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महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली से पाँचवीं कक्षा तक हिंदी तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य

महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के अंग्रेज़ी और मराठी माध्यम स्कूलों में पहली से पाँचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत लागू की जा रही नई शैक्षणिक संरचना के तहत उठाया गया है। अब तक इन स्कूलों में दो भाषाएँ ही पढ़ाई जाती थीं, लेकिन आगामी शैक्षणिक वर्ष से चरणबद्ध तरीके से तीन-भाषा प्रणाली लागू की जाएगी।

राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बुधवार को जारी शासन निर्णय (जीआर) में बताया गया कि यह बदलाव 2025-26 शैक्षणिक वर्ष से पहली कक्षा के छात्रों पर लागू होगा। हिंदी को अब तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाना अनिवार्य किया जाएगा, जबकि अन्य भाषायी माध्यमों वाले स्कूल पहले से ही यह प्रणाली अपना रहे हैं, क्योंकि उनके यहाँ अंग्रेज़ी और मराठी के साथ उनकी मातृभाषा भी पढ़ाई जाती है।

नई शिक्षा नीति के अनुरूप अब महाराष्ट्र के स्कूलों में 5+3+3+4 शैक्षणिक संरचना लागू की जाएगी। इसमें तीन साल की पूर्व-प्राथमिक शिक्षा और पहली व दूसरी कक्षा को ‘आधारशिला चरण’ माना गया है, कक्षा 3 से 5 ‘तैयारी चरण’, कक्षा 6 से 8 ‘माध्यमिक चरण’, और कक्षा 9 से 12 ‘माध्यमिक शिक्षा चरण’ कहलाएंगे।

इस बदलाव के तहत महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल (Balbharati) द्वारा नए पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन किया जा रहा है। ये पाठ्यपुस्तकें राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के पाठ्यक्रम पर आधारित होंगी, साथ ही महाराष्ट्र की स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सामाजिक विज्ञान और भाषाओं में राज्य-विशिष्ट बदलाव किए गए हैं।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के निदेशक राहुल रेखावर ने जानकारी दी कि प्री-प्राइमरी के पहले तीन वर्षों का पाठ्यक्रम पहले ही तैयार किया जा चुका है और इसे महिला व बाल कल्याण विभाग के सहयोग से आंगनवाड़ियों में लागू किया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी।

इसके अलावा, छात्रों के मूल्यांकन को लेकर भी बड़ा बदलाव किया गया है। अब छात्रों को केवल अंकों के आधार पर नहीं, बल्कि उनके व्यवहार, व्यक्तित्व विकास और विभिन्न कौशलों के आधार पर ‘होलिस्टिक प्रगति कार्ड’ (HPC) दिया जाएगा। यह रिपोर्ट कार्ड 2025-26 से कक्षा 1 में लागू किया जाएगा, जिसमें नए पाठ्यक्रम के साथ छात्रों की समग्र प्रगति का आंकलन किया जाएगा।

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