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भारत की जीडीपी ने दिखाई वैश्विक मंदी के बीच चमक, पहली तिमाही में 7.8% की रिकॉर्ड वृद्धि

नई दिल्ली, 29 अगस्त 2025। भारत की अर्थव्यवस्था ने 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में अप्रत्याशित मजबूती दिखाई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही। यह दर पिछले वर्ष की समान तिमाही में दर्ज 6.5 प्रतिशत की वृद्धि से कहीं बेहतर है।

यह उपलब्धि ऐसे समय में दर्ज की गई है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों से जूझ रही है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध, बढ़ते टैरिफ, वैश्विक महंगाई और आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटें दुनिया भर के देशों की वृद्धि दर पर असर डाल रही हैं। इसके बावजूद भारत ने मजबूत प्रदर्शन कर यह संकेत दिया है कि वह न केवल उभरती अर्थव्यवस्थाओं बल्कि कई विकसित देशों से भी आगे निकल रहा है।

विकास के प्रमुख कारक
विशेषज्ञों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में 7.7 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि और कृषि क्षेत्र में 3.7 प्रतिशत की बढ़त भारत की इस उपलब्धि के मुख्य आधार रहे। हालांकि सेवा क्षेत्र की गति अपेक्षाकृत धीमी रही, फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था का समग्र प्रदर्शन सकारात्मक रहा।

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वैश्विक तुलना
भारत की तुलना में चीन ने दूसरी तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वर्ष-दर-वर्ष (YoY) वृद्धि दर्ज की, जो निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहजनक तो है, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों और वैश्विक दबावों के कारण अनिश्चितता बनी हुई है।
अमेरिका ने इसी अवधि में 3.0 प्रतिशत YoY वृद्धि हासिल की, जिसकी प्रमुख वजह उपभोक्ता खर्च और निवेश मानी जा रही है। वहीं जापान और ब्रिटेन दोनों ने 1.2 प्रतिशत YoY वृद्धि दर्ज की। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में औद्योगिक उत्पादन और ऊर्जा संकट के कारण -0.2 प्रतिशत संकुचन हुआ, जिससे उसकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

नीचे दी गई तालिका प्रमुख देशों की Q2 2025 (या समकक्ष) YoY जीडीपी वृद्धि दरों की तुलना दर्शाती है:

देश YoY जीडीपी वृद्धि दर (%) प्रमुख कारक
भारत 7.8 विनिर्माण और कृषि क्षेत्र की मजबूती
चीन 5.2 निर्यात और औद्योगिक उत्पादन
अमेरिका 3.0 उपभोक्ता खर्च और निवेश
जापान 1.2 स्थिर लेकिन मुद्रा उतार-चढ़ाव
ब्रिटेन 1.2 सेवा क्षेत्र का समर्थन
जर्मनी -0.2 औद्योगिक गिरावट और ऊर्जा संकट
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अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का दृष्टिकोण
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक ने अनुमान जताया है कि 2025 में भारत की औसत वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रह सकती है, जबकि वैश्विक औसत वृद्धि केवल 2.8 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है। यह अंतर भारत को वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर और अधिक मजबूती प्रदान करता है।

चुनौतियां भी बरकरार
हालांकि भारत की आर्थिक रफ्तार संतोषजनक है, लेकिन भविष्य के लिए चुनौतियां भी कम नहीं हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद संभावित टैरिफ बढ़ोतरी से भारत के निर्यात पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन, बढ़ती मुद्रास्फीति, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान आने वाले समय में भारत की वृद्धि की गति को प्रभावित कर सकते हैं।

भारत का यह प्रदर्शन बताता है कि कठिन वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद उसकी अर्थव्यवस्था स्थिर और मजबूत है। कृषि और विनिर्माण जैसे पारंपरिक क्षेत्रों के साथ-साथ प्रौद्योगिकी और निवेश में बढ़ते अवसर आने वाले समय में भारत को वैश्विक विकास का इंजन बना सकते हैं।

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