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अधिकारियों की लापरवाही से भीगा धान, राईस मीलर्स को नुकसान का सता रहा है डर

रायपुर/ न्यूज एक्सप्रेस ब्यूरो/ किसानों के फ़सल बेचने के समय में बंगाल से उठे चक्रवात के कारण सोमवार को चौबीस घंटे लगातार बारिश हुई मंगलवार को छुटपुट बरसात होते रही। ठंड में बारिश होने जनजीवन ठप्प पड़ गया और धान खरीदी केन्द्रों पर खुले में रखा हुआ धान भीग गया, इससे धान खराब होने की आशंका है।

लोरमी जिला मुंगेली

जबकि मौसम वैज्ञानिकों ने पहले ही मौसम खराब होने एवं वर्षा की चेतावनी जारी कर दी थी, परन्तु विभाग द्वारा धान की सुरक्षा के लिए कैप की व्यवस्था नहीं की गई। कमोबेश पूरे प्रदेश में यही हाल है। कई स्थानों पर फ़ड़ में पानी भर गया है और कीचड़ हो गया है।
पूरे प्रदेश से धान के फ़ड़ की फ़ोटुएं हमारे पास आई हैं, जिससे पता चल रहा है कि फ़ड़ में रखा हुआ धान किस कदर भीग रहा है। कहीं पर थोड़ा बहुत तिरपाल डालकर बचाने का नाटक किया गया है परन्तु वह पर्याप्त नहीं है। सरगुजा से लेकर बस्तर तक हजारों धान उपार्जन केन्द्र हैं, जहाँ कमोबेश यही हालत बनी हुई है।

सकरी जिला बिलासपुर

राईसमील एसोशिएशन के प्रदेश सचिव मोहन लाल अग्रवाल का कहना है कि मार्कफ़ेड द्वारा सहकारी समिति स्तर पर खरीदकर रखा गया धान एवं खाली बारादाना पूरी तरह से भीग गया है। यह धान कस्टम मिलिंग हेतु मीलर्स को प्रशासनिक दबाव बनाकर दिया जाएगा। इस धान से मानक स्तर का चावल नहीं बनाया जा सकता एवं चावल की झड़ती प्रतिशत में बहुत कमी आएगी। इससे राईस मीलर्स का करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान होगा।

छत्तीसगढ़ प्रदेश राईस मील एसोशिएशन प्रदेश सचिव श्री मोहन लाल अग्रवाल

श्री मोहनलाल अग्रवाल कहते हैं कि धान की खरीदी एवं भंडारण का कार्य बीमा के अंतर्गत कव्हर है, भीगे हुए धान को मीलिंग हेतु न देकर बीमा राशि क्लेम कर क्षति पूर्ति कर लेनी चाहिए, जिससे राईस मीलर्स भी नुकसान से बच सकें।
एक एक दाना चुनकर किसानों का धान धान खरीदी केन्द्रों तक आता है, उसके बाद अधिकारियों की लापरवाही धान बरसात में भीग जाए तो शासकीय राजस्व की हानि तय है। इधर मार्कफ़ेड के अधिकारियों का कहना है कि वे दागी या खराब धान को नहीं खरीदेंगे। भीगा हुआ धान में तीसरे दिन अंकुरित हो जाएगा। इसके साथ ही मार्कफ़ेड के अधिकारी कैप कव्हर की कमी से भी इंकार नहीं कर रहे हैं।