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डॉ. सिपी दुबे: उद्यमिता हेतु लघुता से दीर्घता की प्राप्ति

जी ई सी, रायपुर में आयोजित इंडक्शन प्रोग्राम 2024-25 के छठे दिन का शुभारंभ विद्यार्थियों ने ईश्वर की प्रार्थना, योगा और मेडिटेशन आदि से किया।

छात्रों ने डॉ. सिपी दुबे, स्टेट जनरल सेक्रेटरी, लघु उद्योग भारती, छत्तीसगढ़ से जाना लघुता की दीर्घता । विदित हो कि, डॉ. दुबे लघु उद्योग के वृहद अवसरों एवं रोज़गार आदि की महत्ता और उद्यमियों के लिए उद्यमिता के अनेक गुर सिखाए। कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. डॉ. एम. आर. खान, प्राचार्य, एवम प्रो. डॉ. श्वेता चौबे, कार्यक्रम समन्वयक तथा डॉ. सिपी दुबे, रिसोर्स पर्सन के द्वारा माँ सरस्वती के तैल चित्र में पुष्पांजलि देकर शुरू की गई।
तत्पश्चात, डॉ. सिपी दुबे, रिसोर्स पर्सन ने अपने वक्तव्य में उद्यमिता हेतु 5 कुंजियों पर विशेष बल देते हुए छात्रों को उद्यमी बनकर अपने और सैकड़ों लोगों के लिए रोज़गारोन्मुखी कार्य करने को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि, किस तरह उन्होंने 150 महिलाओं को कार्य-प्रशिक्षण देकर रोज़गार दिलाया और उनको स्वावलंबी बनाया। उन्होंने आगे यह कहा कि, लघु उद्योगों को छोटा न समझकर इसे सुनहरे अवसर की तरह लेवें। उन्होंने यह भी बताया कि, भारत युवाओं और संभावनाओं का देश है, और आप सभी इन संभावनाओं को सच्चाई में परिवर्तित कर अपना, अपने महाविद्यालय और देश का सर गौरव से ऊँचा करने का प्रयत्न अवश्य करें!!!
इस सत्र के समापन के पश्चात, संस्था के वरिष्ठ प्राध्यापक, प्रो. डॉ. शैलेश धर दीवान, गणित विभाग ने छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी, भिलाई, विश्वविद्यालय के परीक्षा, परीक्षा की प्रक्रिया, परीक्षा में शामिल होने के लिए ज़रूरी जानकारी आदि को विद्यर्थियों से साझा कर उनके परीक्षा संबंधी प्रश्नों का उत्तर देते हुए विद्यार्थियों को प्रथम दिवस से ही अपनी तैयारियों में लग जाने के लिये प्रेरित किया और उनके उज्जवल भविष्य के लिए कामना की।

इसके पश्चात कार्यक्रम के अगले सत्र में श्री गोपा वृन्दा जी, वाइस प्रेसिडेंट, अक्षय पात्र फाउंडेशन, ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “अध्यात्म के माध्यम से आत्मा को प्राप्त किया जा सकता है।” उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य के जीवन में कर्म सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अच्छे कर्म सदैव सुखद परिणाम लाते हैं, जबकि बुरे कर्म दुख का कारण बनते हैं। उन्होंने यह विशेष रूप से रेखांकित किया कि कर्म करना मनुष्य के वश में होता है, इसलिए हमें अपने सद्गुणों को सद्कर्मों में परिवर्तित करना चाहिए।

स्वामीजी ने छात्रों को मानव बुद्धि को मापने के लिए उपयोग किए जाने वाले तीन मुख्य मापदंडों—इंटेलिजेंस कोशेंट (IQ), इमोशनल कोशेंट (EQ), और सबसे महत्वपूर्ण स्पिरिचुअल कोशेंट (SQ)—के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने समझाया कि कैसे स्पिरिचुअल कोशेंट (SQ) किसी व्यक्ति की तर्कसंगत रूप से सोचने की क्षमता का माप है। स्वामीजी ने अपने विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि आध्यात्मिक बुद्धि ही मानव बुद्धि का सबसे प्रमुख मापदंड है। उन्होंने सांख्यिकीय आंकड़ों के आधार पर यह साबित किया कि आर्थिक और औद्योगिक प्रगति के बावजूद, दुनिया भर में, विशेषकर विकसित देशों में, खुशी का स्तर गिरा है।

स्वामीजी ने यह भी बताया कि विकसित देशों में आत्महत्या, तलाक, सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवाद की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हम लोग अक्सर अपने आप को केवल भौतिक गुणों के आधार पर पहचानते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि हम केवल अपने शरीर के स्वामी हैं। जो चीज हमें मशीनों और निर्जीव वस्तुओं से अलग करती है, वह है आत्मा की उपस्थिति, जो शरीर में चेतना के रूप में विद्यमान है।
इस सत्र के उपरांत महाविद्यालय के वरिष्ठ छात्रों के द्वारा नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं के लिए धार्मिक क्विज़ शो का आयोजन किया, जिसमें छात्रों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हुए सवालों के शत प्रतिशत सही जवाब दिया। सामान्य ज्ञान पर आधारित क्विज़ का आयोजन भी किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने अपने अर्जित ज्ञान से सभी को अचंभित कर दिया। इस तरह इंडक्शन प्रोग्राम 2024-25 के छठे दिन का समापन ऊर्जा, उत्साह और ज्ञान के संचार से हुआ।
कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. डॉ. श्वेता चौबे जी ने मीडिया से जानकारी साझा करते हुए सूचना दी कि, उक्त कार्यक्रम प्रो. विकास कुमार जैन, डॉ. रचना रस्तोगी, डॉ. विनीत शुक्ला, डॉ. जी. आर. बंजारे, डॉ. आर. एन. देवांगन, डॉ. शशिबाला किंडो, श्री प्रशांत साहू, एवं श्री अशीष सिंह ठाकुर आदि की गरिमामयी उपस्थिति में सहर्ष संपन्न हुआ ।

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