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ईरान में सत्ता संकट से चिंतित पाकिस्तान, अमेरिका से की शांति की अपील

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने इस सप्ताह अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से वॉशिंगटन में मुलाकात की, जहां दोनों नेताओं के बीच ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव को लेकर गंभीर चर्चा हुई। पाकिस्तान की ओर से ईरान में “सत्ता के ढहने” की आशंका पर चिंता जताई गई।

सेना प्रमुख मुनीर ने इस बात पर जोर दिया कि यदि ईरान में राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न होती है, तो पाकिस्तान-ईरान सीमा पर सक्रिय अलगाववादी और जिहादी तत्वों को इसका फायदा मिल सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सीमाओं पर ऐसे कई उग्रवादी संगठन मौजूद हैं जो न केवल ईरान-विरोधी हैं बल्कि पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बैठक के बाद ट्रंप ने टिप्पणी की, “वे (पाकिस्तान) किसी भी चीज़ से खुश नहीं हैं,” यह दर्शाते हुए कि पाकिस्तान इस क्षेत्रीय संकट को लेकर गहरी चिंता में है।

ईरान की सीमा पर सक्रिय आतंकवादी संगठन जैश अल-अदल ने भी इस अशांति को अपने लिए “अवसर” बताया है। इस संगठन ने ईरान के बलूच और सुन्नी समुदायों को अपने साथ जुड़ने का आह्वान किया है। दूसरी ओर, पाकिस्तान को डर है कि ईरान में मौजूद बलूच अलगाववादी समूह उसकी सरजमीं पर हमले बढ़ा सकते हैं।

पाकिस्तानी सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ट्रंप और मुनीर के बीच बातचीत के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि क्षेत्र में शांति बहाली के लिए हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इज़राइल के ईरान पर हमलों की कड़ी निंदा की और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफ़कत अली खान ने कहा, “यह हमारे लिए बेहद गंभीर मसला है। ईरान हमारे लिए एक भाईचारा देश है, और वहां की स्थिति हमारे क्षेत्र की सुरक्षा को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।”

यह बैठक भारत में भी चर्चा का विषय बनी हुई है, खासकर ऐसे समय में जब हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाक संबंध फिर से तनावपूर्ण हो गए हैं।