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विश्व पर्यटन मानचित्र पर छाया बस्तर का धुड़मारास – सतत विकास और ईको-पर्यटन का आदर्श मॉडल

रायपुर, 09 जुलाई 2025/छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल का एक छोटा सा आदिवासी गांव धुड़मारास, जो कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है, आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। अपनी समृद्ध जैव-विविधता, पारंपरिक बस्तरिया संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की सोच के कारण यह गांव संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा विश्व के 20 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों में शामिल किया गया है।

प्राकृतिक सौंदर्य और सौर ऊर्जा से सजीव आत्मनिर्भरता

कांगेर नदी की हरीतिमा और सांस्कृतिक विविधता से समृद्ध धुड़मारास गांव अब सौर ऊर्जा आधारित आत्मनिर्भर जीवनशैली की ओर भी तेजी से बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण अनुकूल पर्यटन और ग्रामीण विकास को प्राथमिकता देते हुए बस्तर में व्यापक योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) के माध्यम से गांव में कई अभिनव परियोजनाएं लागू की गई हैं:

  • 3 सोलर ड्यूल पंप द्वारा स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता

  • 2 सोलर हाईमास्ट लाइटें और स्ट्रीट लाइटों से रात्रिकालीन रोशनी

  • प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं में सौर ऊर्जा आधारित विद्युत आपूर्ति

  • ग्राम गलियों में ऊर्जा दक्ष सोलर पथ प्रकाश व्यवस्था

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इन योजनाओं की गुणवत्ता पूर्ण क्रियान्वयन हेतु क्रेडा अध्यक्ष भूपेन्द्र सवन्नी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी राजेश राणा द्वारा सतत निगरानी की जा रही है।

राष्ट्रीय मान्यता और स्थानीय विकास का संगम

भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर धुड़मारास और चित्रकोट गांव को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के रूप में सम्मानित किया गया है। यह मान्यता प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और स्थानीय संस्कृति के सजीव रूपांतरण का प्रतीक है।

राज्य शासन द्वारा धुड़मारास में विकसित की जा रही सुविधाएं:

  • ट्रैकिंग ट्रेल्स, कैंपिंग साइट्स, और होम-स्टे सुविधाएं

  • स्थानीय शिल्पकारों और कलाकारों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने हेतु बाजार से जोड़ना

  • सड़कों और परिवहन का सुदृढ़ीकरण

  • पर्यटकों के लिए प्रतीक्षालय, शौचालय, एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं का निर्माण

ईको-पर्यटन से स्थानीय युवाओं को आजीविका

ईको-पर्यटन विकास समिति द्वारा कांगेर नदी में कयाकिंग, बांस राफ्टिंग जैसी साहसिक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। इससे न केवल पर्यटकों को रोमांचक अनुभव मिल रहा है, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी सृजित हो रहे हैं।

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वन एवं पर्यटन विभाग द्वारा धुड़मारास को एक आदर्श ईको-टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसकी तर्ज पर नागलसर और नेतानार जैसे अन्य गांवों में भी ईको-पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।

सामुदायिक सहभागिता से समावेशी विकास का सपना साकार

धुड़मारास की कहानी यह सिद्ध करती है कि यदि सरकारी योजनाएं स्थानीय सहभागिता और सुनियोजित क्रियान्वयन के साथ लागू की जाएं, तो ग्रामीण भारत भी सतत विकास का वैश्विक मॉडल बन सकता है। यह गांव अब केवल बस्तर के लिए नहीं, बल्कि समूचे देश के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गया है – जहां प्रकृति, संस्कृति और नवाचार एक साथ पनपते हैं