कार्तिक जतरा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने की जशपुर की जनजातीय महिलाओं की सराहना, ‘जशक्राफ्ट’ को बताया आत्मनिर्भरता का प्रेरक मॉडल
रायपुर, 30 दिसम्बर 2025/ द्रौपदी मुर्मु ने झारखंड के गुमला में आयोजित अंतरराज्यीय जन-सांस्कृतिक समागम कार्तिक जतरा के दौरान छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की स्व-सहायता समूहों से जुड़ी जनजातीय महिलाओं के कार्यों, कौशल और आत्मनिर्भरता की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से जशक्राफ्ट से जुड़ी बहनों के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके द्वारा निर्मित आभूषण और पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद महिला सशक्तिकरण के सशक्त उदाहरण हैं।
राष्ट्रपति ने जशपुर वनमंडल अंतर्गत वन प्रबंधन समिति शब्दमुंडा, ग्राम कोटानपानी की स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों को जनजातीय सृजनशीलता, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक संरक्षण का प्रेरक प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास न केवल आजीविका के नए अवसर सृजित करते हैं, बल्कि परंपरागत कला और हस्तशिल्प को राष्ट्रीय पहचान भी दिलाते हैं।
इस अवसर पर विष्णु देव साय ने कहा कि जशपुर की जनजातीय मातृशक्ति, विशेषकर जशक्राफ्ट से जुड़ी बहनों का कौशल और स्वावलंबन पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने ग्राम कोटानपानी की स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार आभूषण और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा महिलाओं की मेहनत और सृजनात्मकता का जीवंत उदाहरण बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति का स्नेहपूर्ण आशीर्वाद और प्रोत्साहन जनजातीय मातृशक्ति के आत्मविश्वास को और सुदृढ़ करेगा तथा आत्मनिर्भर भारत और ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना को नई ऊर्जा देगा। उन्होंने जशपुर की समस्त जनजातीय बहनों की ओर से राष्ट्रपति के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के दौरान जनजातीय हस्तशिल्प, पारंपरिक लोककला और स्व-सहायता समूहों के उत्पादों की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही। छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि दल ने जशपुर जिले की विशिष्ट शिल्प परंपरा और स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन कर जनजातीय सशक्तिकरण का सशक्त संदेश दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं और आने वाली पीढ़ियों को जनजातीय समुदायों की परंपराओं से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। अपनी विरासत और पहचान को सुरक्षित रखते हुए युवाओं को आधुनिक विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने विश्वास जताया कि जनजातीय समाज अपनी धरोहर को संजोए रखते हुए प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मांझाटोली (झारखंड) में आयोजित यह अंतरराज्यीय जन-सांस्कृतिक समागम केवल सांस्कृतिक विरासत का सम्मान नहीं, बल्कि जनजातीय समाज को जोड़ने वाला सेतु भी है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक और प्रेरक आयोजन बताया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मना रहा है। बिरसा मुंडा केवल महान स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि जंगल, जल और जमीन की रक्षा के प्रतीक हैं। उनकी प्रेरणा से आदिवासी समाज में आत्मगौरव की भावना सशक्त हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में एक समय नक्सलवाद के कारण विकास बाधित था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के स्पष्ट नेतृत्व और नीति से अब हालात तेजी से बदल रहे हैं। बस्तर में विकास कार्य तेज हुए हैं, सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई है और शासन की पहुंच गांव-गांव तक बनी है।
उन्होंने बताया कि 400 से अधिक गांव नक्सली प्रभाव से मुक्त हो चुके हैं। सड़कों, बिजली, पानी, राशन, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाओं के विस्तार से लोगों के जीवन में नई उम्मीद जगी है। पर्यटन को बढ़ावा देने से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी गर्व का विषय है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दूरदर्शी नेतृत्व में झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों का गठन संभव हुआ। आज ये राज्य अपनी विशिष्ट पहचान के साथ प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि राज्यों का यह सांस्कृतिक संगम शांति, प्रगति और समृद्धि का संदेश देता रहेगा तथा नक्सलवाद पर निर्णायक विजय का अध्याय शीघ्र पूरा होगा।
