\

मुर्शिदाबाद हिंसा: कलकत्ता हाईकोर्ट ने एनआईए जांच से किया इनकार, विस्थापितों के पुनर्वास के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित

मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच कराने की मांग को ठुकरा दिया है। इसके बजाय अदालत ने एक तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है, जो हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों की पहचान और उनके पुनर्वास की प्रक्रिया पर काम करेगी।

न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की पीठ ने कहा कि इस समय सबसे महत्वपूर्ण कार्य पीड़ितों को राहत और पुनर्वास प्रदान करना है। समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के एक-एक प्रतिनिधि शामिल होंगे।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय बलों की तैनाती बनी रहनी चाहिए और कोई भी व्यक्ति वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर भड़काऊ बयान न दे।

एनआईए जांच की याचिका पर कोर्ट ने कहा कि अभी तक हमारे सामने कोई ऐसा पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे यह साबित हो कि एनआईए को जांच सौंपना जरूरी है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार यदि उचित समझे तो एनआईए अधिनियम 2008 के तहत स्वप्रेरणा से जांच का आदेश दे सकती है।

बीजेपी नेता और अधिवक्ता प्रियांका टिबरेवाल ने बताया कि कोर्ट ने समिति के गठन की अनुमति दी है, और उन्हें पीड़ितों से मिलने की इजाजत भी मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि करीब 90 परिवारों में से केवल छह लोग ही अब तक अपने घर लौट पाए हैं। कई लोग मालदा जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में शरण लिए हुए हैं क्योंकि उनके घरों को जला दिया गया है।

राज्य सरकार की ओर से वकील कल्याण बनर्जी ने कहा कि उन्हें समिति के गठन पर कोई आपत्ति नहीं है और राज्य पुलिस की रिपोर्ट में स्थिति स्पष्ट रूप से बताई गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है।

वहीं, याचिकाकर्ता व अधिवक्ता बिल्वदल भट्टाचार्य ने अदालत को बताया कि हिंसा के दौरान बमों का इस्तेमाल हुआ, जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी उनके पास है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह हमला पुलिस की मौजूदगी में हुआ और इसमें विदेशी (बांग्लादेशी) उपद्रवी भी शामिल हो सकते हैं।

बीएसएफ ने भी अदालत के समक्ष यह मांग रखी कि उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्रवाई करने की शक्ति दी जाए, क्योंकि राज्य पुलिस की अनुमति के बिना वे कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।

इस पूरे मामले पर अगली सुनवाई 15 मई को होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *