान हूं। सामान्यतः बहुमत का दावा पार्टी के नेता द्वारा किया जाता है, न कि किसी समूह द्वारा। हालांकि, हम यह स्वीकार करते हैं कि इन विधायकों ने राज्य की समस्याओं को उजागर किया है।”
राज्यपाल से मुलाकात के बाद विधायकों ने बताया कि उन्होंने किसी नेता के नाम का प्रस्ताव नहीं दिया है, और अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में है कि वह किसे मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपे |