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महायुति सरकार में तनाव: फडणवीस ने परिवहन बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति में बदलाव किया

महाराष्ट्र में महायुति सरकार के गठन के बाद से, आंतरिक असंतोष की खबरें अक्सर सामने आई हैं। एक प्रमुख चर्चा का विषय उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रति असंतोष रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, शिंदे कई ऐसे फैसलों से नाखुश हैं, जिन्हें फडणवीस ने उलट दिया है, जो शिंदे के पूर्व मुख्यमंत्री रहते हुए लिए गए थे। इस स्थिति ने उनके रिश्ते में तनाव पैदा किया है।

परिवहन बोर्ड अध्यक्ष पर निर्णय में बदलाव

इन असंतोषपूर्ण स्थितियों को देखते हुए, फडणवीस ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय पर पुनर्विचार किया। 6 फरवरी को मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय सेठी को महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) का अध्यक्ष नियुक्त किया था। हालांकि, यह कदम शिवसेना के नेता प्रताप सरनाईक द्वारा प्रबंधित विभाग में सीधे हस्तक्षेप के रूप में देखा गया।

इस नियुक्ति को सरनाईक के अधिकारों की अनदेखी के रूप में माना गया, जिससे शिंदे गुट में असंतोष बढ़ा। News18 हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार, शिंदे ने फडणवीस से आग्रह किया कि वे इस फैसले पर पुनर्विचार करें और प्रताप सरनाईक को अध्यक्ष के पद पर पुनः नियुक्त करें। इसके बाद, फडणवीस ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, और सरनाईक को अध्यक्ष के रूप में फिर से नियुक्त कर दिया।

प्रताप सरनाईक की पुनः नियुक्ति

पूर्व में, परिवहन विभाग शिंदे के नियंत्रण में था जब तक महायुति सरकार का गठन नहीं हुआ था। उस समय भारत गोगावाले ने संक्षिप्त समय के लिए अध्यक्ष का पद संभाला था।

हालांकि, हाल ही में राज्य चुनावों के बाद फडणवीस द्वारा लिए गए फैसलों ने कुछ पुराने नीतियों को उलट दिया, जिससे दोनों नेताओं के बीच तनाव बढ़ा। सरनाईक की पुनः नियुक्ति को अब इन तनावों को सुलझाने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

नियुक्ति नीतियों में बदलाव

पहले के समय में परिवहन बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए कोई विशेष प्रक्रिया नहीं थी, और स्वतंत्र या राजनीतिक व्यक्तित्व अक्सर इस पद पर नियुक्त किए जाते थे। हालांकि, 2014 से सरकार ने एक नीति लागू की, जिसके अनुसार परिवहन मंत्री को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जाती है।

यह हालिया बदलाव महायुति गठबंधन के भीतर स्थिरता बनाए रखने और सुचारू शासन सुनिश्चित करने का एक प्रयास प्रतीत होता है, साथ ही गठबंधन के विभिन्न गुटों की चिंताओं का समाधान करने का भी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हालांकि तनाव अस्थायी रूप से कम हुआ है, लेकिन गठबंधन को लंबी अवधि में प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए और समन्वय की आवश्यकता होगी।

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