भगवान धन्वंतरि के प्राकट्य एवं स्वास्थ्य और समृद्धि का पर्व धनतेरस
भगवान धन्वंतरि को हिंदू धर्म और भारतीय चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) में एक महान चिकित्सक और देवताओं के वैद्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्हें स्वास्थ्य, औषधि और चिकित्सा विज्ञान के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। धन्वंतरि की उपासना विशेष रूप से आयुर्वेद और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों द्वारा की जाती है। धनतेरस के दिन, जो दीपावली से पहले आता है, उनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है क्योंकि इसे धनवंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान धन्वंतरि का जन्म और प्राकट्य पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। समुद्र मंथन की यह कथा श्रीमद्भागवत पुराण, विष्णु पुराण और अन्य हिन्दू धर्मग्रंथों में विस्तार से मिलती है। भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा, स्वास्थ्य और आयुर्वेद का जनक माना जाता है।
भगवान धन्वंतरि जन्म कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों के बीच अमरत्व प्राप्त करने के लिए “समुद्र मंथन” का आयोजन किया गया। इसमें भगवान विष्णु ने मंदराचल पर्वत को मथानी और वासुकि नाग को रस्सी बनाकर समुद्र मंथन करवाया। समुद्र मंथन के दौरान चौदह रत्न निकले, जिनमें से अमृत (अमरत्व प्रदान करने वाला पदार्थ) भी था।
जब अमृत निकलने का समय आया, तब भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। उनका प्राकट्य कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को माना गया, जिसे “धनतेरस” के रूप में मनाया जाता है। धन्वंतरि जब प्रकट हुए तो वे चार भुजाओं वाले दिव्य रूप में थे, जिनमें वे एक हाथ में अमृत का कलश, एक में औषधि, और अन्य हाथों में शंख और चक्र धारण किए हुए थे। उनका यह रूप आयुर्वेद और औषधि विज्ञान का प्रतीक था।
भगवान धन्वंतरि का जन्म और प्राकट्य का उद्देश्य मानव जाति और देवताओं को स्वास्थ्य का ज्ञान प्रदान करना और रोगों से मुक्ति दिलाना था। उन्होंने आयुर्वेद का ज्ञान देवताओं और ऋषियों को दिया, जिससे वे स्वस्थ और दीर्घायु बन सकें। आयुर्वेद में भगवान धन्वंतरि को पहले चिकित्सक के रूप में जाना जाता है और उनके द्वारा दिए गए इस ज्ञान को आज भी चिकित्सा विज्ञान के रूप में मान्यता प्राप्त है।
धनवंतरि का कार्य
धनवंतरि का मुख्य कार्य आयुर्वेद और चिकित्सा विज्ञान का ज्ञान प्रदान करना था। उन्होंने चिकित्सा पद्धति और जीवन के विज्ञान (आयुर्वेद) का विस्तार और प्रसार किया, जिससे मानव जाति को स्वास्थ्य और जीवनशक्ति प्राप्त हुई। पौराणिक कथाओं के अनुसार, उन्होंने समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर देवताओं और असुरों के बीच अमरत्व का मंत्र बांटा। धनवंतरि को चिकित्सा के पहले आचार्य के रूप में माना जाता है और उन्हें आयुर्वेद का जनक कहा जाता है।
प्राचीन ग्रंथों में धन्वंतरि का उल्लेख
भगवान धनवंतरि का वर्णन अनेक प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, श्रीमद्भागवत पुराण में समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि के अमृत कलश लेकर प्रकट होने का वर्णन है। आयुर्वेद के महत्वपूर्ण ग्रंथ चरक संहिता में भगवान धन्वंतरि का उल्लेख आयुर्वेद के संस्थापक के रूप में किया गया है। सुश्रुत संहिता ग्रंथ में भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा और शल्य चिकित्सा (सर्जरी) के प्रमुख देवता के रूप में पूजा गया है और शल्य चिकित्सा का प्रथम ज्ञानधारी बताया गया है।
“धन्वंतरिर्भगवान्स्वयं भिषग्गदैभ्यः शत्रुभ्यः तया सह वृता।” श्रीमद्भागवत पुराण (१०.८२.२३)
अर्थ: धन्वंतरि भगवान स्वयं आयुर्वेद के महान चिकित्सक हैं और उन्होंने गदाधारी (विष्णु के रूप में) असुरों और शत्रुओं से रक्षा की।
“धन्वंतरिं दिव्यभिषग्वराणां मुख्यं समस्तव्यसनौषधीनां।” चरक संहिता
अर्थ: धन्वंतरि दिव्य वैद्यों में श्रेष्ठ हैं और उन्होंने समस्त रोगों के नाश हेतु औषधियों का ज्ञान प्रदान किया है।
भगवान धन्वंतरि का आयुर्वेद में योगदान
भगवान धन्वंतरि ने मानव समाज को आयुर्वेद का ज्ञान प्रदान किया और चिकित्सा पद्धतियों को सुव्यवस्थित किया। उनके द्वारा स्थापित आयुर्वेद में मानव शरीर के संतुलन, रोगों की रोकथाम, और जीवनशैली पर गहराई से चर्चा की गई है। आयुर्वेद मुख्यतः तीन दोषों (वात, पित्त, और कफ) के सिद्धांत पर आधारित है और इन्हीं दोषों के संतुलन को स्वास्थ्य का आधार माना गया है।
धनतेरस का पर्व दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है और इसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से धन, स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-समृद्धि के लिए भगवान धनवंतरि की पूजा का दिन माना जाता है, जो आयुर्वेद के देवता और चिकित्सा के जनक हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन भगवान धनवंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इसीलिए, इस दिन को स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए शुभ माना जाता है।
धनतेरस का महत्व
1. धन का महत्व और खरीदारी का शुभ दिन
धनतेरस में “धन” का अर्थ संपत्ति, स्वास्थ्य, और समृद्धि से है। इस दिन को संपत्ति की वृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए लोग इसे खरीदारी के लिए शुभ मानते हैं। इस दिन चांदी, सोना, बर्तन, या अन्य कीमती वस्तुएं खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और लक्ष्मी का वास होता है। बर्तन और धातु की वस्तुएं, विशेषकर सोने और चांदी की चीजें, खरीदने से घर में सुख-समृद्धि और बरकत आती है।
2. भगवान धनवंतरि और आयुर्वेद का पूजन
भगवान धनवंतरि, जो आयुर्वेद के देवता हैं, की इस दिन विशेष पूजा की जाती है ताकि जीवन में स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त हो। आयुर्वेद को जीवन और स्वास्थ्य का आधार माना गया है, और भगवान धनवंतरि इस ज्ञान के प्रतीक हैं। इस दिन स्वास्थ्य, रोगमुक्ति और शारीरिक सशक्तिकरण की कामना से भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है।
3. यम दीपम का महत्व
धनतेरस के दिन यमराज (मृत्यु के देवता) को प्रसन्न करने के लिए एक दीपक जलाया जाता है, जिसे “यम दीप” कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यमराज के लिए दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और परिवार की रक्षा होती है। इसे घर के मुख्य द्वार पर जलाया जाता है, ताकि यह घर के समस्त बुरे प्रभावों को दूर कर सके।
4. व्यापारियों के लिए विशेष दिन
व्यापारियों और व्यावसायिक वर्ग के लोगों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। धनतेरस पर नई खाता-बही की शुरुआत करने का भी रिवाज है, जिसे “शुभ-लाभ” के साथ आरंभ किया जाता है ताकि आने वाले वर्ष में लाभ और समृद्धि बनी रहे। भगवान कुबेर, जो धन के देवता माने जाते हैं, की पूजा भी इस दिन की जाती है। मान्यता है कि कुबेर की पूजा से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और व्यक्ति का धन-संग्रह बढ़ता है।
इस तरह धनतरेस का दिन लोकमंगल लेकर आता है, इस दिन को दीपावली आगमन की आहट माना जाता है, इस दिन का महत्व केवल संपत्ति और स्वास्थ्य की प्राप्ति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें यह संदेश भी देता है कि स्वास्थ्य और धन का संतुलन ही जीवन का सच्चा सुख है। धनतेरस हमें बताता है कि जहां एक ओर धन महत्वपूर्ण है, वहीं स्वास्थ्य को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही भगवान धन्वंतरि एवं उनका चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान को भी स्मरण करने का दिन है। उन्होंने आयुर्वेद को विज्ञान के रूप में स्थापित किया और इसके सिद्धांतों को लोककल्याण के लिए प्रसारित किया।
धनतेरस के बधाई अउ शुभकामनाएं भईया
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