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कलम की छाया में मधु स्मृति काव्य से सजी स्मृति संध्या

पिथौरा, 23 जून 2025। हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं के सुमधुर कवि स्वर्गीय मधु धांधी के 74वें जन्मदिन पर उनके प्रतिमा अनावरण समारोह के दूसरे सत्र में उन्हें समर्पित काव्य-गोष्ठी आयोजित की गई। महासमुन्द जिले के विकासखंड मुख्यालय पिथौरा के नज़दीक, स्वर्गीय मधु धांधी के गृहग्राम खुटेरी में 21 जून 2025 को यह आयोजन किया गया।

प्रथम सत्र में कवि मधु धांधी की प्रतिमा का अनावरण मुख्य अतिथि, वरिष्ठ पत्रकार और दैनिक ‘हरिभूमि रायपुर’ के प्रधान सम्पादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने किया। अनावरण कार्यक्रम की अध्यक्षता महासमुन्द के पूर्व लोकसभा सांसद श्री चुन्नीलाल साहू ने की।

द्वितीय सत्र में काव्य-गोष्ठी के माध्यम से रायपुर, महासमुन्द, बागबाहरा, पिथौरा और बसना के कवियों ने देश और समाज से जुड़े विभिन्न विषयों पर अपनी-अपनी रचनाएँ पढ़ीं। कविता पाठ का शुभारंभ श्रृंखला साहित्य मंच के अध्यक्ष प्रवीण ‘प्रवाह’ ने किया। उनकी कविताओं ने काव्य-गोष्ठी को एक शानदार शुरुआत दी। उनकी ग़ज़लों और कविताओं की पंक्तियों पर खूब वाहवाही हुई। उनकी ये पंक्तियाँ देखिए –

माफ़ करना दोस्त,
सुबह के संदर्भ में मुझे चुप कर
देना कोई कारगर उपाय नहीं है,
सूरज को उगने से रोकने के लिए,
क्योंकि सूरज उगाने के लिए
चिड़ियों ने चहचहाना शुरू कर दिया है।

लेखक और कवि स्वराज्य ‘करुण’ ने अपने एक भावप्रवण गीत के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों का बखूबी चित्रण किया। महासमुंद के यशस्वी कवि अशोक शर्मा ने अपने दोहों, गीतों और ग़ज़लों की पंक्तियों से कवि सम्मेलन में समां बांधा। उनकी हर पंक्ति श्रोताओं को ताली बजाने के लिए मजबूर कर रही थी। उनके ये दोहे जबरदस्त थे –

लिखी हुई आकाश में, आँसू की तारीख़।
बहरी चीलों ने सुनी, कब चिड़ियों की चीख।
चीं-चीं की चीत्कार से, चीख भरा आकाश,
चिड़िया ढोए कब तलक, नित चूज़ों की लाश।

रायपुर से आए सुप्रसिद्ध कवि और भाषाविज्ञानी डॉ. चित्तरंजन कर ने अपने सुमधुर गीतों के सस्वर पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ. चित्तरंजन कर की ये पंक्तियाँ देखिए –

शूल नहीं तो फूल न होंगे,
फूल नहीं मकरंद न होगा।
जब तक कोई द्वंद्व न होगा,
तब तक कोई छंद न होगा।
जिसको तुम आँसू कहते हो,
उसको मैंने प्रीत लिखा है।

रायपुर की कवयित्री श्रीमती माधुरी कर ने भी वर्तमान सामाजिक बुराइयों के प्रति लोगों को सचेत करने वाली छोटी-छोटी प्रभावशाली रचनाओं का पाठ किया।

काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे रायपुर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री जी. आर. राना ने आषाढ़ के बादलों का प्रतीक लेकर समाज की आशा और निराशा के साथ जीवन के अनेक पहलुओं का चित्रण किया। उनकी इन पंक्तियों ने श्रोताओं के दिलों को छू लिया –

सितम पर सितम सहती है धरती,
सूखे की नहीं इसे देना धमकी।
चिढ़ा रहे आकाश के तारे,
रहम करो हे बादल प्यारे।

महासमुंद के सुपरिचित कवि बंधु राजेश्वर खरे ने अपनी छत्तीसगढ़ी रचनाओं से श्रोताओं का दिल जीता। उनकी ये सराहनीय पंक्तियाँ देखिए –

भगवान, अल्ला ताला, प्रभू ईसू अउ वाहे गुरुजी कथे।
अरे! जीभ चलहा,
जीभ चलाय ले का होही?
हाथ-गोड़ ला हलाबे,
तब, पथरा हा रोटी होही।

बागबाहरा के वरिष्ठ शायर ज़नाब हबीब समर ने अपनी उम्दा ग़ज़लों से श्रोताओं का दिल जीता। उनकी ये दिलकश लाइनें क़ाबिल-ए-तारीफ़ थीं –

ये कौन आ गया जाने बहार गुलशन में,
कि सारी कलियाँ करी हैं श्रृंगार गुलशन में।
ख़ामोश झील, समंदर सभी मचलने लगे,
चली जो झूमती ऐसी बयार गुलशन में।

अंकुर साहित्य मंच बसना से आए कवि श्री बद्रीप्रसाद पुरोहित की कविता की इन पंक्तियों ने श्रोताओं को खूब प्रभावित किया –

इस बात का मुझे कोई अफ़सोस नहीं
कि क्यों मैंने पसार दिए
अपने पाँव अपनी चादर से बाहर,
बल्कि मुझे सख्त अफ़सोस है
कि मैंने भी औरों की तरह
अपनी चादर अब तक
लम्बी क्यों नहीं कर ली।

श्रृंखला साहित्य मंच पिथौरा के कवि अनूप दीक्षित ने पहलगाम की आतंकी घटना पर रचना सुनाई, जिसे खूब वाहवाही मिली –

देश की सेना ने ऐसा सबक सिखाया,
दुश्मन देश में हाहाकार मचाया।
आओ देश की सेना का हम मान बढ़ाएँ,
पूरे जहाँ में भारत का परचम लहराएँ।

श्रृंखला साहित्य मंच की कवयित्री श्रीमती गुरप्रीत कौर ने अपनी कविता के माध्यम से कविता की परिभाषा दी। उनकी इन पंक्तियों को श्रोताओं की खूब वाहवाही मिली –

आनंद की स्वाति से बूँद-बूँद
तृप्त हुआ चातक है कविता,
अनपढ़ साहित्य में स्नातक है कविता।

गोष्ठी का संचालन कर रहे श्रृंखला साहित्य मंच के सचिव श्री संतोष गुप्ता ने पर्यावरण संरक्षण पर एक सुंदर रचना सुनाकर तालियाँ बटोरीं। उनकी ये पंक्तियाँ अत्यंत सराहनीय थीं –

कई कहर ढाए मुझपे,
कुल्हाड़ियों के वार से।
हमने दी ज़िन्दगी तुम्हें,
तुमने छीनी हमसे।

इनके अलावा श्रृंखला साहित्य मंच के कवि श्री एफ. ए. नंद और माधव तिवारी सहित श्रीमती सरोज साव, श्रीमती जीतेश्वरी साहू ने भी अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया। श्री सेवक राम दीवान ने भी अपनी कविता सुनाई। इस अवसर पर स्वर्गीय मधु धांधी के परिवार और खुटेरी के ग्रामवासियों की ओर से समस्त कवियों को शाल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। बड़ी संख्या में श्रोताओं की उपस्थिति काव्य-गोष्ठी के समापन तक बनी रही। खुटेरी के पूर्व सरपंच और स्वर्गीय मधु धांधी के सुपौत्र घनश्याम धांधी ने आभार प्रदर्शन किया।

इस अवसर पर रायपुर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. धीरेंद्र साव, पिथौरा के वरिष्ठ पत्रकार श्री मनोहर साहू, ग्राम सांकरा (जोंक) से श्री सतपाल सिंह छाबड़ा और जवाहर नायक, पिथौरा के सर्वश्री उमेश दीक्षित, बंटी छत्तीसगढ़िया, वेदप्रकाश गोयल, बुद्धेश्वर डड़सेना, रमेश भोई, कमल दास मानिकपुरी आदि अनेक गणमान्य नागरिकों और अतिथियों की सहभागिता और उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।

स्वराज करुण

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