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भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: ऐतिहासिक छलांग, जापान को पछाड़ा

नई दिल्ली, 6 मई 2025। भारत ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत ने जापान को पछाड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त कर लिया है। 2025 में भारत का नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 4,187.017 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जबकि जापान का GDP 4,186.431 बिलियन डॉलर रहा। यह मामूली अंतर भारत के लिए एक बड़ा प्रतीकात्मक मील का पत्थर है, जो दर्शाता है कि देश ने मजबूत नीतियों, आर्थिक सुधारों और वैश्विक एकीकरण के दम पर खुद को विश्व आर्थिक मानचित्र पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित कर लिया है।

भारत की आर्थिक यात्रा: एक दशक में दोगुनी ताकत

भारत की आर्थिक वृद्धि की कहानी पिछले एक दशक में असाधारण रही है। 2015 में भारत का GDP मात्र 2.1 ट्रिलियन डॉलर था, जो 2025 में बढ़कर 4.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया — यानी करीब 105% की वृद्धि। इस दौरान भारत ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की, जिनमें विशेष रूप से तीन मुख्य कारक प्रमुख रहे:

  • मजबूत घरेलू खपत: शहरी और ग्रामीण, दोनों स्तरों पर उपभोक्ता मांग में जबरदस्त वृद्धि हुई है। भारत डिजिटल लेनदेन में भी अग्रणी बना, जिसका वैश्विक हिस्सा 46% है।

  • युवा और गतिशील श्रम बल: भारत की 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है, जिसने न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ाई, बल्कि स्टार्टअप और इनोवेशन में भी नया जोश भरा।

  • वैश्विक व्यापार में बढ़ता दायरा: भारत अब 27 देशों के साथ रुपये में व्यापार कर रहा है, जिससे विदेशी मुद्रा पर निर्भरता घट रही है और वैश्विक आर्थिक एकीकरण मजबूत हो रहा है।

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IMF का अनुमान है कि भारत 2025-26 में 6.2% की वृद्धि दर बनाए रखेगा, जिससे यह विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि मौजूदा गति जारी रही तो भारत 2027 तक जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

जापान की चुनौतियां: उम्रदराज़ आबादी और धीमी वृद्धि

जहां भारत आगे बढ़ रहा है, वहीं जापान कई संरचनात्मक चुनौतियों से जूझ रहा है। उसकी उम्रदराज़ आबादी, कम होती कार्यशील जनसंख्या, धीमी उत्पादकता वृद्धि और लंबे समय से जारी डिफ्लेशनरी दबाव ने उसकी आर्थिक रफ्तार को धीमा कर दिया है। IMF के मुताबिक, 2024 में जापान की वृद्धि दर सिर्फ 0.3% रही, जो भारत के मुकाबले बेहद कम है।

वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका

भारत की इस उपलब्धि को द इकोनॉमिस्ट ने ‘‘India Shock’’ नाम दिया है, जो संकेत करता है कि वैश्विक आर्थिक समीकरणों में अब एशिया की बड़ी भूमिका होगी, और उसमें चीन के साथ भारत एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभरेगा। इससे भारत को निवेश, व्यापार और वैश्विक रणनीति के लिहाज से और आकर्षक गंतव्य माना जा रहा है।

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भविष्य की चुनौतियां और ज़रूरतें

हालांकि यह उपलब्धि उल्लेखनीय है, विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि भारत को अपनी विकास गति बनाए रखने के लिए कई मोर्चों पर लगातार काम करना होगा:

  • बुनियादी ढांचे में निवेश: परिवहन, ऊर्जा और डिजिटल ढांचे में सुधार करना होगा ताकि विकास सुचारू हो सके।

  • शिक्षा और तकनीकी कौशल: भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए कुशल श्रमिक तैयार करना अत्यंत आवश्यक है।

  • ग्रामीण-शहरी असमानता: आर्थिक वृद्धि का लाभ सभी वर्गों और क्षेत्रों तक पहुंचाना होगा, जिससे सामाजिक संतुलन बना रहे।

  • आय असमानता कम करना: तेजी से बढ़ती आय असमानता को पाटने के लिए समावेशी नीतियां जरूरी हैं।

कुछ विश्लेषक मानते हैं कि जापान की आर्थिक सुस्ती ने भारत को आगे निकलने का अवसर दिया, लेकिन दीर्घकालिक सफलता के लिए भारत को आत्मनिर्भरता के साथ-साथ वैश्विक साझेदारी में भी संतुलन साधना होगा।

शीर्ष 5 वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं (IMF, अप्रैल 2025)

रैंक देश GDP (बिलियन USD)
1 संयुक्त राज्य 30,507.217
2 चीन 19,231.705
3 जर्मनी 4,744.804
4 भारत 4,187.017
5 जापान 4,186.431

भारत का दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक संकेत है — कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को और मजबूती से निभाने के लिए तैयार है। यह उपलब्धि न केवल भारत की आर्थिक प्रगति का प्रमाण है, बल्कि आने वाले वर्षों में उसकी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों और नेतृत्व क्षमताओं का भी संकेत देती है।

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