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जीएसटी विभाग ने उजागर किया 822 करोड़ का बोगस बिल सिंडिकेट, मास्टर माइंड फरहान सोरठिया गिरफ्तार

रायपुर, 19 सितंबर 2025/ राज्य जीएसटी विभाग ने जीएसटी एनालिटिक्स और इंटेलिजेंस नेटवर्क तथा जीएसटी प्राइम पोर्टल का उपयोग करके बोगस फर्म और बोगस बिल तैयार करने वाले बड़े सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। इस पूरे खेल का मास्टर माइंड मो. फरहान सोरठिया है, जो लंबे समय से जीएसटी कर सलाहकार के रूप में कार्य कर रहा था। इस फर्जीवाड़े से राज्य को हर महीने करोड़ों रुपये के कर राजस्व का नुकसान हो रहा था।

राज्य जीएसटी की बीआईयू टीम इस प्रकरण पर एक माह से काम कर रही थी। 12 सितंबर को फरहान सोरठिया के कार्यालय में की गई जांच के दौरान 172 फर्मों से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए। फरहान ने अपने 5 ऑफिस स्टाफ की मदद से फर्मों का पंजीयन, रिटर्न फाइलिंग और ई-वे बिल तैयार करवाए। इसके अलावा कार्यालय से बोगस पंजीयन के लिए किरायानामा, सहमति पत्र और एफिडेविट जैसे दस्तावेज तैयार करने के भी सबूत मिले।

जांच में सामने आया कि केवल 26 बोगस फर्मों से ही 822 करोड़ रुपये का ई-वे बिल जनरेट किया गया, जबकि रिटर्न में महज 106 करोड़ रुपये का टर्नओवर दिखाया गया। प्रारंभिक आकलन के अनुसार, इन फर्मों के जरिए राज्य को लगभग 100 करोड़ रुपये के जीएसटी का नुकसान हुआ है। दस्तावेजों से यह भी स्पष्ट हुआ कि इन बोगस पंजीकरणों का नेटवर्क केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं था, बल्कि पंजाब, असम, मणिपुर और ओडिशा तक फैला हुआ था।

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17 सितंबर को विभाग को सूचना मिली कि फरहान ने अपने बोगस फर्मों से संबंधित दस्तावेज छिपा दिए हैं। इस पर अधिकारियों ने फरहान के चाचा मो. अब्दुल लतीफ सोरठिया के आवास पर तलाशी ली। यहां से 1 करोड़ 64 लाख रुपये नकद और 400 ग्राम सोने के 4 बिस्किट बरामद किए गए। इन संपत्तियों को जब्त कर आयकर विभाग को सूचना दे दी गई है।

जीएसटी अधिकारियों के अनुसार, अब तक करोड़ों रुपये के जीएसटी फ्रॉड का खुलासा हो चुका है और फाइनल राशि की गणना जारी है। इस पूरे मामले में कई ब्रोकर, स्क्रैप डीलर और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लेने वाली कंपनियाँ भी जांच के दायरे में हैं। राज्य कर विभाग इस मामले की गहन जांच कर रहा है और आगे की विधिक कार्रवाई प्रगति पर है।