होम्योपैथी का आविष्कार एलोपैथिक डॉक्टर ने किया : विश्व होम्योपैथी दिवस

(ब्लॉगर एवं पत्रकार )
इस आधुनिक युग में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए कई तरह की वैज्ञानिक पद्धतियाँ प्रचलित हैं। होम्योपैथी भी उनमें से एक है। क्या आप जानते हैं? जो नहीं जानते, उन्हें बताना चाहता हूँ कि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति का आविष्कार एक एलोपैथिक डॉक्टर ने किया था। ये डॉक्टर साहब थे जर्मनी के डॉ. सैमुएल हैनिमैन, जिनकी आज 270वीं जयंती है। आज का दिन उनकी याद में हर साल विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
होम्योपैथी के जनक डॉ. सैमुएल हैनिमैन का जन्म 10 अप्रैल 1755 को जर्मनी के मेईसेन में हुआ था और उनका निधन 2 जुलाई 1843 को पेरिस (फ्रांस) में हुआ। वे प्रारंभ में एक एलोपैथिक डॉक्टर थे, लेकिन बाद में होम्योपैथी के आविष्कारक के रूप में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति पर कई महत्वपूर्ण किताबें लिखीं। उनकी यह पद्धति जटिल से जटिल बीमारियों का सरलता और सफलता से इलाज करती है। यह एक कम खर्चीली और प्रभावी चिकित्सा पद्धति है। जर्मनी सहित कई देशों में यह पद्धति अत्यंत लोकप्रिय है।
भारत में यह पद्धति केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है। देशभर में इसके कई शासकीय और निजी मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं, जहाँ बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (B.H.M.S.) की डिग्री प्रदान की जाती है। इसके अलावा डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (M.D.) पाठ्यक्रम भी उपलब्ध है।
देश के अनेक शहरों में बड़ी संख्या में B.H.M.S. उपाधिधारक डॉक्टर निजी क्लीनिक के माध्यम से आमजन की सेवा कर रहे हैं। कई राज्यों में शासकीय होम्योपैथिक औषधालय भी संचालित हो रहे हैं। साथ ही, B.H.M.S. डिग्रीधारकों को सरकारी पदों पर मेडिकल ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया है।
कोरोना काल में इस पद्धति की ‘आर्सेनिकम एलबम 30’ नामक दवा समेत कुछ अन्य औषधियाँ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में अत्यंत उपयोगी साबित हुई थीं। उस समय भारत सरकार के आयुष विभाग ने भी इनके उपयोग के लिए परामर्श जारी किया था।