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संत कवि पवन दीवान की पुण्यतिथि पर साहित्यकारों और प्रबुद्ध जनों ने उन्हें याद किया 

रायपुर/ साहित्यिक संस्था  अगासदिया के आमदी नगर, भिलाई स्थित परिसर में आज 2 मार्च को छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय संत कवि पवन दीवान की दसवीं पुण्य तिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस अवसर पर आयोजित विशेष समारोह में अनेक आंचलिक साहित्यकारों और प्रबुद्धजनों ने उनसे जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा किया। अगासदिया के अध्यक्ष डॉ. परदेशीराम वर्मा ने कहा कि दीवानजी  लाल किले में काव्य पाठ करने वाले छत्तीसगढ़ के पहले सपूत थे, उन्होंने  छत्तीसगढ़ के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

डॉ. वर्मा ने आगे कहा कि अपने जीवन के अंतिम दस वर्ष दीवान जी ने माता कौशल्या की यश गाथा को समर्पित कर एक बड़ा काम किया। सबने जाना कि माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की बेटी थी और भगवान राम छत्तीसगढ़ के भांचा हैं। संत पवन दीवान जिस  क्षेत्र में भी गए वहां वे अतुलनीय और पूजनीय हो गये।

डॉ. परदेशीराम वर्मा ने बताया कि हम संत कवि पवन दीवान की जिस आवक्ष प्रतिमा की पूजा करते हैं, उसे रायपुर के साहित्यकार रसिक बिहारी अवधिया ने अगासदिया संस्था को उपहार में स्वयं बनाकर दिया है।
साहित्यकार और  समाज सेविका डॉ. सोनाली चक्रवर्ती ने कहा कि मेरा सौभाग्य रहा कि संत पवन दीवान के कई कार्यक्रमों का मुझे  संचालन करने का अवसर मिला । मैं उनके भागवत प्रवचनों को भी सुनने  जाती थी। छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान के लिए संत पवन दीवान ने जो काम किया है, उसे छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरा देश  जानता है।वे छत्तीसगढ़ के  महान कवि थे।

साहित्यकार बद्रीप्रसाद पारकर ने कहा कि हमारे गाँव  में,  हमारे परिवार ने उनका भागवत प्रवचन रखा था उस अवसर पर अपार भीड़ देखकर हमने जाना कि दीवान जी को लोग पूजते थे। आमदीनगर वरिष्ठ नागरिक संघ के अध्यक्ष अरूण अग्रवाल ने कहा कि संत पवन दीवान आमदीनगर में  घर-घर जाने जाते थे। उनके नाम पर एक भव्य द्वार मंदिरों के क्षेत्र में बनना चाहिए। आमदीनगर तालाब में संत पवन दीवान हमेशा आते रहे। तालाब का नामकरण संत पवन दीवान ताल होना चाहिए।

कार्यक्रम में बी. एल. मालवीय, डामन लाल साहू, अब्दुल कलाम विकास नारखेड़े, स्मिता वर्मा, नीतीश, खुशबू वर्मा, संदीप चक्रवर्ती सहित बड़ी संख्या में संस्कृति कर्मी समाज सेवी उपस्थित थे।इस अवसर पर श्रीमती स्मिता वर्मा ने संत पवन दीवान के द्वारा गाए जाने वाले प्रसिध्द गीत- मैहर की शारदा भवानी, बेड़ा पार करो मॉं का सस्वर गायन किया। कार्यक्रम संचालन अब्दुल कलाम ने किया। खुशबू वर्मा ने आभार मानते हुए छुटपन से ही संत पवन दीवान के गीतों को सुनकर सीखने का अनुभव बताया। खुशबू ने जय जय छत्तीसगढ़ महतारी का गायन सस्वर किया।

-स्वराज करुण

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