राष्ट्रसेवा और संघर्ष के सच्चे साधक डॉ. इन्द्रेश : काव्य गाथा
डॉ. इन्द्रेश कुमार (RSS): राष्ट्रभाव, संगठन, सेवा, संवाद और समरसता के भावों से ओतप्रोत: कविता
जन्म हुआ जहाँ भावनाओं में, राष्ट्रप्रेम भरा हुआ था,
भारतवर्ष की माटी में जन्मे, तब अंधकार डरा हुआ था ।।
विद्या पाई शांति-प्रेरणा से, मन में संकल्प महान,
संघ की राह चुना उन्होंने, मन में राष्ट्र सेवा का विधान।
युवावस्था से ही बने, संघ-ध्वजा के ध्येय,
त्यागी जीवन, प्रचारक बनकर, चले सतत वह श्रेय।
कश्मीर की घाटी में पहुँचे, जहां था आतंक घना,
वहाँ प्रेम का दीप जलाकर, दिया अमन को शुभ तना।।
शाखाओं की छाया में पले, एक संस्कारित भाव,
हर प्रांत, जनजाति, गाँवों में पहुँचे वह आत्म नाव।
संघ का मंत्र “संघटन से ही राष्ट्र बने महान,”
इसी विचार को लेकर निकले, बन सेवा का प्रमाण।।
मुसलमान भाईयों को भी, जोड़ दिया संवाद से,
“मंच बनाओ, प्रेम बढ़ाओ,” यही कहा विश्वास से।
रचा ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’, एकता का बना वो पुल,
जहाँ कुरान और गीता में, देखी एक दृष्टि समूल।।
राम-मंदिर हो या तिरंगा, हो गाय या राष्ट्रगान,
इन्द्रेश जी ने समझाया अपना भारत सदा महान।
वन्दे मातरम् जो गाए, वो कोई काफिर नहीं,
करो भारत माँ का वंदन, जिससे तन मन जन हो सही।।
विदेशी मंचों पर भी बोले, “भारत सहिष्णु धर्मभूमि है,”
“संस्कृति जिसकी आत्मा है, विविधता इसकी सुमधुर धुनि है।”
“हम ना दंगे के पोषक हैं, ना दंभ, घृणा या क्रोध के,”
“हम तो राष्ट्र के सेवक हैं, जिनमें राम रहीम शोध के।।”
संघ की व्याख्या की नयी, जहाँ सब धर्मों का स्थान,
संघ का मतलब ‘हिन्दू राष्ट्र’ पर सांस्कृतिक एक पहचान।
“हिन्दू” जो न केवल पूजा पद्धति की एक दृष्टि,
“हिन्दू” जो भारत की आत्मा, उसकी जीवन सृष्टि।।
केशव बलिराम से लेकर, हेडगेवार के संदेश,
इन्द्रेश जी ने किया प्रसारित, पूरा भारतवर्ष है एक देश।
विश्व हिन्दू परिषद से लेकर, सेवा भारती तक का संग,
किया समर्पण भाव से कार्य, बजाया भारत मंगल रंग।।
न जात-पात, न मत-मतांतर, बस भारत माता का मान,
कहते जो कोई कहे ‘भारत माता की जय’, है मेरा वह प्राण।”
गुरुकुलों से लेकर मदरसों तक, फैलाई एक भाषा,
नहीं रखना है आपसी बैर यही है भारत की परिभाषा।।
एक दीपक, जो अंधियारे में, राह दिखाए, स्वाभिमान,
इन्द्रेश जी हैं राष्ट्र के पथप्रदर्शक, पूरे राष्ट्र के सच्चे वरदान।
उनकी गाथा सेवा कहानी, सब प्रेरणा की पुकार,
वह सदा कहें सेवा, समरसता, राष्ट्रभक्ति जीवन का सार।।
चलो चलें उस राह पर, जो उन्होंने दिखलाई,
संघटन, सेवा और संवाद से हो राष्ट्र की रक्षा भाई।
सभी से ऊपर उठकर बनें भारत के प्रहरी,
जहाँ हर दिल में भारत, प्रेम हो भारत मां से गहरी।।
