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जानिए भारत का दूसरा जलियांवाला बाग किसे कहते हैं : तरुण शुक्ला

पंचमहाल का मुख्य शहर गोधरा जो कि बारहवीं सदी में गोद्रहक के नाम से जाना जाता था। तब के राजा घुघुल को हराकर पाटण के सोलंकी राजाओं ने इस विस्तार में अपना कब्जा जमाकर बावली और मंदिर बनाये। हालांकि गोधरा शहर में कोई पुरातन स्थापत्य बचा नही है।

शहेरा गांव के पास तालाब के किनारे दो पुराने मंडप है। पुराना एक मंदिर भी है। मरडेश्वर महादेव का शिवलिंग विशाल और चमत्कारिक है। पास में चंदलगढ़ में बड़े पत्थरों के बीच खोडियार मंदिर देखने जैसा है। जबकी व्यास मातरिया गांव के पास तरसंग के डूंगर में गुफा में अर्धनारीश्वर शिवजी की और अन्य मूर्तियाँ है।

गोधरा के पास कंकणपुरमें एक मंदिर समूह है, जिसमे सोलंकी काल के अंतिम दौर के स्थापत्य है। जोकि अब जीर्ण है। एक वाव भी है जिसे वणजारि वाव (बंजारों की बावली ) कहते है। पास के रतनपुर गांव में रत्नेश्वर महादेव का तेरहवीं सदी का खंडित मंदिर है।

हालांकि मंदिर खंडित है, लेकिन बचे हुए शिल्प भव्य है, शिवलिंग की पूजा आज भी होती है। रत्नकुट श्रेणी के मंदिर में शिव, पार्वती, विष्णु, वैष्णवी की मूर्तियाँ है। गुजरात मे बचे हुए 13 तोरण में से एक तोरण यहाँ पर है। पास के कबीरपुर में 15 वीं सदी की वाव है। जोकि पास में तालाब होने से बारह महीने पानी से भरपूर रहती है।

टुवा गांव में गर्म पानी के कुंड है, जोकि चर्म रोगियों के लिए उपयोगी माना जाता है। कुंड के पास शरभंग ऋषि का आश्रम था। जिसके साथ ऐतिहासिक और दंत कथा जुड़ी हुई है।

दाहोद शहर दधिपद्र के नाम से सोलंकी काल मे जाना जाता था। यहां पर मालवा से गुजरात की रक्षा के लिए लश्करी मथक था। जहाँ गुजरात का लश्करी अधिकारी तैनात रहता था। सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह की मालवा चढ़ाई के वक़्त सेना ने दाहोद में एक ही रात में तालाब खोद डाला था, जो आज छाब तालाब के नाम से दाहोद में है। इसी तालाब से राजा का दान शासन मिला था।

तालाब के किनारे सुदाई माता-सिद्धेश्वरी माता का मंदिर है, जो कि सोलंकी राजाओं की आराध्य देवी है। मंदिर नया बना, लेकिन मूर्ति वही पुरानी अभी भी है। मंदिर के दीप स्तंभ देखने योग्य हैं। दाहोद से 11 किमी दूर जेसावाड़ा के पास बावका गांव में ग्यारहवीं सदी का शिव पंचायतन मंदिर है, जो कि अधूरा बना हुआ है।

यह मंदिर, जैसी की मान्यता है, बाबरा भुत द्वारा एक रात में बनाया गया था, सुबह होते ही अधूरा काम छोड़ दिया। बाबरा सोलंकी राजवी सिद्धराज जयसिंह का अमानवीय शक्ति वाला अनुचर था, जिसने गुजरात में काफी मंदिर बनाये ऐसी किवदंतियां एवं मान्यताएँ है।

बावका मंदिर में शंकर भगवान के साथ गणेशजी, विष्णु जैसे देवताओंके शिल्प तो है ही, लेकिन मंदिर की बाहरी दीवारों के ऊपर मिथुन शिल्प भी है। इसी लिए इसे गुजरात का खजुराहो कहा गया है। यह मंदिर आम लोगो से अन्जाना है। यह आश्चर्य की बात है। दाहोद के पास झालोद गांव में पंच कृष्ण मंदिर है, जिसकी मूर्तियाँ दसवीं सदी की है।

बारिया चौहान राजवी द्वारा शासित राज्य था। यहाँ के चौहान राजा पावागढ़ के राजाओँ के वंशज थे। देवगढ़ बारिया में कोई पुरातन स्थापत्य नही है। उसका भौगोलिक स्थान एकदम बढ़िया है। पहाड़ की तलहटी में बसा यह गांव एकदम शांत है। चारों ओर के जंगल, नदी, तालाब इसको चार चाँद लगाते है।

यहाँ के राजा ने स्कूल, कॉलेज, लाइब्रेरी, सड़क, म्युनिसिपेलिटी वगैरह बना कर गांव बसाया था, जिससे उसे पंच महल का पेरिस कहा जाता था। बारिया के राजमहल में ही रजवाड़ो की राजनीति ऊपर बनी दो फिल्म “साहेब बीबी और गैंगस्टर भाग 1 और भाग 2” शूट की गई थी।

भाग दो में प्रतिस्पर्धी राजा का शूटिंग संतरामपुर के महल में हुआ था ।इसी के पास रतन महल रीछ (sloth bear )अभयारण्य है। जहाँ जंगली जानवर जैसे कि तेंदुआ, रीछ, हिरण, अन्य छोटे जानवर पाये जाते है। वन विभाग ने यहाँ प्रवासीयों के लिए रहने और ट्रेक्किंग के लिए केम्प साइट बनाई है ।

यहाँ वन्य भोजन जैसे ली पानिया और दाल जैसी पारंपरिक वानगी आदिम जाति के लोगो द्वारा पकाई हुई मिलती है। जिससे आधिकारिक स्वाद वाला खाना लोगो को मिले। एक जमाने मे यहाँ शेर (टाइगर ) थे, जो कि कब के शिकार की भेंट चढ़ कर लुप्त हो गए।

संतरामपुर परमार राजाओ का राज्य था। यहाँ संत और रामपुर दो अलग गांव है। बीच मे नदी है। संत में एक पहाड़ी पर पुराना महल है। जोकि अब जीर्ण शीर्ण है, वहां फ़िल्म साहब बीबी और गैंगस्टर पार्ट 2 का शूटिंग हुआ था। यहाँ पर दसवीं शताब्दि के मंदिर के अवशेष लेकर पुनर्निर्मित किये गए है।

महल परिसर में प्राथमिक शिक्षकों का तालीम भवन था। अब यहाँ ज्यादातर सन्नाटा रहता है। तो कभी-कभी डरावना माहौल लगता है। यहाँ के वर्तमान राजवी अब नए महल में रहते है। हरसिद्धि माता इनकी कुलदेवी है।

यहाँ मही नदी के ऊपर कडाणा डेम के पास राजस्थान से सटे हुए मानगढ़ में जलियांवाला बाग के सामूहिक हत्याकांड की तरह हज़ारों (करीब 1500 ) आदिवासियों को मार डाला था, जो कि आजादी मांग रहे थे।

लेखक तरुण शुक्ला गांधीनगर (गुजरात)

One thought on “जानिए भारत का दूसरा जलियांवाला बाग किसे कहते हैं : तरुण शुक्ला

  • May 17, 2018 at 06:03
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    गोधरा पर बेहतरीन जानकारी !

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