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मखाना खेती से बदलेगी धमतरी की ग्रामीण महिलाओं की तक़दीर, नगरी की महिला किसान समूहों को मिला व्यावहारिक प्रशिक्षण

रायपुर, 30 दिसंबर 2025/ कृषि विविधीकरण और महिला सशक्तिकरण की दिशा में धमतरी जिले ने एक ठोस और दूरगामी कदम बढ़ाया है। विकासखंड नगरी के ग्राम सांकरा से 40 इच्छुक महिला किसान समूह का एक दल रायपुर जिले के विकासखंड आरंग अंतर्गत ग्राम लिंगाडीह पहुंचा, जहां उन्हें मखाना प्रोसेसिंग और आधुनिक खेती तकनीकों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इस अध्ययन भ्रमण एवं प्रशिक्षण की संपूर्ण व्यवस्था जिला उद्यानिकी विभाग, धमतरी द्वारा की गई।

प्रशासन स्तर पर मखाना खेती को बढ़ावा देने को लेकर विशेष रुचि दिखाई जा रही है। जिला प्रशासन का मानना है कि धान आधारित पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर मखाना जैसी नकदी फसल ग्रामीण महिलाओं के लिए आय के नए अवसर खोल सकती है।

धान से आगे सोच, मखाना से आत्मनिर्भरता
मखाना खेती के माध्यम से धमतरी की ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक तस्वीर बदलने की स्पष्ट संभावनाएं सामने आ रही हैं। छोटी-छोटी डबरियों और तालाबों से समृद्धि की राह तैयार हो रही है। शासकीय प्रयासों और तकनीकी सहयोग का प्रतिफल यह है कि मखाना खेती महिला किसानों के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता का मजबूत आधार बनती जा रही है।

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90 एकड़ में शुरू हुई मखाना खेती
कलेक्टर के सतत प्रयासों से धमतरी जिले के ग्राम राखी, पीपरछेड़ी, दंडेसरा, रांकाडोह और सांकरा में लगभग 90 एकड़ क्षेत्र में डबरी चिन्हांकन कर मखाना खेती की शुरुआत हो चुकी है। प्रशिक्षण के दौरान महिला किसानों ने स्थानीय ओजस फार्म का भ्रमण कर मखाना की खेती, कटाई, प्रसंस्करण और विपणन की पूरी प्रक्रिया को नजदीक से समझा।

फार्म प्रबंधक संजय नामदेव ने बताया कि मखाना की खेती के लिए जलभराव वाली डबरी, तालाब या अन्य जल संरचनाएं उपयुक्त होती हैं। उन्होंने बीज चयन, उत्पादन लागत और बाजार संभावनाओं पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि उचित प्रशिक्षण और सरकारी सहयोग से यह फसल अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकती है।

कम जोखिम, स्थायी आय का साधन
इस अवसर पर शिव साहू ने मखाना खेती के व्यावसायिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह फसल कम जोखिम वाली है और इससे स्थायी आय का मजबूत स्रोत विकसित किया जा सकता है। महिला किसानों ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि मखाना खेती से उन्हें आत्मनिर्भर बनने का वास्तविक अवसर दिखाई दे रहा है।

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प्रसंस्करण से बढ़ता मुनाफा
बिहार के दरभंगा निवासी मखाना प्रोसेसिंग विशेषज्ञ रोहित साहनी फोड़ी ने बताया कि 1 किलो मखाना बीज से लगभग 200 से 250 ग्राम पॉप तैयार होता है, जिसकी बाजार कीमत 700 से 1000 रुपये प्रति किलो तक होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि किसान स्वयं उत्पादन के साथ प्रसंस्करण और पैकेजिंग करें, तो प्रति एकड़ लाभ में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है।

वैज्ञानिक जानकारी से बढ़ा भरोसा
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रमुख वैज्ञानिक ने बताया कि प्रति एकड़ लगभग 20 किलो बीज की आवश्यकता होती है और औसत उत्पादन 10 क्विंटल तक प्राप्त किया जा सकता है। छह माह की अवधि वाली इस फसल में कीट-व्याधि का प्रकोप नगण्य होता है और चोरी जैसी समस्याएं भी नहीं होतीं, जिससे यह किसानों के लिए सुरक्षित विकल्प बनती है।

सरकारी योजनाओं का मिला मार्गदर्शन
उप संचालक उद्यानिकी, धमतरी डॉ. पूजा कश्यप साहू के मार्गदर्शन में ग्रामीण उद्यानिकी अधिकारी चंद्रप्रकाश साहू और बीटीएम पीतांबर भुआर्य के साथ पहुंचे किसानों को मखाना बोर्ड और राज्य शासन की योजनाओं की जानकारी दी गई। डॉ. पूजा ने बताया कि मखाना खेती को प्रोत्साहन देने के लिए प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और सब्सिडी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

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राज्य का पहला मखाना प्रसंस्करण केंद्र
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम व्यावसायिक मखाना उत्पादन विकासखंड आरंग के ग्राम लिंगाडीह में स्वर्गीय कृष्ण कुमार चंद्राकर द्वारा प्रारंभ किया गया था, जहां राज्य का पहला मखाना प्रसंस्करण केंद्र भी स्थापित हुआ।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा
आज मखाना उत्पादन छत्तीसगढ़ की नई कृषि पहचान के रूप में उभर रहा है। धमतरी की महिला किसानों का यह प्रयास केवल कृषि नवाचार नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और प्रशासनिक संकल्प से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी जा सकती है।