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जल संरक्षण से सिंचाई विस्तार तक: दो वर्षों में जल संसाधन विभाग की बड़ी उपलब्धियां, आगामी योजनाओं का खाका पेश

राज्य में जल संरक्षण, सिंचाई विस्तार और सतत जल प्रबंधन को लेकर जल संसाधन विभाग ने बीते दो वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विभाग ने अपनी उपलब्धियों के साथ-साथ आने वाले वर्षों की कार्ययोजना की विस्तृत जानकारी साझा की।

अधिकारियों ने बताया कि शासन की मंशा के अनुरूप विभाग का प्रमुख उद्देश्य जल का संरक्षण और संवर्धन करते हुए अधिक से अधिक किसानों तक सिंचाई की सुविधा पहुंचाना है। जल को अमूल्य संसाधन बताते हुए कहा गया कि कृषि, पेयजल और औद्योगिक जरूरतों की पूर्ति में जल संसाधन विभाग की भूमिका लगातार मजबूत हो रही है।

सिंचाई क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी

पिछले दो वर्षों में राज्य की सिंचाई क्षमता में लगभग 25 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है, जिससे कुल विकसित सिंचाई क्षमता बढ़कर करीब 21.76 लाख हेक्टेयर हो गई है। वहीं वर्ष 2024-25 में खरीफ और रबी सीजन के लिए निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले लगभग 88 प्रतिशत क्षेत्र में सिंचाई सुनिश्चित की गई।

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जल संरक्षण अभियानों को मिली राष्ट्रीय पहचान

जल शक्ति अभियान ‘कैच द रेन’ के तहत राज्य को जल संचय और जनभागीदारी के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त हुआ है। छत्तीसगढ़ को उत्कृष्ट राज्य शासन श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार मिला, जबकि रायपुर नगर निगम को नगरीय निकाय श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। इसके अलावा बालोद, राजनांदगांव, महासमुंद, बलौदाबाजार, गिरियाबंद, बिलासपुर और रायगढ़ जैसे जिलों को भी विभिन्न श्रेणियों में सम्मानित किया गया।

बड़ी योजनाओं को मिली मंजूरी

राज्य में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार और पुनर्स्थापन के लिए 477 योजनाओं को 1874 करोड़ रुपये से अधिक की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है। विशेष केंद्रीय सहायता के तहत राज्य गठन के बाद पहली बार लगभग 896 करोड़ रुपये की केंद्रीय राशि से कार्य कराए गए।

इसके साथ ही जल जीवन मिशन और अमृत मिशन के तहत औद्योगिक संस्थानों और पेयजल योजनाओं के लिए बड़ी मात्रा में जल आबंटन किया गया है।

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लंबित मुआवजा और बांध सुरक्षा पर जोर

विभाग ने वर्षों से लंबित भूमि और वनभूमि मुआवजा भुगतान के मामलों में तेजी लाते हुए 500 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है, जिससे सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण में गति आई है। बांध सुरक्षा पुनर्वास परियोजना के तहत 9 बांधों के सुदृढ़ीकरण के लिए 536 करोड़ रुपये के कार्यों को मंजूरी दी गई।

बस्तर और आदिवासी अंचलों पर विशेष फोकस

बस्तर और जशपुर जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सिंचाई संसाधनों के विकास के लिए नए कार्यालयों और पदों को स्वीकृति दी गई है। जगदलपुर में मुख्य अभियंता कार्यालय की स्थापना और कुनकुरी में नए उपविभागीय कार्यालय से स्थानीय योजनाओं को मजबूती मिलने की उम्मीद है।

आगामी तीन वर्षों की कार्ययोजना

आने वाले समय में बढ़ती सिंचाई और पेयजल जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 14 नई बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं से करीब 1 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में सिंचाई सुविधा विकसित होने का अनुमान है। इसके साथ ही नदी जोड़ो परियोजनाओं और बहुउद्देशीय बांध योजनाओं पर भी सर्वेक्षण कार्य जारी है।

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2047 तक का जल विजन

विभाग ने ‘जल विजन 2047’ के तहत राज्य की जल भंडारण क्षमता को मौजूदा 7900 एमसीएम से बढ़ाकर 16000 एमसीएम करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही भू-जल संकटग्रस्त विकासखंडों की संख्या शून्य करने की दिशा में भी रणनीति तैयार की जा रही है।

अधिकारियों का कहना है कि जल संरक्षण, बेहतर प्रबंधन और नई नीतियों के जरिए छत्तीसगढ़ को जल संपन्न और कृषि प्रधान राज्य के रूप में और अधिक सशक्त बनाया जाएगा।