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श्रावण मास में शैवोपासना एवं प्रमुख शिवालय

श्रावण मास, जिसे सावन के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पवित्रतम माह माना जाता है। यह मास भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है। इस महीने में शिव भक्त विशेष पूजा-अर्चना, व्रत और अनुष्ठान करते हैं।

श्रावण मास हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पंचांग के सबसे पवित्र महीनों में से एक है। इस महीने में शिव भक्त विभिन्न धार्मिक क्रियाओं और अनुष्ठानों के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। श्रावण मास का नामकरण ‘श्रवण’ नक्षत्र के आधार पर हुआ है जो इस महीने में प्रमुख रूप से दिखाई देता है।

पुराणों के अनुसार, श्रावण मास में देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मंथन किया गया था। इस मंथन से विष का उत्पन्न हुआ था जिसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया, जिससे उनका नाम नीलकंठ पड़ा। इस घटना के उपलक्ष्य में शिव भक्त श्रावण मास में शिवोपासना करते हैं।

इस मास में शिवोपासना का आध्यात्मिक महत्व भी अत्यधिक है। इस महीने में किया गया ध्यान, जप और तप विशेष फलदायी माना जाता है। इस दौरान भक्त भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर आत्मिक शांति और मानसिक स्थिरता प्राप्त करते हैं।

भारत को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, जहां अनेकों तीर्थस्थल और मंदिर स्थित हैं। इनमें भगवान शिव के मंदिरों का विशेष महत्व है। भगवान शिव को त्रिलोकीनाथ, महादेव, भोलेनाथ, नीलकंठ और कई अन्य नामों से जाना जाता है। भारत के 12 ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में भगवान शिव के सबसे पवित्र स्थानों के रूप में माने जाते हैं। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का अपना ऐतिहासिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। आज हम इन ज्योतिर्लिंगों की चर्चा करते हैं

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
सोमनाथ मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है और इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर अरब सागर के किनारे स्थित है। यह मंदिर अनेक बार आक्रमणों के बावजूद पुनर्निर्मित किया गया है। इसे भगवान शिव के साक्षात रूप में पूजा जाता है।

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है। इसे ‘श्रीशैल’ के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर शिव और पार्वती के मिलन का स्थल माना जाता है। यहाँ शिव और पार्वती की संयुक्त पूजा होती है।

3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहाँ की भस्म आरती अत्यंत प्रसिद्ध है। यह मंदिर मोक्षदायिनी माना जाता है।

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। यहाँ ओंकार के स्वरूप की पूजा होती है। यह मंदिर नर्मदा नदी के मध्य द्वीप पर स्थित है।

5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड
केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की गोद में स्थित है। यह हिमालय में स्थित है, जहाँ की यात्रा कठिन मानी जाती है। यह मंदिर चार धाम यात्रा का हिस्सा है।

6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि पहाड़ियों में स्थित है। यह मंदिर भीमा नदी के उद्गम स्थल के पास स्थित है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य बहुत आकर्षक है।

7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश
काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में स्थित है और इसे हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह मंदिर मोक्ष प्राप्ति का स्थल माना जाता है। यहाँ भगवान शिव की पूजा के साथ ही गंगा नदी का विशेष महत्व है।

8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
त्र्यंबकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। यहाँ गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है। यहाँ त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) की संयुक्त पूजा होती है।

9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड/महाराष्ट्र
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है, जबकि कुछ मान्यताओं के अनुसार यह महाराष्ट्र के पारली में स्थित है। यहाँ भगवान शिव को वैद्य रूप में पूजा जाता है। इसे ‘बैद्यनाथ धाम’ के नाम से भी जाना जाता है।

10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका के पास स्थित है। यहाँ नागों के देवता शिव की पूजा होती है। यह मंदिर अपने विशाल शिव प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है।

11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
रामेश्वरम मंदिर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह रामायण काल से जुड़ा हुआ है और यहाँ राम द्वारा शिवलिंग की स्थापना की कथा प्रसिद्ध है। यह मंदिर हिन्दू तीर्थ यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
घृष्णेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। इसे ‘धुश्मेश्वर’ भी कहा जाता है। यह मंदिर अजंता और एलोरा की गुफाओं के निकट स्थित है।

भारत के 12 ज्योतिर्लिंग धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हर ज्योतिर्लिंग का अपना अनूठा महत्व और कथा है, जो उन्हें विशेष बनाती है। कुछ स्थानों पर श्रावण मास में कांवड़ यात्राए आयोजित होती हैं, जिसमें लाखो लोग जल लेकर शिव को अर्पण करते हैं। इन ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करना हर शिवभक्त का सपना होता है, और यह यात्रा उन्हें आत्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर करती है।

लेखक भारतीय लोक संस्कृति, पुरातत्व एवं इतिहास के जानकार हैं।

One thought on “श्रावण मास में शैवोपासना एवं प्रमुख शिवालय

  • July 22, 2024 at 13:16
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    ज्ञानवर्धक लेख,

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