हिन्दी साहित्य में व्यंग्य विधा के संस्थापक हरिशंकर परसाई
अपनी धारदार कलम से देश और दुनिया की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विसंगतियों पर तीव्र प्रहार करने वाले सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई को आज उनके जन्म दिवस पर विनम्र नमन। उनका जन्म 22 अगस्त 1924 को मध्यप्रदेश के ग्राम जमानी (जिला-होशंगाबाद) में और निधन 10 अगस्त 1995 को जबलपुर में हुआ। वह प्रगतिशील विचारधारा के प्रमुख चिन्तक और लेखक थे। अपने आस -पास के परिवेश से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर भी उनकी पैनी निगाह रहती थी।
आधुनिक हिन्दी साहित्य में व्यंग्य को एक अलग विधा के रूप में स्थापित करने का श्रेय परसाई जी को दिया जाता है। हास्य और व्यंग्य का बारीक अंतर उनके व्यंग्य लेखों में मिलता है, जिनमें कोरा हास्य नहीं होता बल्कि पाठकों को सामाजिक विद्रूपताओं के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर देने वाली तिलमिलाहट उनमें महसूस की जा सकती है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। जबलपुर विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया था।
उनकी लोकप्रिय व्यंग्य रचनाओं में ‘सदाचार का ताबीज’,और ‘इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर’ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा ‘रानी नागफनी की कहानी’ उनका बहुचर्चित व्यंग्य उपन्यास है। वह हमेशा साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ रहे। धार्मिक और जातीय संकीर्णताओं का उन्होंने अपनी व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से हमेशा विरोध किया। वह अपनी कलम से साम्प्रदायिक शक्तियों का पर्दाफ़ाश भी करते रहे।
हिन्दी दैनिक ‘देशबन्धु’ के रविवारीय अंकों में उनका साप्ताहिक कॉलम’ पूछिए परसाई से ‘ नियमित रूप से छपता था। मुझे याद आता है कि यह कॉलम वर्ष 1983 के आस -पास शुरू हुआ था, जो लम्बे समय तक चला और काफी लोकप्रिय हुआ। परसाईजी अपने इस कॉलम में साहित्य, कला, संस्कृति और सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विषयों पर पाठकों के प्रश्नों का बड़े ही चुटीले अंदाज़ में जवाब दिया करते थे।
परसाईजी के व्यंग्य निबन्ध संग्रहों में ‘तब की बात और थी’ ‘प्रेमचन्द के फटे जूते’, ‘माटी कहे कुम्हार से ‘ और ‘काग भगोड़ा’ को आज भी याद किया जाता है। उनके व्यंग्य उपन्यास ‘रानी नागफनी की कहानी’ को भी काफी लोकप्रियता मिली। उन्होंने कविताएँ और लघुकथाएँ भी लिखी, लेकिन साहित्य जगत में उनकी पहचान एक प्रखर और मुखर व्यंग्यकार के रूप में है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार हैं।