futuredछत्तीसगढताजा खबरें

केंद्र की मंजूरी से छत्तीसगढ़ में दलहन–तिलहन उपार्जन का रास्ता साफ, खरीफ के लिए 425 करोड़ स्वीकृत

छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए राहतभरी खबर है। प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के अंतर्गत प्राइस सपोर्ट स्कीम में राज्य को दलहन और तिलहन फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी की केंद्र सरकार से स्वीकृति मिल गई है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की पहल पर केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और राज्य के कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई चर्चा के बाद खरीफ सीजन के लिए 425 करोड़ रुपये की मंजूरी प्रदान की गई है।

राज्य सरकार ने केंद्र को खरीफ और रबी सीजन के लिए कुल 1 लाख 22 हजार मीट्रिक टन दलहन–तिलहन उपार्जन का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें खरीफ के लिए 50 हजार और रबी के लिए 72 हजार मीट्रिक टन शामिल हैं। फिलहाल केंद्र से खरीफ सीजन के उपार्जन की अनुमति मिली है। इसके तहत अरहर 21,330 मीट्रिक टन, उड़द 25,530 मीट्रिक टन, मूंग 240 मीट्रिक टन, सोयाबीन 4,210 मीट्रिक टन और मूंगफली 4,210 मीट्रिक टन की खरीदी की जाएगी।

See also  सांसद खेल महोत्सव का भव्य समापन: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय बोले—फिट युवा ही विकसित भारत की नींव

इन फसलों के उपार्जन पर कुल 425 करोड़ रुपये खर्च होंगे। केंद्र सरकार ने मांग बढ़ने की स्थिति में सोयाबीन और मूंगफली के लिए अतिरिक्त मात्रा की स्वीकृति देने का आश्वासन भी दिया है। वर्ष 2025-26 के लिए भारत सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य के अनुसार अरहर 8,000 रुपये प्रति क्विंटल, मूंग 8,768 रुपये, उड़द 7,800 रुपये, मूंगफली 7,800 रुपये और सोयाबीन 5,328 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदी की जाएगी।

दलहन–तिलहन उपार्जन के लिए राज्य सरकार ने व्यापक तैयारियां की हैं। उपार्जन का कार्य मार्कफेड के माध्यम से सहकारी समितियों द्वारा किया जाएगा। इसके लिए 22 जिलों में 222 उपार्जन केंद्र अधिसूचित किए जा चुके हैं। किसानों का पंजीयन कृषि विभाग के एकीकृत किसान पोर्टल पर जारी है। जिन किसानों का पंजीयन अब तक नहीं हो सका है, वे नजदीकी सहकारी समिति के माध्यम से पंजीयन कराकर योजना का लाभ ले सकते हैं।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दलहन और तिलहन का उपार्जन किसानों के हित में राज्य सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय है। इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इस पहल से प्रदेश में फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा और छत्तीसगढ़ दाल एवं खाद्य तेल उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा। राज्य सरकार किसानों के हित में केंद्र सरकार के साथ समन्वय बनाकर लगातार कार्य कर रही है।

See also  भारतीय इतिहास का सबसे करुण और गौरवपूर्ण अध्याय : धर्म के लिए बलिदान का सप्ताह