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महेश सेमवाल : घुमक्कड़ी प्यार जैसी, जाने कब लग जाए।

घुमक्कड़ जंक्शन पर आज आपसे मुलाकात करवा रहे हैं दिल्ली निवासी महेश सेमवाल से। पेशे से मेडिसीन कम्पनी के मार्केटिंग विभाग में कार्यरत हैं एवं घुमक्कड़ी भी अच्छी कर लेते हैं। ये मानते हैं कि घुमक्कड़ी प्यार जैसा है, कब लग जाए पता नहीं। अंग्रेजी में ब्लॉग लिखते हैं तथा मिलनसार व्यक्ति हैं। आज चर्चा करते हैं इनसे और जानते हैं इनकी घुमक्कड़ी के विषय में……॥

1 – आप अपनी शिक्षा दीक्षा, अपने बचपन का शहर एवं बचपन के जीवन के विषय में पाठकों को बताएं कि वह समय कैसा था?
@ बचपन ओर पढ़ाई अलग अलग जगह पर हुई क्योंकि पिताजी आर्मी में थे। 1983 में जब देल्ही आया तो आठवी में एडमिशन लिया और तब घर वालों ने डिसाइड किया कि अब आगे की पढ़ाई देल्ही में रह की की जाएगी चाहे कहीं भी पोस्टिंग आये। इस तरह 1984 के बाद से देल्ही में ही है। देल्ही यूनिवर्सिटी से स्नातक ओर फिर कोरोस्पांडेंस से MBA करा। लगभग आधी जिंदगी आर्मी के बीच में निकली, अलग अलग क्षेत्र ओर धर्म के लोगों के साथ निकली जो कि एक अच्छा अनुभव था। अलग अलग तरह के लोगों और हर धर्म के बारे में जानने का मौका मिला। सबसे बड़ी चीज आर्मी लाइफ ने इंडिपेंडेंट बनाना सिखाया।

2 – वर्तमान में आप क्या करते हैं एवं परिवार में कौन-कौन हैं?
@ मैं पिछले 24 साल से हेल्थ केअर इंडस्ट्रीज में सेल्स विभाग में हुँ ओर अभी AGM -सेल्स के पद पर मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स प्रोडक्ट्स हैंडल कर रहा हुं। घर में पिताजी, माताजी, एक भाई, दो बहनें, एक वाइफ, ओर दो बेटी हैं। सब भाई बहन शादी शुदा हैं। वाइफ एमिटी इंटरनॅशनल में पढ़ाती हैं। बड़ी बेटी इस साल देल्ही यूनिवर्सिटी में eco hon में एडमिशन लिया है ओर छोटी बेटी क्लास 8th में है।

3 – घूमने की रुचि आपके भीतर कहाँ से जागृत हुई?
@ घूमना फिरना थो जन्म से ही शरू हो गया था, पैदाईश दार्जलिंग में हुई और उसके बाद कई राज्यों में जाना हुआ पिताजी की पोस्टिंग के साथ साथ। उसके बाद जॉब भी सेल्स में लगी तो काफी घूमने को मिला और मिल रहा है। घुमक्कड़ी भी एक प्यार की तरह से है कब जागृत हुआ बताना बड़ा मुश्किल है, घूमते घूमते कब लत बन गई पता ही नही चला।

4 – किस तरह की घुमक्कड़ी आप पसंद करते हैं, ट्रेकिंग एवं रोमांचक खेलों भी क्या सम्मिलितहैं, कठिनाइयाँ भी बताएँ?
@ एक घुमक्कड़ के लिए ये चुनना बड़ा मुश्किल है, वैसे हर तरह की यात्रा पसंद है बस कॉन्क्रेट के जंगल पसंद नही इसलिए दुबई ओर सिंगापुर भी पसंद नही आया। अननोन जगह घूमना काफी अच्छा लगता है। घूमने में ज्यादा कठिनाई नही आई क्योंकि घर वालों का पूरा सपोर्ट था बस तंगी छूट्टी की रहती है वो भी आफिस की तरफ से नही बस अपने वर्क लोड के कारण।

5 – उस यात्रा के बारे में बताएं जहाँ आप पहली बार घूमने गए और क्या अनुभव रहा?
@ पहला तो याद करना मुश्किल हैं।
6 – घुमक्कड़ी के दौरान आप परिवार एवं अपने शौक के बीच किस तरह सामंजस्य बिठाते हैं?
@ बच्चो की छुट्टियों में पहला हक उनका जहां वो लोग जान चाहें, बाकी साल एक आध छुट्टी मिलते ही जहां मन करे निकल जाता हूँ। परिवार के साथ पूरी प्लानिंग के साथ, तब हम घुमक्कड़ नही पर्यटक होते हैं, होटल, ट्रांसपोर्ट सब पहले से बुक। जब अकेले निकलते हैं तब सब राम भरोसे, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, कोई लक्ज़री होटल नही बस घुमक्कड़ी।

7 – आपकी अन्य रुचियों के साथ बताइए कि आपने ट्रेवल ब्लाॅग लेखन कब और क्यों प्रारंभ किया?@ ट्रेवल ब्लॉगिंग करीब 7-8 साल पहले शुरू करी जब में लैंसडौन पर कुछ डेटिल्स ढूंढ रहा था, वापस आने पे लगा कि मुझे किसी के लिखे से इतनी हेल्प मिली और बस दूसरों को में भी थोड़ी बहुत हेल्प कर सकूँ के मकसद से शरू करी। विशेष शौक बस घूमना है और कोई खास शौक नही है हैं थोड़ा बहुत कुछ पका लेते हैं8 – घुमक्कड़ी (देशाटन, तीर्थाटन, पर्यटन) को जीवन के लिए आवश्यक क्यों माना जाता है?@1. घुमक्कड़ी हमे अलग अलग लोगों और जगहों को जानने का मौका देती है।
2. हमे कई कल्चर्स के बारे में जानने का मिलता है जो हम कई बार पढ़ कर नही जान पाते।
3. रूटीन के काम के दिमाग की शांति के लिए घुमक्कड़ी से बढ़िया ओर कोई चीज़ नही।
4. टाइम के साथ साथ आप की फोटोग्राफी स्किल्स बढ़ती है।
5. सबसे खास आप कुछ दिन 100% अपनी फैमिली के साथ होते हो।।

9 – आपकी सबसे रोमांचक यात्रा कौन सी थी, अभी तक कहाँ कहाँ की यात्राएँ की और उन यात्राओं से क्या सीखने मिला?

@ वैसे तो हर यात्रा में रोमांचक होती है, वैसे दो साल पहले किये कल्पेश्वर से रुद्रनाथ वाला ट्रेक में कुछ अनुभव ऐसे हुए कि उसको भूलना मुश्किल है। हाल में कई सिक्किम यात्रा भी रोमांचक थी। जॉब के सिलसिले के कारण अभी तक नार्थ ईस्ट के 2-3 राज्य छोड़ कर लगभग सब राज्य टच तो कर चुका हूं। इसके अलावा नोकरी ने 9 -10 कन्ट्रीज भी घूम चुका हूं।

10 – नये घुमक्कड़ों के लिए आपका क्या संदेश हैं?

@ यंग घुमक्कड़ों को बोलना चाहूंगा कि अपनी यात्राओं में ट्रैकिंग को जरूर जोडें क्योंकि वो आप को हर परिस्थिति ओर हालात में रहना सिखाता है। घुमक्कड़ी आप को अलग अलग तरह के इंसान, जगह, कल्चर, खान पान को जानने का मौका देता है।

20 thoughts on “महेश सेमवाल : घुमक्कड़ी प्यार जैसी, जाने कब लग जाए।

  • vimal bansal

    वाह

  • महेश सेमवाल जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा .. आपका आभार।

  • महेश जी आप एक अच्छे व मिलनसार व्यक्तित्व रखने वाले इंसान है। आपके बारे में जानकर अच्छा लगा।

  • Vinod gupta

    बहुत ही सरल है महेश जी

  • Raj kumar Sharma

    Very great, aapki journey ke baare mein jaan kar accha laga

  • Yogi Saraswat

    एक बहुत पढ़े लिखे और जेंटलमैन महेश जी के विषय में जानकार अच्छा लगा ! घुमक्कड़ी के उनके जज्बे को सलाम ?

  • MARTAND

    पोस्ट पढ़ कर मज़ा आया, महेश जी से घूमने की प्रेरणा भी मिली।

  • Gyanendra Pandey

    Very nice

  • Very nice Story of your life. Bahut kuchh janane ko mila aapse ye sab padhne ke baad.
    thanks to all

  • महेश जी से अभी तक एक ही बार मुलाकात हुई है और उस मुलाकात में आप बेहद सरल सुलझे व्यक्तित्व के मालिक लगे आज आपके जीवन के कई अनछुए पहलुओं से रूबरू हुए उसके लिए ललित जी का दिल से धन्यवाद

  • महेश जी…. आपके बारे में जानकार अच्छा लगा… बढ़िया साक्षत्कार …

    धन्यवाद ललित जी को

  • वाह !!!!! अच्छा लगा आपके बारे में जानकार…..ओर आपकी इतनी अच्छी जानकारी देने वाले को ह्रदय से आभार

  • aapse yahan bhi mulakat ho gai mahesh ji.

  • Santosh misra

    परिपक्व जवाब हैं आपके
    अच्छा लगा आपसे मिलकर ।

  • अलग अलग रूप रखकर फोटू खिंचवाना भी तो आपकी रुचि है महेश जी , जोरदार परिचय । परिवार का सहयोग बगैर सब चीजें सामान्य है ।जय घुमक्कड़ी दिल से … मिलेंगे फिर से ☺☺☺

  • Rachana

    Badhiya

  • Shashi kumar chaddha

    वाह !

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