\

श्रावणी तीज की परम्परा एवं महत्व

हरियाली तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे विशेष रूप से दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य, पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना के लिए व्रत रखती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए पूजा करती हैं। महिलाएं 16 श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं।

हरियाली तीज का दिन सुहागिनों और कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 जन्मों तक तप किया था। भगवान शिव माता पार्वती के कठिन तप से प्रसन्न हुए और उन्होंने 108वें जन्म में उनसे विवाह किया। यही कारण है कि हरियाली तीज का व्रत सुहागिनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

क्या होता है तीज का सिंधारा

तीज के अवसर पर मायके से बेटी के लिए भेजा जाने वाला सिंधारा एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इसमें विशेष तौर पर माता-पिता अपनी सुहागिन पुत्री के लिए सुहाग और 16 श्रृंगार का सामान, नए वस्त्र, फल, मिठाइयाँ और घेवर भेजते हैं। सिंधारे में बेटी के ससुराल वाले और उसके पति व बच्चों के लिए भी कपड़े भेजे जाते हैं।

सिंधारे में भेजे गए वस्त्र और आभूषण बेटी की खुशहाली और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। यह शुभता और संपन्नता की कामना का प्रतीक होते हैं। सिंधारे को मायके की ओर से बेटी के लिए खुशहाल जीवन का आशीर्वाद माना जाता है। इस प्रकार सिंधारे के रूप में मायके वाले अपनी बेटी को खुशहाल जीवन का आशीर्वाद भेजते हैं।

सिंधारा भेजना माता-पिता द्वारा अपनी बेटी के प्रति स्नेह और आशीर्वाद का प्रतीक होता है। इससे बेटी को मायके की याद दिलाई जाती है और यह संदेश दिया जाता है कि वह अभी भी उनके दिल के करीब है। हरियाली तीज पर सिंधारा भेजने की परंपरा बहुत प्राचीन है और इन परंपराओं और रीति-रिवाजों को बनाए रखने के लिए सिंधारा का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

हरियाली तीज की कथा

शिवजी ने पार्वतीजी को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी। शिवजी कहते हैं- हे पार्वती तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। अन्न-जल त्यागा, पत्ते खाए, सर्दी-गर्मी, बरसात में कष्ट सहे। तुम्हारे पिता दुःखी थे। नारदजी तुम्हारे घर पधारे और कहा- मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूं। वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर विवाह करना चाहते हैं। अपनी राय बताएं।

पर्वतराज प्रसन्नता से तुम्हारा विवाह विष्णुजी से करने को तैयार हो गए। नारदजी ने विष्णुजी को यह शुभ समाचार सुना दिया पर जब तुम्हें पता चला तो बड़ा दुख हुआ। तुम मुझे मन से अपना पति मान चुकी थीं। तुमने अपने मन की बात सहेली को बताई। सहेली ने तुम्हें एक ऐसे घने वन में छुपा दिया जहां तुम्हारे पिता नहीं पहुंच सकते थे। वहां तुम तप करने लगी। तुम्हारे लुप्त होने से पिता चिंतित होकर सोचने लगे यदि इस बीच विष्णुजी बारात लेकर आ गए तो क्या होगा।

शिवजी ने आगे पार्वतीजी से कहा- तुम्हारे पिता ने तुम्हारी खोज में धरती – पाताल एक कर दिया पर तुम न मिली। तुम गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना में लीन थी। प्रसन्न होकर मैंने मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। तुम्हारे पिता खोजते हुए गुफा तक पहुंचे।

तुमने बताया कि अधिकांश जीवन शिवजी को पतिरूप में पाने के लिए तप में बिताया है। आज तप सफल रहा, शिवजी ने मेरा वरण कर लिया। मैं आपके साथ एक ही शर्त पर घर चलूंगी यदि आप मेरा विवाह शिवजी से करने को राजी हों।
पर्वतराज मान गए। बाद में विधि-विधान के साथ हमारा विवाह किया। हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं। उसे तुम जैसा अचल सुहाग का वरदान प्राप्त हो। सावन माह में तृतीया को सौ वर्षों की तपस्या के बाद पार्वती ने भगवान शिव को पति के रुप में प्राप्त करने का वरदान पाया, इसलिए इस व्रत को मनवांछित पति की कामना से कुंआरी कन्याएं भी करती हैं।

त्योहार की विशेषताएं और रीति-रिवाज

हरियाली तीज के दिन महिलाएं हरे रंग के कपड़े और चूड़ियां पहनती हैं और विशेष श्रृंगार करती हैं। इसे महिलाओं का दिन कहा जाता है और इस दिन भाई अपनी बहन के ससुराल जाकर उसका सिंधारा लेकर आते हैं और बहन को मायके लेकर आते हैं। इस दिन का इंतजार हर महिला पूरे साल करती हैं और सुहागिनें खास शॉपिंग करती हैं ताकि वे तैयार होकर और भी खूबसूरत नजर आएं।

हरियाली तीज के दिन सुहागिनें निर्जला व्रत करती हैं और 16 श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस व्रत को करने से सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है। पति की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए इस व्रत का महत्व माना गया है।

इस दौरान कई जगहों पर मेलों का आयोजन होता है और महिलाएं मिलकर झूला झूलती हैं और मस्ती करती हैं। हरियाली तीज का व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और दांपत्य जीवन में खुशहाली के लिए रखा जाता है। सावन का महीना भगवान शिव की अराधना के साथ ही कई व्रत-त्योहारों के लिए भी काफी लोकप्रिय है। इस माह कई ऐसे त्योहार आते हैं जो कि जीवन में खुशियां लाते हैं और इनमें सबसे महत्वपूर्ण हरियाली तीज का पर्व है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *